छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की ‘डर्टी कंपनी’ के लिए फर्जी साक्ष्य गढ़ने वालों की अब खैर नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की अनवर ढेबर की जमानत, मेडिकल प्रमाण-पत्र जारी करने वाला डॉक्टर मुसीबत में…

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दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में कथित 2200 करोड़ के शराब घोटाले में कारोबारी अनवर ढेबर की जमानत सर्वोच्च न्यायालय ने ख़ारिज कर दी है। जानकारी के मुताबिक जिस मेडिकल ग्राउंड के आधार पर अनवर ढेबर को पूर्व में जमानत स्वीकृत की गई थी, वह मेडिकल रिपोर्ट अदालत में झूठी-गलत साबित हुई है। इसके साथ ही झूठी मेडिकल रिपोर्ट जारी करने वाले एक डॉक्‍टर के खिलाफ अपराध दर्ज कर विवेचना शुरू किये जाने की जानकारी मिली है।

बताया जा रहा है कि आरोपी डॉक्टर को जल्द ही बर्खास्‍त भी किया जा सकता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अनवर ढेबर और ED के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई। कारोबारी ढेबर की ओर से उनकी मेडिकल रिपोर्ट को लेकर तर्क भी दिए गए, वही अभियोजन की ओर से ED ने दस्तावेजी रिपोर्ट भी पेश की। इसमें ढेबर की जमानत रद्द करने की मांग के साथ पूर्व की मेडिकल रिपोर्ट को भी चुनौती दी गई थी।

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद अनवर ढेबर की जमानत रद्द कर दी है। यह भी बताया जा रहा है कि ढेबर को 8 जून को ईलाज के लिए डीकेएस ले जाया गया था। इस दौरान उनकी पूर्व की मेडिकल रिपोर्ट का भी अध्ययन करने के साथ ही डॉक्टरों की टीम ने उनकी गहन जांच कर असलियत जाहिर कर दी थी। सूत्रों के अनुसार इसी मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर अनवर ढेबर को जुलाई में हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत स्वीकृत की थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। 

गौरतलब है कि शराब घोटाले में कारोबारी अनवर ढेबर के बयानों पर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की गिरफ्तारी तय मानी जा रही है। हालांकि अभी तक की विवेचना में पूर्व मुख्यमंत्री को लेकर कोई स्पष्ट बयान दर्ज नहीं कराया है। सूत्र तस्दीक कर रहे है कि ढेबर की जमानत रद्द होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री पर भी एजेंसियों का शिकंजा कस सकता है। इस घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री के अलावा कई और अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।

बताया जाता है कि किडनी और गॉलब्लैडर स्टोन से ग्रसित होने वाली एक मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर जुलाई माह में बिलासपुर हाईकोर्ट ने ढेबर को अंतरिम जमानत प्रदान की थी। एक शिकायत के बाद ढेबर की मेडिकल रिपोर्ट की पुनः जांच की गई थी। जानकारी के मुताबिक इस जांच में दूध का दूध और पानी का पानी साफ हुआ था। डॉक्टरों की टीम ने पूर्व में जारी मेडिकल रिपोर्ट को गलत पाया था। इसके बाद रायपुर के डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के एक गोस्‍ट्रो सर्जन को तलब भी किया गया था। 

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासन काल के दर्जनों घोटालों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल सुर्ख़ियों में है। बताया जाता है कि शराब घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश किये जाने को लेकर विचार मंथन भी जारी है। यह मामला भी अन्य घोटालों की तर्ज पर सीबीआई को सौंपे जाने के आसार बढ़ गए है। इसका कारण भी गिनाया जा रहा है। जानकारों के मुताबिक दिल्ली से बड़े इस शराब घोटाले में कई प्रभावशील अधिकारी भी शामिल थे।

राज्य के EOW ने डेढ़ दर्जन से ज्यादा आबकारी अधिकारियों को नोटिस जारी कर उनके बयान भी दर्ज किये है। लेकिन दागी अफसरों ने अपने बयानों में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के नाम का जिक्र तक नहीं किया है। उनके मुताबिक प्रभावशील सरकारी मशीनरी ही कानून की धज्जियाँ उड़ा रही थी। यह भी बताया जाता है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के रंग में रंगे आबकारी अधिकारी सरकारी नियमों के तहत ही घोटाले को अंजाम दे रहे थे।

पूर्व मुख्यमंत्री के सुनियोजित दिशा-निर्देशों के तहत ही आबकारी अमला राज्य सरकार को रोजाना करोड़ो का चूना लगा रहा था। आबकारी घोटाले से प्राप्त रकम की बंदरबांट के तार दुबई तक जुड़े बताये जाते है। जानकार तस्दीक कर रहे है कि प्रभावशील आरोपियों ने हवाला के जरिये मोटी रकम दुबई में निवेश की है, जेल की हवा खा रहे तत्कालीन आबकारी सचिव अरुण पति त्रिपाठी ने दुबई समेत खाड़ी देशों में इस रकम को भेजने का पुख्ता बंदोबस्त भी किया था।

सूत्रों के मुताबिक भूपे के भ्रष्टाचारों में फर्जी साक्ष्य गढ़ने वाले अफसरों के अलावा कायदे-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाने वाले सरकारी सेवकों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने की पहल ‘साय सरकार’ ने शुरू कर दी है। DKS अस्पताल में पदस्थ एक सीनियर डॉक्टर के खिलाफ की गई वैधानिक कार्यवाही को इसी कड़ी से जोड़ कर देखा जा रहा है।