फिर 24 मजदूरों की मौत, लॉक डाउन को लेकर तेज हुई राजनीति, मजदूरों की मौत का पैगाम लेकर आ रहे है राजनैतिक दांवपेंच, राजनेताओं के ईशारे पर आवाजाही बनी मजदूरों की जान के दुश्मन, लॉक डाउन में राजनीति या मजदूरों की मजबूरी ?

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लखनऊ वेब डेस्क / उत्तरप्रदेश के औरैया में सड़क हादसे में 24 मजदूरों की मौत हो गई है। हादसा उस समय हुआ जब दिल्ली की ओर से आ रहे ट्रक ने एक डीसीएम में टक्कर मार दी। डीसीएम रोककर इसमें बैठे लोग चाय पी रहे थे। ये सभी प्रवासी मजदूर थे, और लॉकडाउन में अपने घर जा रहे थे। इस हादसे के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तुरंत अधिकारियों को घटनास्थल पर पहुंचने को कहा और जांच रिपोर्ट मांगी है। उधर देश के विभिन्न राज्यों में लॉक डाउन के दौरान इधर से उधर हो रहे लगभग आधा सैकड़ा मजदूर अब तक अपनी जान गवाँ चुके है | इसमें महाराष्ट्र में रेल हादसा, मध्यप्रदेश और दिल्ली में सड़क हादसे प्रमुख रूप से शामिल है | हालाँकि प्रधानमंत्री कई बार श्रमिकों से अपील कर चुके हैं कि वे जहाँ है, वहीँ रहे सुरक्षित रहे |

उनके रहने खाने का मुफ्त बन्दोबस्त केंद्र और राज्य सरकार कर चुकी है | लेकिन मजदूरों को लेकर राजनीति इस तरह से तेज हुई कि केंद्र को ना केवल उनके लिए ट्रैन चलानी पड़ी बल्कि उनकी आवाजाही को लेकर कई वाहनों को लॉक डाउन के बावजूद सडकों पर दौड़ना पड़ा | विभिन्न राज्य सरकार मजदूरों से यह भी अपील कर चुकी है कि कोई भी पैदला या ट्रक में सफर ना करें| सरकार सभी को उनके घर पहुंचाएगी। इसके बाद भी पैदल या ट्रकों से मजदूरों का पलायन नहीं रूक रहा है। फ़िलहाल औरैया सड़क हादसे के बाद ट्रक ड्राइवर और उसके मालिक के खिलाफ हत्या का मुक़दमा दर्ज किया गया है | बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिर्फ मजदूरों ही नहीं बल्कि कोटा में फंसे छात्रों की घर वापसी का विरोध किया था |

उन्होंने कहा था कि जो जहाँ है, वहां उनकी सुरक्षा और रहने खाने का बंदोबस्त किया जाये | लेकिन कांग्रेस ने अचानक मजदूर कार्ड खेला और अपने अभियान को हवा दी | नतीजतन देशभर में लॉक डाउन टूटा और मजदूर अपने घरों में जाने के लिए सडकों पर उतर आये | पहला मामला दिल्ली में हुआ | इसके बाद महाराष्ट्र समेत पूरे देश में मजदूरों ने पैदल ही अपने घरों का रुख करना शुरू कर दिया | प्रवासी मजदूरों को लेकर केंद्र पर हुए हमले के बाद मोदी सरकार भी लचीली पड़ गई | उसने मजदूरों के आवाजाही के लिए ट्रेने दौड़ा दी | राज्य सरकारों ने भी मजदूरों की आवाजाही सुनिश्चित की | लेकिन अब यही मजदूर कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए बड़ी चुनौती बन गए है | 

देश में संक्रमितों की संख्या 82 हज़ार का आंकड़ा पार कर चुकी है | इनमे वो मजदूर भी शामिल है, जो लॉक डाउन के दौरान घर वापसी के लिए सड़को पर नज़र आये थे | संक्रमण का खतरा उन गांवों पर भी मंडरा रहा है, जहाँ का ताल्लुक इन मजदूरों से है | गांव में अभी तक संक्रमित मरीज नहीं पाए गए थे | लेकिन प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही के बाद संक्रमण सामने आ रहा है | ये मजदूर अब अपने गांव के लिए भी खतरे की घंटी बजा रहे है | उधर औरैया हादसे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोहराया है कि प्रवासी कामगारों व श्रमिकों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराना जिला प्रशासन की जिम्मेदारी होगी।

इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों व पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया है कि वे यह देखें कि कोई भी प्रवासी कामगार-श्रमिक पैदल अथवा बाइक से यात्रा न करने पाए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जनपद के हर थाना क्षेत्र में एक टीम गठित करते हुए पैदल अथवा बाइक से यात्रा करने वाले प्रवासी कामगार व श्रमिकों को रोका जाए। उन्होंने ट्रक आदि असुरक्षित वाहनों से सवारी ढोने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं। 

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