महादेव ऐप घोटाले में शामिल दागी IPS अधिकारियों के बचने की गारंटी नहीं, दिल्ली के निर्देश पर नही बल्कि छत्तीसगढ जूनियर IPS लॉबी का खेल, CBI जांच जरूरी…

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रायपुर/दिल्ली। देश में मोदी गारंटी विश्वास अर्जित कर रही है।यह विश्वास विकास और समृद्धि के साथ भ्रष्टाचार के सफाए का है।PM मोदी अपनी जन-सभाओं में मोदी गारंटी देकर बीजेपी और कमल का मान सम्मान बढ़ाने में जुटे हैं। ऐसे समय बीजेपी शासित राज्यों की बड़ी जवाबदारी है कि वे मोदी गारंटी का पालन सुनिश्चित करवाए।चुनावी दौर में विपक्ष मोदी गारंटी को लेकर शोक मग्न है, उसे इसका तोड़ नही मिल पा रहा है। लिहाजा समूचा विपक्ष मुद्दों के बजाए मोदी विरोध में उतर आया है। ऐसे समय बीजेपी शासित राज्य छत्तीसगढ़ में नौकरशाही सरकार पर हावी होने का ताना बाना भी बुन रही है। इसकी बानगी उस समय सामने आई जब अंतरराज्यीय महादेव ऐप घोटाले की जांच के मामले में गंभीरता दिखाने के बजाए कानून के हाथ बांध दिए गए। मामला नामजद FIR करने के बजाए अज्ञात के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध करने से जुड़ा है।

महादेव ऐप घोटाले की जांच में जुटी ED ने छत्तीसगढ़ सरकार के आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो को लगभग 70 कारोबारी अफसरों और व्यापारियों के खिलाफ नामजद अपराध दर्ज करने के लिए निर्देशित किया गया था। लेकिन EOW में आरोपियों के खिलाफ नामजद नही बल्कि अज्ञान के खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई। इससे दागी IPS अधिकारियों और सटोरियों ने राहत की सांस ली है। वहीं दोषपूर्ण FIR दर्ज करने को लेकर EOW भी कानूनी रूप से एक पक्षकार बन गया है। ऐसे समय मामले की CBI जांच की मांग जोर पकड़ रही है। छत्तीसगढ़ में EOW के नामजद के बजाए अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज करने का मामला गरमाया हुआ है।महादेव ऐप घोटाले में शामिल आरोपी IPS अधिकारियों को बचाने की मुहिम से मोदी गारंटी पर गहरा धक्का लगने के आसार बढ़ गए हैं।

जनता हैरत में है, सूत्र बताते हैं कि इस मामले से दिल्ली बेखबर है, उसने बीजेपी सरकार को फ्री हैंड दे रखा है। ऐसे समय महादेव ऐप घोटाले की जांच की दिशा और दशा काफी महत्वपूर्ण बताई जा रही है। सूत्र बताते हैं कि अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज करने की पहल सरकार की ओर से नही बल्कि IPS लॉबी के एक जूनियर प्रेशर ग्रुप की ओर से की गईं थी। बताते हैं कि FIR दर्ज होने के बाद मचे बवाल से कई महत्वपूर्ण नेता हालात से रू ब रू हुए हैं। बताया जाता है कि अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज किए जाने हेतु सरकार की ओर से कोई लिखित आदेश या निर्देश EOW को जारी ही नही किए गए हैं। ऐसे में किसके आदेश पर नामजद FIR नही दर्ज की गई, उस प्रभावशील अधिकारी की खोज बिन शुरू हो गई है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी और आरएसएस के कई महत्वपूर्ण नेता भी दबी जुबान से इस मामले की निंदा कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में महादेव ऐप घोटाले की नींव पूर्ववर्ती भू-पे सरकार के कार्यकाल में रखी गई थी। सट्टा कारोबार को संरक्षण देने के एवज में आधा दर्जन से ज्यादा IPS अधिकारियों को हर माह लाखों रुपए नगद मिलते थे।

ED ने उन अधिकारियों के नाम और असल काम का पूरा ब्यौरा EOW को सौंपा था। जानकारी के मुताबिक ED ने PMLA के तहत धारा 50 के तहत गवाहों और आरोपियों के विधिवत बयान दर्ज कर EOW को मामला सौंपा था। बताया जाता है कि ED द्वारा दर्ज बयान की वैद्यता CRPC की धारा 164 के समकक्ष मानी जाती है। इसे मजिस्ट्रेट के समक्ष लिए गए बयान के बराबर माना गया है। इस तथ्य को नजरंदाज कर अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज करने से EOW भी विवादों के घेरे में बताया जाता है।ED ने जिन IPS अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए EOW को निर्देशित किया था उसमें 2005 बैच के शेख आरिफ,2001 बैच के आनंद छाबड़ा, 2001 बैच के अजय यादव और 2007 बैच के प्रशांत अग्रवाल का नाम सुर्खियों मे है। इसके अलावा ASP संजय ध्रुव समेत थानेदारों और सट्टा कारोबारियो की लंबी फेहरिस्त भी EOW को सौंपी गई थी।

इसमें लगभग 70 आरोपियों के नाम शामिल बताए जाते हैं। ED ने धारा 50 के तहत कई आरोपी और गवाहों के दर्ज बयानों के आधार पर देश भर में छापेमारी की थी। इस मामले में लगभग 2000 करोड़ की संपत्ति और नगदी ED जब्त कर चुकी है। यह घोटाला लगभग 6000 करोड़ का आंका गया है। दर्जनों आरोपी जेल की हवा खा रहे हैं, जबकि सट्टा कारोबार में लिप्त IPS अधिकारियों को निलंबित तक नही किया गया है। बताया जाता है कि भू-पे राज में जूनियर IPS अधिकारियों का गिरोह बीजेपी शासनकाल में भी उतना ही प्रभावशील और बेलगाम बताया जाता है। बताते हैं कि जूनियर IPS लॉबी ने सरकार को गुमराह कर नया बवाल खड़ा कर दिया है। इन अधिकारियों का प्रभाव सरकार पर अभी भी इतना अधिक बताया जाता है कि EOW में ED के गवाहों को भी दरकिनार कर दिया गया। दागी अफसर अपने खिलाफ नामजद FIR ना होने देने की मुहिम में जुटे रहे।

छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी महादेव ऐप घोटाले को अंजाम दिया गया था। रायपुर, भिलाई से लेकर दुबई तक कारोबार संचालित हो रहा था। इसमें छत्तीसगढ़ कैडर के कई IPS अधिकारी ब्रांड एंबेसडर की तर्ज पर कार्य कर रहे थे। मुंबई क्राइम ब्रांच भी मामले की जांच में जुटी है। ऐसे समय छत्तीसगढ़ EOW में अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज होने से ED की जांच भी सवालों के घेरे में बताई जाती है। माना जा रहा है कि EOW की गंभीर त्रुटि से आरोपियों के बच निकलने की मुहिम ने जोर पकड़ लिया है।इसे दागी अफसर अपनी कामयाबी के रूप में देख रहे हैं। जबकि दूसरी ओर मोदी गारंटी को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।PM मोदी ने महादेव ऐप के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही का भरोसा दिलाया था।

हाल ही के विधान सभा चुनाव में उनकी सभाएं काफी चर्चित थी। इसमें प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने के बाद कारोबारी अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही का दावा किया गया था। लेकिन लोकसभा चुनाव करीब आते ही EOW ने हकीकत पर से पर्दा हटा दिया है। माना जा रहा है कि मामले की CBI जांच के बाद ही हकीकत सामने आएगी। कई समाजसेवियों और विसल ब्लोअर ने महादेव ऐप घोटाले की CBI जांच की मांग विष्णुदेव साय सरकार से की है। न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने इस मामले को लेकर DG EOW और IG राहुल भगत से प्रतिक्रिया लेनी चाही लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला।