नई दिल्ली / दिल्ली में सदैव अटल समाधि स्थल में आज सुबह से ही एनडीए समेत कई दलों के नेताओं का ताँता लगा हुआ है। हर कोई अटल जी को नमन कर रहा है। समाधि स्थल में ठंड से बचते लोगों की जुबान पर अटल जी के कई किस्से है। कई ऐसे सांसद समाधि स्थल में मौजूद रहे जिन्होंने उनकी 13 दिन और 13 महीने की सरकार में करीब से हिस्सा लिया था।

उनका मानना है कि 13 नंबर को अक्सर कई लोग अच्छा नहीं मानते है लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जिंदगी और मौत से 13 नंबर का करीब से नाता रहा है। वो चर्चा कर रहे थे कि इस 13 नंबर के रहस्य से। उनके कुदरत की तरफ से इस नंबर का अटल जी की जिंदगी में खास महत्व था। कुछ ने 13 नंबर को उनके लिए भाग्यशाली बताया तो कुछ ने अनलकी। एक सांसद के मुताबिक यह नंबर भी एक ‘अटल रहस्य’ है।

अटल बिहारी वाजपेयी की आज 96वीं जन्मतिथि और उनके निधन की तिथि से 13 नंबर आखरी समय तक जुड़ा रहा। नंबर गणित ज्योतिष की जानकारी रखने वालों के मुताबिक अटल जी 25 दिसंबर 1924 को पैदा हुए थे। वे बताते है कि दिन और महीने का अंतर भी 25-12=13 13 रहा। उनकी मृत्यु 16 अगस्त को हुई। जानकारों के मुताबिक अटल जी की जन्मतिथि और मृत्यु की तारीख और महीने और साल का अंतर भी 13 रहा। दरअसल दिन का अंतर नौ 25-16=9 और महीने का अंतर चार 12-8=4 रहा। दोनों को जोड़ने पर 9+4=13 नंबर 13 पर ही आ टिका। इसी तरह उनके जन्म का साल 1924 और मृत्यु का वर्ष 2018 का अंतर 94 रहा। इसका मूलांक भी 13 है।

एक अन्य सांसद के मुताबिक सियासी सफर में भी 13 नंबर का अटल जी की जिंदगी में खास महत्व बना रहा। वे बताते है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने 13 मई 1996 को पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन बहुमत साबित न होने पर उनकी 13 दिन बार सरकार गिर गई। दिलचस्प बात यह रही कि दूसरी बार भी अटल बिहारी वाजपेयी 13 महीने के लिए प्रधानमंत्री बने और इसके बार सरकार गिर गई।

तीसरी बार भी उनका सामना 13 नंबर से हुआ। इस बार सरकार बनाने के लिए अटल बिहारी बाजपेयी को 13 दलों का गठबंधन कर सरकार बनानी पड़ी। यह संयोग ही रहा कि 13 अक्तूबर 1999 को ही उन्होंने पीएम पद की शपथ भी ली। उनके मुताबिक 13 के बिगाड़ से बचने के लिए कई लोगों ने तीसरी बार 13 अक्तूबर को शपथ न लेने के लिए उन्हें मना किया, लेकिन अटल जी नहीं माने। हालाँकि इस बार यह सरकार पूरे पांच साल चली। सांसद महोदय उन दिनों को याद करते हुए बताते है कि 2004 के चुनाव में 13 मई को हुई मतगणना हुई थी।

लेकिन इस बार भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। उनके मुताबिक पड़ताल करने पर पता पड़ा कि इस चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने 13 अप्रैल को ही नामांकन पत्र दाखिल किया था। उन्होंने बताया कि इस दौर में साइनिंग इंडिया का नारा सरकार पर भारी पड़ा।फ़िलहाल सदैव अटल समाधि स्थल पर पीएम मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह ने अटल जी को याद करते हुए कहा कि उनका जीवन ही प्रेरणा दायक था। उन्होंने ही सशक्त और मजबूत भारत की नींव रखी।