इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 02 अप्रैल से हुई है, जो कि 10 अप्रैल तक चलेगी। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा बेहद खास मानी जाती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को यानी आठवें दिन देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी का पूजन किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि अष्टमी तिथि पर सच्चे मन से मां महागौरी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मां महागौरी को ममता की मूरत कहा जाता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार मां महागौरी की पूजा करने से राहु के बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं। नवरात्रि के पावन दिनों में अष्टमी तिथि का खास महत्व है। इस साल चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि कब है और इस दिन मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए कैसे करें उनके आठवें स्वरूप की पूजा, चलिए जानते हैं…
अष्टमी तिथि एवं शुभ मुहूर्त इस बार अष्टमी तिथि 09 अप्रैल को है। पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 08 अप्रैल की रात 11 बजकर 05 मिनट से शुरू हो रही है। साथ ही इसका समापन 09 अप्रैल की देर रात 1 बजकर 23 मिनट पर होगा। इसके बाद नवमी तिथि का प्रारंभ हो जाएगा। दुर्गाष्टमी 2022 पूजा विधि इस दिन देवी दुर्गा के साथ उनके आठवें स्वरूप मां महागौरी का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें और यंत्र की स्थापना करें।
इसके बाद पुष्प लेकर मां का ध्यान करें। अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं और उन्हें फल, फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करें और देवी मां की आरती उतारें। महा अष्टमी पूजा का महत्व शादी-विवाह में आ रही रुकावटों को दूर करने के लिए मां महागौरी की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि महागौरी की पूजा से दांपत्य जीवन सुखद बना रहता है। साथ ही पारिवारिक कलह क्लेश भी खत्म हो जाता है।
ऐसी मान्यता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए देवी महागौरी की ही पूजा की थी। कन्या पूजन का महत्व नवरात्रि में अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। कन्या पूजन विधि नवरात्रि में महाअष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। 2 से 10 साल तक आयु की कन्याओं के साथ ही एक लांगुरिया (छोटा लड़का) को पूरी, हलवा, चने की सब्जी आदि खिलाया जाता है। इसके बाद कन्याओं को तिलक करके, हाथ में मौली बांधकर, गिफ्ट-दक्षिणा आदि देकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।