छत्तीसगढ़ में असमंजस स्थिति में हज़ारों स्कूली छात्र, निजी और अशासकीय स्कूलों में नहीं होगी पांचवीं व आठवीं की बोर्ड परीक्षा, अदालती फरमान के बाद अभिभावकों की स्कूल दौड़…. 

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के तमाम स्कूलों में अब वार्षिक परीक्षाओं का दौर शुरू हो गया है। इस बीच बिलासपुर हाई कोर्ट के एक ताजा फैसले के बाद सैकड़ों स्कूलों में गहमागहमी नजर आ रही है। दरअसल, राज्य सरकार द्वारा इस सत्र से ली जा रही पांचवी और आठवीं की बोर्ड परीक्षा निजी और अनुदान प्राप्त अशासकीय स्कूलों में नहीं होंगी। हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में राज्य की केंद्रीयकृत परीक्षाओं से निजी स्कूलों को अलग कर दिया है। जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने यह निर्णय छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के साथ अन्य दो याचिकाओं पर दिया है।

सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता ने जवाब में कहा कि सरकार ने फैसला लिया है कि फिलहाल इस सत्र में पांचवीं और आठवीं की इन केंद्रीयकृत परीक्षाओं से निजी स्कूलों को अलग कर दिया जाए। इसके साथ ही अनुदान प्राप्त स्कूलों में भी यह बोर्ड परीक्षा नहीं होंगी। चूंकि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों और पालकों की ओर से कोई आपत्ति या याचिका नहीं आई है, इसलिए प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में इन दोनों कक्षाओं की केंद्रीयकृत परीक्षाएं होंगी। सरकारी स्कूलों के लिए समय सारिणी जारी करने के साथ ही प्रश्न पत्र का ब्लू प्रिंट भी जारी कर दिया गया है।

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल से मान्यता प्राप्त स्कूलों में इसी सत्र से 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षा लेने के शिक्षा विभाग का आदेश के खिलाफ निजी स्कूलों के साथ अभिभावकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। निजी स्कूल एसोसिएशन का कहना था कि उन्होंने पहले ही शिक्षा विभाग को लिखकर दिया था कि वे सीजी समग्र एवं सरकारी स्कूल बोर्ड परीक्षा के लिए तैयार मूल्यांकन पैटर्न पर बच्चों को पढ़ा रहे है। दायर याचिका में यह भी कहा गया था कि अब तक इन कक्षाओं के होम एग्जाम हुआ करते थे। लेकिन सत्र के आखिरी चरण में 5वीं और 8वीं की परीक्षा आयोजित करने का निर्णय राज्य शासन ने लिया है, जिससे बच्चों को परेशानी होगी। 

इस फैसले से स्कूलों और विद्यार्थियों पर दबाव बढ़ गया है। याचिका में कहा गया था कि बच्चों की पूरी पढ़ाई निजी प्रकाशकों की किताबों से हुई है, और अब सीजी बोर्ड के पैटर्न पर परीक्षा देना बच्चों के लिए कठिन हो सकता है। याचिका में यह भी कहा कि अगर बोर्ड परीक्षा के आदेश को बरकरार रखा जाता है, तो छात्रों और स्कूलों को नए सिरे से तैयारी करनी होगी। निजी स्कूल एसोसिएशन की ओर से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि, शासन एक तरह से स्कूली बच्चों में भेदभाव कर रहा है।

स्कूलों में अदालत के फैसले का खासा असर देखा जा रहा है। कई अभिभावकों ने बच्चों के प्रदर्शन और पढाई-लिखाई के मद्देनजर साफ़ किया है कि ऐन परीक्षा के वक़्त 5वीं और 8वीं परीक्षाओं कों लेकर आया फैसला उनके लिए हैरत भरा है। ज्यादातर अभिभावकों ने यह भी कहा कि उनके संज्ञान में यह तथ्य अदालती फैसले के बाद आया है। फ़िलहाल, अभिभावक बच्चों के इम्तहान के सिलसिले में स्कूलों का रुख कर रहे है।