रायपुर: छत्तीसगढ़ में EOW, ED और सीबीआई की सक्रियता के बावजूद केंद्रीय फंड के दुरुपयोग और बेजा इस्तेमाल को लेकर सरकार की तिजोरी पर हाथ साफ करने वाले अफसरों और जन प्रतिनिधियों की कोई कमी नजर नहीं आ रही है। राज्य सरकार की आँखों में धूल झोंक कर कतिपय अधिकारी दिन दुगुनी- रात चौगुनी प्रगति कर रहे है। भारी भरकम बजट वाली कई महत्वपूर्ण योजनाओं में निविदा-टेंडर मैनेज कर मोटी कमाई करने का परंपरागत धंधा आज भी जस की तस जारी है। छत्तीसगढ़ में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यरत सरकारी संस्थान ‘क्रेडा’ इस मामले में सुर्ख़ियों में है। पुख्ता जानकारी के मुताबिक बीते 10 माह में कमीशनखोरी और टेंडर मैनेज करने की कतिपय अधिकारियों की कार्यप्रणाली से भारत सरकार की मंशा पर ना केवल पानी फिर रहा है, बल्कि हितग्राहियों को देश में सबसे महंगे सौर ऊर्जा उपकरणों की खरीदी के लिए विवश होना पड़ रहा है।
प्रदेश की मशीनरी में भ्रष्टाचार किस कदर कायम है, इसका अंदाजा एसीबी और EOW के आंकड़ों से लगाया जा सकता है। पूर्व की बीजेपी सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के राज के आखिरी चार साल के दौरान ही एसीबी और ईओडब्ल्यू ने 231 मामलों में प्रदेश के 313 अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की रिपोर्ट दर्ज की। छत्तीसगढ़ विधानसभा के कई सत्रों में भ्रष्टाचार के मामले उठे और वैधानिक कार्यवाही के आसार भी नज़र आए थे। लेकिन देखते ही देखते वर्ष 2018 में बीजेपी के पाले से सत्ता खिसक कर कांग्रेस के हाथो में आ गई।
इस दौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुपे बघेल ने 2005 बैच के आईपीएस शेख आरिफ को EOW की कमान सौंप दी। नतीजतन इस दागी अफसर ने देखते ही देखते दर्जनों भ्रष्ट अफसरों से मोटी रकम की उगाही कर मामला ही रफा-दफा कर दिया। यही नहीं उनकी आईएएस पत्नी ने भी इसी तर्ज पर भ्रष्ट कार्यप्रणाली का परिचय देते हुए बतौर सचिव महिला बाल विकास विभाग और हाउसिंग बोर्ड में कमीशनखोरी का परिचय देते हुए कई घोटालो को अंजाम दिया। इस दम्पति की कांग्रेस राज के मात्र 5 सालो में कमाई गई आकूत संपत्ति का आंकड़ा 100 करोड़ पार कर चुका है। बताते है कि इसमें महादेव एप्प घोटाले से अर्जित रकम का बड़ा हिस्सा भी शामिल है।
एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध अन्वेषण विंग ने वर्ष 2014 से 2018 तक भ्रष्टाचार के 217 प्रकरण कायम किए हैं। एसीबी और ईओडब्ल्यू ने इन प्रकरणों में 2 अरब 7 करोड़ 47 लाख 72 हजार रुपए की चल-अचल संपत्ति बरामद की थी। इनमें 3 आईएएस अधिकारी, 3 राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर मिलाकर कुल 313 लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की गई थी। हैरतअंगेज तथ्य यह है कि कांग्रेस राज में EOW ने पुरे 5 वर्ष तक किसी भी भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस वैधानिक कार्यवाही नहीं की, अपितु लेन-देन कर कई गंभीर प्रकरणों का खात्मा कर दिया गया है। इससे पूरे प्रदेश में भ्रष्ट नौकरशाही के हौसले बुलंद बताए जाते है।
बताते है कि क्रेडा का भी बुरा हाल है, यहाँ जारी भ्रष्टाचार के अवशेष प्रदेश के उन खास चुनिंदा स्थानों में नजर आ रहे है, जहाँ सौर सुफला योजना, हाई मास्क और जल जीवन मिशन जैसी महती योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।कई ठेकेदार तस्दीक कर रहे है कि क्रेडा की योजनाओं में आम हितग्राहियों को चूना लगाया जा रहा है। यह रकम कई नामी-गिरामी बिल्डरों और हवाला कारोबारियों के साथ मिलकर ठिकाने भी लगाई जा रही है। इसी क्रम में जिला मुंगेली में कार्यों के गुणवत्तायुक्त नहीं पाये जाने पर जिले के उप-अभियंता श्री शिवेन्द्र सिंह को नोटिस जारी किया गया है। बिलासपुर में भी कार्यों की गुणवत्ता संतोषप्रद नही पाए जाने पर बिलासपुर जिले के जिला प्रभारी नंदकिशोर राय को भी नोटिस जारी किया गया है। लेकिन संतोषजनक कार्य नहीं पाए जाने के बावजूद जांच के घेरे में आए अफसरों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई।
क्रेडा में भ्रष्टाचार का थ्री लेयर सिस्टम सामने आया है। इसमें ठेकेदारों का पंजीयन, नियमों के विपरीत कार्यों को सबलेट करना और विभाग द्वारा जारी कंप्लीशन ऑफ़ वर्क सर्टिफिकेट बताया जा रहा है। यह भी बताया जा रहा है कि नौजवानों को रोजगार के नाम पर बगैर किसी ठोस अनुभव और पात्रता के आबंटित किये जा रहे कार्यों को भी अवैध आय का जरिया बना लिया गया है। नियमों के मुताबिक भारत सरकार ने जल जीवन मिशन समेत अन्य योजनाओं की गुणवत्ता बरक़रार रखने के लिए सबलेटिंग जैसी कवायत पर पाबंदी लगाई हुई है। बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ में यह कार्य मनमाने तौर पर जारी है।
जानकार तस्दीक कर रहे है कि क्रेडा में प्रोडक्ट मैनिफेक्चरर, तीन हिस्सों में बंटे हुए है। इसमें पहले नंबर पर वो कंपनियां है, जो सिर्फ पंप सेट निर्मित करती है, दूसरे ‘पैनल’ और तीसरे ‘कंट्रोलर’ मैन्युफैक्चरर है। क्रेडा से जुड़ी विभिन्न योजनाओं के लिए ऐसी सामग्री अनिवार्य है। बताया जाता है कि दिल्ली और मुंबई बाजार का गुणवत्ताविहीन माल खपाने के लिए दर्जनों नए नवेले ठेकेदारों को मैन्युफैक्चरर ऑथराइजेशन सर्टिफिकेट मुहैया कराया जा रहा है।
प्रदेश में सेमी इंटीग्रेटेड सोलर लाइट खरीदी की आड़ में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। सांसद और डीएमएफ फंड से अकेले कोरबा और बस्तर संभाग के सात जिलों में 100 करोड़ रुपये की सोलर लाइट खरीदी की गई है, जबकि शासन का स्पष्ट आदेश है कि सोलर लाइट की खरीदी सिर्फ क्रेडा से होगी। सभी विभागों को इसका कड़ाई से पालन करने भी कहा गया था।बीते एक-दो साल के भीतर कोरबा में डीएमएफ और बस्तर संभाग के सात जिलों में सांसद मद से सेमी इंटीग्रेटेड सोलर लाइट की खरीदी ग्राम पंचायतों ने की है। जबकि ग्राम पंचायत खरीदी के लिए अधिकृत ही नहीं है। पड़ताल में सामने आया है कि एक सेमी इंटीग्रेटेड सोलर लाइट का बिल 45 हजार रुपये पेश किया गया है, जबकि यही बाजार में अधिक से अधिक 15 हजार रुपये में आसानी से मिल रही है। वहीं एक हाई मास्ट लाइट लगाने में जनपद पंचायत की ओर से सात लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। बाजार में इसकी कीमत करीब दो लाख 75 हजार रुपये है।
फिलहाल ‘क्रेडा’ छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का बड़ा केंद्र साबित हो रहा है। जनता से जुड़ी योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन के लिए इस विभाग की गतिविधियों पर केंद्र और राज्य सरकार के गौर फरमाने की आवश्यकता जताई जा रही है। प्रदेश में अवैध आय का जरिया बन चुकी सरकारी योजनाओं को भ्रष्टाचार एवं कमीशनखोरी के गोरखधंधे से बचाने के लिए आखिर एजेंसियां कब ठोस कदम उठाएंगी, यह देखना गौरतलब होगा।