कांग्रेस के इस नेता ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते ही अपने मातहत के साथ रचाया प्रेत-विवाह, कार्तिक पूर्णिमा पर ब्रह्म स्नान से चूके, सुर्ख़ियों में तंत्र-मंत्र का साइड इफ्फेक्ट, देखे वीडियो….. 

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गुवाहाटी/रायपुर: राजनीति में तंत्र-मंत्र साधना और ज्योतिषियों का चक्कर आम बात है। लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर स्थाई कब्ज़ा करने के लिए तांत्रिक क्रियाओं के अलावा अपनी अधीनस्त किसी महिला के साथ शादी रचाना, हैरतअंगेज कदम के रूप में देखा जाता है। आज चर्चा छत्तीसगढ़ के उस कांग्रेसी नेता की जिसे वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया गया था। इस शख्स का प्रेत विवाह सुर्ख़ियों में है। जानकार बताते है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर लगातार काबिज रहने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ने बिलासपुर स्थित तांत्रिक केके श्रीवास्तव के कथित आश्रम में कई तांत्रिक क्रियाएं और अनुष्ठान संपन्न कराये थे। तंत्र-मंत्र और जादू-टोन से जुड़ी ऐसी अवांछनीय गतिविधियों के जरिये विपक्षी नेताओं और विरोधियों पर लगाम कसे जाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और उसकी तांत्रिक पत्नी ने कानून तक अपने हाथों में उठा लिया था। जी हाँ, हम बात कर रहे है, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपे और उनकी तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के रहस्मय जीवन दर्शन पर…

राजनीति और नौकरशाही की इस जुगल जोड़ी के अपराधों की लंबी श्रृंखला बताई जाती है। हालांकि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर इस दंपति के अनुष्ठान में शामिल नहीं होने के चलते घोरनिष्ठ की आशंका जाहिर की जा रही है। बताते है कि पूर्व मुख्यमंत्री के लिए हवन-यज्ञ करने वाले साधक ही अब अनिष्ट की आशंका जाहिर कर रहे है। उनके मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री ने ब्रह्म स्नान की अवहेलना कर पूर्व में संपन्न किये गए तंत्र-मंत्र और साधना पर विराम लगा दिया है। इसके साइड इफ्फेक्ट भी गिनाये जा रहे है। एक घोर तांत्रिक ने इसकी तस्दीक करते हुए बताया कि प्रेत विवाह संपन्न होने के बाद ऐसे दम्पतियों के लिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म स्नान नहीं करने से जीवन में विपरीत प्रभाव और संकटों का सामना करना पड़ता है।

उनके मुताबिक वर्ष 2020 में बिलासपुर के एक आश्रम में पूर्व मुख्यमंत्री ने आज ही के दिन अपनी मातहत के साथ प्रेत विवाह रचाया था। इस मौके पर आयोजित अनुष्ठान में शामिल होने के लिए वे भी तांत्रिक केके श्रीवास्तव के अनुनय-विनय पर बिलासपुर पहुंचे थे। इस प्रेत विवाह को रात्रि के तीसरे पहर संपन्न कराया गया था। इसमें नव दंपति को नियमों के पालन के लिए कड़ी हिदायत दी गई थी। इसके बावजूद, इस दंपति द्वारा तंत्र क्रियाओं की अवहेलना करने से पूर्व में किये गए तमाम उपाय अब निरर्थक हो गए है। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपे और उनकी तत्कालीन उपसचिव की कार्यप्रणाली तांत्रिक क्रियाओं से भी जुड़ी पाई गई है।

बिलासपुर के एक आश्रम में बगैर पर्याप्त सुरक्षा और प्रोटोकॉल तोड़, पूर्व मुख्यमंत्री का आधी रात उपस्थित होना पुलिस और प्रशासन के लिए भी सिर दर्द साबित होता था। बताते है कि सौम्या तंत्र-मंत्र की भी जानकार है। उसने ढ़ाई-ढ़ाई साल के मुख्यमंत्री के फॉर्मूले को भी अपनी तंत्र क्रियाओं से टाल दिया था। हालांकि विज्ञान की कसौटी पर ये क्रियाएं खरी नहीं उतरती। लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इस नव दंपति के तंत्र-मंत्र नौकरशाही और विरोधियों पर मंडराते भी रहे। बताते है कि अब यह भ्रम जाल टूट चूका है।  

न्यूज़ टुडे संवाददाता द्वारा तांत्रिक से चर्चा करते हुए सवाल किया गया कि आखिर प्रेत विवाह क्या होता है ? इसे कैसे संपन्न किया जाता है ? इस सवाल का जवाब देते हुए घोर तांत्रिक बाबा ने बताया कि हिंदू धर्म में विवाह के 8 प्रकार है। इसमें ब्रह्म विवाह, देव विवाह, आर्ष विवाह, प्रजापत्य विवाह, असुर विवाह, गांधर्व विवाह, राक्षस विवाह और पैशाच विवाह शामिल है। उनके मुताबिक कई राजनेता अपनी राजनीति चमकाने और कुर्सी पर सदा स्थापित रहने के लिए असुर विवाह और पैशाच विवाह को प्राथमिकता देते है, पैशाच विवाह को प्रेत विवाह भी कहा जाता है। उनके मुताबिक केके के आश्रम में पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी मातहत के साथ इसी प्रेत विवाह के फेरे लिए थे।

घोर तांत्रिक बाबा कहते है कि प्रेत विवाह में कन्या के पिता या परिवार को धन या अन्य संपत्ति देकर मनमर्जी से कन्या को ग्रहण करना आसुरी-प्रेत विवाह कहलाता है। इसमें कन्या की मजी या नामर्जी का ध्यान नहीं रखा जाता। बल्कि उसके माध्यम से शादी मंडप में ही पैशाचिक तंत्र क्रियाएं संपन्न कराई जाती है। वे बताते है कि ऐसे विवाह योग्य वर-वधु में सोई हुई, नशे में मतवाली, मानसिक रूप से कमजोर कन्या को उसकी स्थिति का लाभ उठाकर तंत्र-मंत्र किये जाते है। शास्त्रों में ये विवाह सबसे निम्न कोटि का बताया गया है। हालाँकि राजनीति के क्षेत्र में दुश्मनों को नष्ट करने के लिए इसी विवाह को संपन्न कराया जाता है। 

बताते है कि 5 वर्ष बाद यह पहला मौका है, जब छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ना तो किसी जलाशय में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई और ना ही प्रातः काल ‘ब्रह्म स्नान’ किया। पूर्व मुख्यमंत्री का आज के दिन 15 नवंबर को ‘कार्तिक पूर्णिमा’ के अवसर पर ब्रह्म स्नान करने से अचानक कदम पीछे खींच लेने का मामला चर्चा में है। असम स्थित कामाख्या मंदिर परिसर में पूर्व मुख्यमंत्री के इस अनुष्ठान से पीछे हटने की चर्चा जोरो पर हो रही है। तंत्र-मंत्र के भंग होने और समय पर अनुष्ठान नहीं करने के चलते भूपे संग सौम्या के प्रेत विवाह की 5 वीं सालगिरह की चमक अचानक फीकी पड़ गई है। 

मंदिर परिसर में यज्ञ-जप में जुटे तांत्रिकों के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन अनुष्ठान बेला समाप्त होने के बाद इस ‘प्रेत दंपति’ के लिए पूर्व में कथित तांत्रिकों द्वारा सिद्ध किये गए यंत्र, मारण-स्तंभन और उच्चाटन जैसे उपाय आज स्वमेव प्रभावहीन हो गए है। सूत्रों के मुताबिक, रायपुर में अपराध दर्ज होने के बाद फरार तांत्रिक केके श्रीवास्तव भी इन दिनों असम के कामाख्या मंदिर में डेरा डाले बताये जा रहे है।

यह भी बताया जा रहा है कि भूपे दंपति को कई समस्याओं से निजात दिलाने के लिए यहाँ एक आश्रम में तांत्रिक केके भी हवन कुंड में आहुतियां डालने में व्यस्त नजर आ रहे है। जानकारी के मुताबिक असम से आयातित कुछ चुनिंदा तांत्रिकों की मौजूदगी में 5 वर्ष पूर्व इसी श्रीवास्तव के आश्रम में पूर्व मुख्यमंत्री भूपे ने अपनी मातहत के साथ प्रेत विवाह रचाया था। लेकिन प्रेत पत्नी के वर्ष 2022 में जेल की हवा खाने के चलते कुछ महत्वपूर्ण अनुष्ठान भंग हो गए थे। इसके बाद तंत्र-मंत्र का साइड इफ्फेक्ट शुरू हो गया था।

वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान विजय की ओर बढ़ चुकी तत्कालीन कांग्रेस की बघेल सरकार अचानक धाराशाही हो गई थी। सत्ता हाथ से जाने से पूर्व ही प्रतिन पत्नी का ठिकाना बदल गया था। जानकारों के मुताबिक तत्कालीन उपसचिव जहाँ जेल दाखिल हो गई थी, वही पूर्व मुख्यमंत्री की पुत्र ने जहर का सेवन कर लिया था।

उसे गंभीर अवस्था में एयर एम्बुलेंस द्वारा रायपुर से दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में दाखिल कराया गया था। यही नहीं स्वयं भूपे के खिलाफ कई मामले दर्ज हो चुके है। भिलाई के एक प्रोफ़ेसर पर जानलेवा हमले के चलते उनके पुत्र और पुत्री से पुलिस पूछताछ में जुटी है। राजनीति के इस नव दंपति के दो जुड़वा बच्चों के नैसर्गिक माता-पिता की पहचान का मामला भी जाना तंत्र-मंत्र के साइड इफ्फेक्ट से जुड़ा बताया जाता है। बताते है कि ये दोनों बच्चे पूर्व मुख्यमंत्री की तत्कालीन उपसचिव के कब्जे में है।

उसका दावा है कि ये दोनों बच्चे उसके है। जबकि मेडिकल साइंस तस्दीक करता है कि बगैर गर्भ धारण किये कोई भी महिला मातृत्व सुख प्राप्त नहीं कर सकती। विज्ञान को चुनौती दे रहे इन बच्चों के जेनेटिक मदर-फादर की पहचान का मामला DNA टेस्ट की राह तक रहा है। ये बच्चे आखिर कैसे इस दंपति की गोद तक पहुंचे चर्चा का विषय बना हुआ है।

इनकी उत्पत्ति से लेकर सौम्या के कब्जे तक के मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है। जबकि इन बच्चों के नैसर्गिग माता-पिता को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और उनकी प्रिय उपसचिव चुप्पी साधे हुए है। बहरहाल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपे कार्तिक पूर्णिमा स्नान के वीडियो सोशल मीडिया पर साल दर साल शेयर करते रहे है।

लेकिन इस बार उनके समर्थकों को उस समय निराशा हाथ लगी, जब सुबह सबेरे वे जलाशय तो पहुंचे, लेकिन वहां दूर-दूर तक पूर्व मुख्यमंत्री नजर नहीं आये। फ़िलहाल, इस दंपति का प्रेत विवाह सुर्ख़ियों में है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने इस मामले को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपे से संपर्क किया। लेकिन कोई प्रति उत्तर प्राप्त नहीं हो सका।