करवा चौथ का पर्व गुरुवार को मनाया जा रहा है। इस साल करवा चौथ पर विशेष संयोग बन रहा है। करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कार्यों को करने के बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई, देवी-देवताओं का धूप-दीप कर पूजा करें और व्रत का संकल्प लें , क्योंकि इस दिन लक्ष्मी योग, सिद्धि योग, बुधादित्य योग, लक्ष्मीनारायण योग के साथ कृतिका और रोहिणी नक्षत्र भी रहेंगे.
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चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा और इस दिन रोहिणी नक्षत्र का होना बहुत शुभ माना जाता है. पंडित सुरेश श्रीमाली ने बताया कि शुभ मुहूर्त कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि 12 अक्टूबर की मध्य रात्रि 1 बजकर 59 मिनट से शुरू हुआ है, जो कि 13 अक्टूबर को रात 3 बजकर 8 मिनट तक रहेगा. ऐसे में करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त गुरुवार को शाम 5 से 6 बजे तक रहेगा.
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करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कार्यों को करने के बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई, देवी-देवताओं का धूप-दीप कर पूजा करें और व्रत का संकल्प लें. करवा चौथ का दिन बहुत खास होता है, इसलिए इस दिन सोलह श्रृंगार करें, सजधज कर रहें. करवा चौथ की शाम को घर के पूजन कक्ष में पूर्व दिशा में आंगन पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं. उस पर एक पाटा बिछाकर हल्दी, रोली और चावल रखें. फिर इस पर एक शुद्ध लाल वस्त्र बिछाकर मध्य में संपूर्ण शिव परिवार और माता करवा की फोटो स्थापित करें.
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भगवान गणेश को पीले पुष्प, लड्डू और केले चढ़ाएं. भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं पर कुमकुम से तिलक कर अर्पित करें. चौथ माता को चुनरी ओढ़ाकर कुमकुम से तिलक कर नैवैद्य अर्पित करें. उनके सामने चन्दन की अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं.