रायपुर/बस्तर/राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में चौतरफा अचानक जाम की स्थिति निर्मित हो रही है। इस मामले में PWD और NHAI विभाग की अनियमिता और अनदेखी सुर्ख़ियों में है। प्रदेश में स्टेट हाईवे और नेशनल हाईवे में सड़कों के निर्माण में भारी भरकम भ्रष्टाचार और अनियमिता से आवागमन का बुरा हाल है। इन सड़कों के निर्माण और मरम्मत पर सालाना करोड़ों का भुगतान हो चूका है, बावजूद इसके सड़कों की हालत दयनीय और गुणवत्ताविहीन है। नतीजतन एक बड़ी आबादी कभी बेतरतीब सड़क निर्माण से हादसों का शिकार हो रही है, तो कई इलाकों में जाम के हालात बन गए है, रही-सही कसर टोल टैक्स प्लाजा में अवैध वसूली ने पूरी कर दी है। हालत यह है कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष से लेकर PWD मंत्री तक को सड़कों की खांक छाननी पड़ रही है। सुगम यातायात और विवाद सुलझाने के लिए प्रदेश की सड़कों में सरकार को आम लोगों को होने वाली तकलीफों से वाकिफ होना पड़ रहा है।
सरकार के मंत्रियों के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष भी हकीकत से वाकिफ हो रहे है। ताज़ा मामला बस्तर में नेशनल हाईवे का है। यहाँ भी करीब 8 घंटे से लगे जाम को हटाने के लिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव को सड़क पर उतरना पड़ा। घटना बीती रात की बताई जा रही है। इसके एक दिन पहले PWD मंत्री अरुण साव ने मोवा ओवर ब्रिज में उतर कर गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्यों का जायजा लिया था। छत्तीसगढ़ में बीते 5 सालों में पूर्ववर्ती भूपे सरकार के कार्यकाल में नियम-कायदों के तहत ना तो सड़कों का निर्माण कार्य करवाया गया था और ना ही मरम्मत के कार्यों में गुणवत्ता पर कोई ध्यान दिया गया। ऐसे में ओवर ब्रिज, फ्लाई ओवर और सड़कों की हालत दयनीय है। PWD मंत्री अरुण साव के पैरों तले जमीन उस समय खिसक गई जब उन्होंने अपनी गाड़ी से उतर कर सड़क पर कदम रखा।
रायपुर के सबसे व्यस्त मोवा ब्रिज पर पैर रखते के साथ ही मंत्री जी को सड़कों की गुणवत्ता का अहसास हो गया था। उन्होंने अपने हाथों से इस सड़क की परत की परत उठा कर गुणवत्ता की हकीकत दिखलाई। फिर मौके पर मौजूद अधिकारियों को बगले झांकने का मौका भी नहीं मिला। करोड़ों के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता देखकर उनका भी चेहरा शर्म से झुक गया। मामले की जांच के निर्देश देने के बाद PWD मंत्री अरुण साव का काफिला अपने अगले पड़ाव की ओर बढ़ गया। बताया जाता है कि बीते 5 सालों में तत्कालीन भूपे बघेल सरकार इस ओवर ब्रिज की मरम्मत और नवनिर्माण पर करोड़ो खर्च कर चुकी है, बावजूद इसके कदम-कदम पर सड़क के चिथड़े उड़ गए है।
उधर छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से जोड़ने वाले रायपुर-जबलपुर नेशनल हाईवे का भी बुरा हाल है। यहाँ भी रोजाना जाम की स्थिति निर्मित हो रही है। बताया जाता है कि कवर्धा- चिल्फी घाटी को जोड़ने वाले करीब आधा दर्जन स्टेट हाईवे कई जगह से उखड़ चुके है। सड़कों पर बड़े-बड़े गढ्ढे दूर से ही नजर आते है। यही हाल नेशनल हाईवे का भी बताया जा रहा है। यहाँ सड़कों के दोनों ओर फेंसिंग नहीं होने के चलते आवारा पशु नियमित आवाजाही कर रहे है। इसके चलते कई वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो रहे है। रायपुर को कान्हा किसली नेशनल पार्क से जोड़ने वाले मार्ग पर किसी ना किसी कारण से आये दिन जाम लग रहा है। रोजाना 8 से 10 घंटे तक लगने वाला जाम यात्रियों की मुसीबत का सबब बन गया है।
पीड़ित राहगीरों के मुताबिक नेशनल हाईवे पर तय गाइडलाइन के अनुसार निर्माण नहीं होने के चलते यात्री वाहनों और आम लोगों को कठिनाई उठानी पड़ रही है। उनके मुताबिक नेशनल हाईवे सड़क के दोनों और कई इलाकों में बड़े-बड़े गड्ढे होने से वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे है। यहाँ साइन बोर्ड भी नहीं होने से इस नेशनल हाईवे से गुजरना खतरनाक साबित हो रहा है। चिल्फी घाटी के करीब मार्ग पर एक वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने पर घंटों जाम की स्थिति बनी रही।
घटना इसी हफ्ते सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात्रि की बताई जाती है। इधर बीती रात रायपुर-जगदलपुर नेशनल हाईवे पर भी गहमा-गहमी रही। जगदलपुर से लगभग 8 किलोमीटर पहले तक के एक लंबे जाम का शिकार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव भी हो गए। इस टोल प्लाजा में अवैध वसूली की ढेरों शिकायतों के चलते आये दिन जाम की स्थिति निर्मित हो रही है।
बीती रात्रि भी ऐसे ही एक विवाद को लेकर घंटों जाम की स्थिति निर्मित रही। बताया जाता है कि टोल प्लाजा और वाहन चालकों के बीच छिड़े विवाद के चलते 10 किलोमीटर लंबा जाम लग गया था। इस जाम में माल वाहक ट्रकों के अलावा बड़ी तादात में उन छोटे वाहनों की कतार लगी थी, जिसमे सवार लोग अपनी पारिवारिक यात्रा के लिए सफर कर रहे थे। लोगों को मुसीबत में देख बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव भी अपने वाहन से उतरे और जाम हटाने की कवायत में जुट गए। उन्होंने टोल प्लाजा कर्मियों और वाहन चालकों की शिकायतें सुनने से पहले जाम हटाना शुरू करवाया, फिर दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद वैधानिक कार्यवाही का भरोसा भी दिया।
छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश से जोड़ने वाली सड़कों पर भी निर्माण और मरम्मत का कार्य पिछले 5 वर्षों से ठप बताया जाता है। जानकारी के मुताबिक बिलासपुर टोल प्लाजा में भी जहाँ अवैध वसूली की शिकायतें आम है वही मरवाही-पेंड्रा, अमरकंटक से लेकर शहडोल तक, अंबिकापुर, कोरबा, जशपुर और धरमजयगढ़ से लेकर उत्तरप्रदेश की सरहद तक स्टेट और नेशनल हाईवे का बुरा हाल है। सड़के जगह-जगह से उखड़ चुकी है, कई सड़कों पर तो सालों से मरम्मत तक का कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
इन इलाकों में भी भारी वाहनों के चलते दुर्घटना का ग्राफ बढ़ा है, वही आम यात्रियों को भी असुविधा उठानी पड़ रही है। जबकि इन मार्गों के टोल टैक्स प्लाजा में वाहन चालकों की जेब कटना कोई नई बात नहीं बताई जा रही है। बीजेपी सरकार के सड़कों पर उतरने से पीड़ित राहगीरों को राहत और बचाव का इंतज़ार है। बहरहाल, हादसों के लिए कुख्यात इन राष्ट्रीय और राज्य मार्गों पर नजर हटी दुर्घटना घटी जैसी घटनाएं आम हो चुकी है।
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