दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपे बघेल सरकार की रवानगी आज ही के दिन सुनिश्चित हुई थी। इस दिन भूपे का दोबारा मुख्यमंत्री बनने का सपना उस वक़्त चकना-चूर हो गया, जब EVM ने फैसलों को जग-जाहिर कर दिया। आज ही के दिन सुबह सबेरे से वक़्त का पहिया अपनी रफ़्तार से घूम रहा था। प्रदेश के तमाम जिला मुख्यालयों में EVM का पिटारा खोला जा रहा था।
इसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री और उनकी ‘डर्टी कंपनी’ के प्रदर्शन पर लगी जनता की मुहर सामने आ रही थी। इसका ‘इजहार’ वोटों के रूप में प्रगट हो रहा था। आखिरकार कांग्रेस सरकार के बेहद खराब प्रदर्शन के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के 13 में से 9 मंत्रियों को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
इनमे टीएस सिंहदेव जैसे वरिष्ठ नेता को भी शिकस्त हाथ लगी थी, जिन्हे ढ़ाई-ढ़ाई साल के तय फार्मूले के तहत मुख्यमंत्री की कुर्सी वादे के बाद भी पार्टी आलाकमान ने नहीं सौंपी थी। जबकि कांग्रेस के कई दिग्गज विधायकों की जीत का आंकड़ा भी काफी सिमट गया था। कांग्रेस की पुनर्वापसी पर तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल की कारगुजारियां भारी पड़ी थी। भूपे के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की जोड़-तोड़ में कांग्रेस की पुनर्वापसी को जनता ने ख़ारिज कर दिया था।
EVM के जरिये जनता के अभिमत का ऐसा हथोड़ा चला कि ‘बघेल गिरोह’ के भ्रष्टाचारों पर जनता की जीती-जागती मुहर लग गई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकारी तिजोरी पर दिन-रात हाथ साफ करने वाले उच्चाधिकारियों के साथ-साथ कई मंत्रियों का काला कारनामा भी आज ही के दिन खूब सुर्खियां बटोर रहा था। कांग्रेस सत्ता से अचानक बेदखल हो गई थी।
आखिरकार दिन-रात चली मतगणना के बाद राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 54 सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों ने अप्रत्याशित जीत हासिल की। कांग्रेस ने 35 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि एक सीट गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी की झोली में गई थी। साल-भर बाद भी भूपे सरकार के भ्रष्टाचार कांग्रेस पर भारी पड़ रहे है।
हालिया रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में भूपे प्रदत पार्टी प्रत्याशी की जमानत जब्त होते-होते बची। जनता के आक्रोश की परिणीति के रूप में बीजेपी प्रत्याशी सुनील सोनी ने 45 हज़ार से अधिक मतों से जीत दर्ज कर कांग्रेस के अरमानों पर पानी फेर दिया। अब प्रदेश में बीजेपी 55 सीटों के साथ अपना दम-खम भर रही है।
छत्तीसगढ़ में आज का दिन उन कोंग्रेसियों पर भारी गुजर रहा है, जिन्होंने कड़ी मेहनत के साथ पार्टी का झंडा-डंडा उठाया था। उन्होंने ईमानदारी के साथ कार्य कर पार्टी की जीत के लिए कड़ी मेहनत भी की थी। लेकिन भूपे के भ्रष्टाचारों का खामियाजा उन्हें भी भोगना पड़ा था।
2200 करोड़ का शराब घोटाला, 6 हज़ार करोड़ का महादेव सट्टा ऐप घोटाला, 700 करोड़ का कोल खनन परिवहन घोटाला, PSC में सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति घोटाला, 5 हज़ार करोड़ का चांवल घोटाला समेत दर्जनों विभागों में सिर्फ घोटाले और भ्रष्टाचार ही भूपे सरकार के काम-काज का अभिन्न अंग बन गए थे। इसमें सुरा और सुंदरियों ने भी अपनी खास भूमिका निभाई थी।
कांग्रेस के आम कार्यकर्ता, खुद को छला हुआ महसूस कर रहे थे क्योंकि बड़े अरमानों के साथ वर्ष 2018 में उनकी वजह से कांग्रेस सत्ता में आई थी। अब पछताए क्या होत, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत। आज कांग्रेस के कई दिग्गज नेता शोक में नजर आ रहे है।
वे हाथ आई सत्ता गवाने के चलते असहज महसूस भी कर रहे है। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री बघेल अपनी गिरफ्तारी की बांट जोह रहे है। उनके खिलाफ बीजेपी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की है। यही नहीं उनके पुत्र और पुत्री भी एक प्रोफ़ेसर पर जानलेवा हमले को लेकर पुलिस थाने और कोर्ट कचहरी का चक्कर काट रहे है।
मामला ऑनर किलिंग से जुड़ा बताया जाता है। भूपे सरकार में सत्ता का स्वाद चखने वाले सुपर सीएम अनिल टुटेजा और सौम्या चौरासिया जेल की हवा खा रहे है। बघेल गिरोह के दर्जनों सिपाहे-सलार भी इनके साथ जेल की चक्की पीस रहे है। बहरहाल, पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के काले कारनामों का राज अब ख़त्म हो चूका है। हालांकि उनकी गिरफ्तारी अब भी रहस्मय बनी हुई है।
Maharashtra Chunav: EVM में धांधली का लगा था आरोप, अब बैलेट पेपर से दोबारा हो रहा ‘चुनाव’