वॉशिंगटन: पत्रकारों पर हमले और फर्जी मुकदमों में फंसाने की साजिश सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि देश से सात समुन्दर पार पडोसी मुल्को पर भी अंजाम दी जा रही है। सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का मामला एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय चर्चा में है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय प्रेस दिवस के मौके पर देश- विदेश के पत्रकारों पर फर्जी मुकदमों और प्रताड़ना के मामलों पर गहरी चिंता जाहिर की गई थी। वॉशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार रहे खशोगी की पत्नी हनन एल्तार खशोगी ने भावुक होकर कहा कि किसी भी हाल में अपहरण और प्रताड़ना को सही नहीं ठहराया जा सकता। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की वह टिप्पणियां भी दोबारा चर्चा में आ गई हैं, जिनमें उन्होंने 2018 में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का खुलकर बचाव किया था।

ट्रंप ने उस समय अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की जांच को खारिज करते हुए दावा किया था कि क्राउन प्रिंस का इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में हुई इस हत्या से कोई संबंध नहीं है। ट्रंप ने खशोगी को बहुत विवादित व्यक्ति बताते हुए कहा था कि उनके बारे में बहुत लोग पसंद नहीं करते और ऐसी चीजें हो जाती हैं। उन्होंने खुफिया रिपोर्टों की बजाय सऊदी नेतृत्व के बयानों पर अधिक भरोसा जताया और कहा था कि कूटनीतिक मेहमान को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा नहीं किया जाना चाहिए।

खशोगी की हत्या पर ट्रंप ने पहले क्या बोला ? इस पर भी गौर फरमाएं, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,ट्रंप ने 2018 में खशोगी की हत्या के तुरंत बाद सऊदी अरब के साथ आर्थिक संबंधों को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा था, कि वह अमेरिका में आने वाले अरबों डॉलर को रोकने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने बार-बार क्राउन प्रिंस के इनकार को दोहराया और कहा कि वह कुछ नहीं जानते थे। उस समय एक्स पर में ट्रंप ने लिखा था कि उन्होंने क्राउन प्रिंस से बात की है जिन्होंने दूतावास में हुई घटना के बारे में पूरी तरह अनजान होने की बात कही। इसके बाद भी कई अवसरों पर ट्रंप ने इसी बयानबाजी को मजबूत किया।

मीडिया रिपोर्ट यह भी बताती है,कि क्राउन प्रिंस का बचाव करते रहे ट्रंप। इसके मुताबिक,जब अमेरिकी मीडिया ने रिपोर्ट किया कि सीआईए ने क्राउन प्रिंस की हत्या में प्रत्यक्ष भूमिका की पुष्टि की है, तब भी ट्रंप ने कहा था कि हमें बताया गया है कि उनकी कोई भूमिका नहीं थी, और फिर वही पुराना बयान दोहराया कि कौन सच जान सकता है। नवंबर 2018 में जारी एक लिखित बयान में उन्होंने इस हत्या को अस्वीकार्य और भयानक अपराध कहा, लेकिन साथ ही यह भी लिखा कि शायद उन्होंने किया हो, शायद नहीं किया हो। ट्रंप ने बार-बार यह भी कहा कि अमेरिका का संबंध व्यक्तियों से नहीं, बल्कि सऊदी अरब के साम्राज्य से है।

खशोगी की हत्या ने अमेरिकी-सऊदी संबंधों, हथियार सौदों और विदेश नीति पर गहरी बहस छेड़ी थी। ट्रंप ने आर्थिक हितों और कूटनीतिक साझेदारी को प्राथमिकता देते हुए अरबों डॉलर के रक्षा सौदों को रद्द करने से इनकार किया था। इसमें कोई संदेह नहीं कि उस समय उनके बयान सऊदी नेतृत्व के लिए सबसे प्रबल सार्वजनिक समर्थन माने गए थे। आज जब खशोगी का मामला फिर चर्चा में है, पत्नी हनन एल्तार का बयान यह याद दिलाता है कि जवाबदेही और न्याय की मांग अब भी अधूरी है। सात साल बाद भी वो न्याय की राह देख रही हैं। फ़िलहाल, पत्रकारों की निर्मम हत्या और प्रताड़ना के मामलो पर अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक समुदाय भी चिंता जाहिर कर रहा है।
