कोरबा के लेमरू क्षेत्र में दुनिया के सबसे जहरीले सांप किंग कोबरा को देखा गया था. वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने जब इसका रेस्क्यू किया, तब सभी हैरान थे कि आखिरकार किंग कोबरा, कोरबा जैसे स्थान में कहां से आया ? इस दिशा में रिसर्च की शुरुआत हुई. तब यह जानकारी सामने आई कि, कोरबा जिले के कुछ इलाकों में लागातार किंग कोबरा को देखा गया है.
किंग कोबरा का रहवासवन विभाग ने “नागराज” की संज्ञा प्राप्त आकर्षक और शानदार, लेकिन दुनिया के सबसे जहरीले सांप किंग कोबरा के रहवास को विकसित करने की दिशा में पहला कदम बढ़ाया. राज्य सरकार से मार्गदर्शन लिया और अब सरकार के लिए काम करने वाली नोवा नेचर नामक निजी संस्थान ने कोरबा में किंग कोबरा के रहवास वाले स्थानों का सर्वे पूरा कर लिया है. राज्य सरकार ने विस्तृत कार्य योजना तैयार कर ली है. जल्द ही किंग कोबरा के निवास को विकसित किया जाएगा, जो कि इनके संरक्षण की दिशा में एक ठोस कदम होगा.
जिस तरह से शेर को एक बेहद महत्वपूर्ण और शीर्ष शिकारी माना जाता है. ठीक उसी तरह से किंग कोबरा को भी शीर्ष शिकारी माना जाता है. किंग कोबरा एक ऐसा सांप है जिससे अन्य सांपों की प्रजातियां भी नियंत्रित होती हैं. जिसके कारण हमारी खाद्य श्रृंखला में किंग कोबरा की मजबूत उपस्थिति बेहद जरूरी हो जाती है. इस लिहाज से भी किंग कोबरा का संरक्षण और संवर्धन महत्वपूर्ण हो जाता है
कोरबा वन मंडल की डीएफओ प्रियंका पांडे इस विषय में कहती हैं कि, जिस तरह से टाइगर को संरक्षित किया जाता है. ठीक उसी प्रकार किंग कोबरा के भी संरक्षण की जरूरत है. यह बेहद गर्व का विषय है कि इसकी उपस्थिति कोरबा में है. कोरबा के लोगों को भी किंग कोबरा के संरक्षण की दिशा में अपना योगदान देना चाहिए. फिलहाल हमने किंग कोबरा के रहवास वाले क्षेत्रों का सर्वे पूरा किया है. विस्तृत कार्य योजना भी लगभग तैयार कर ली गई है. जल्द ही इस दिशा में आगे की कार्रवाई होगी, जिससे कि किंग कोबरा के संरक्षण का काम बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके. उनके आवास वाले इलाकों को संरक्षित किया जाएगा.
गौर हो कि कोबरा का एक मिलीग्राम जहर भी किसी व्यक्ति की जान लेने के लिए काफी है. किसी को काटते वक्त यदि किंग कोबरा ने अपना जहर शिकार के शरीर में पहुंचा दिया तो मौत निश्चित है. जहरीला होने के बाद भी किंग कोबरा कोल्ड ब्लडेड होते हैं. जब इन्हें खतरा महसूस होता है, तभी वह दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं. किंग कोबरा का रेस्क्यू लेमरू के कुछ ऐसे इलाके में है, जहां नियमित अंतरालों पर किंग कोबरा को देखा गया है. इन क्षेत्रों में अलग-अलग समय में चार बार किंग कोबरा को रेस्क्यू किया गया है.
राज्य सरकार की तरफ से किंग कोबरा के रहवास के लिए सर्वे को अंजाम देने वाली नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के एम सूरज राव कहते हैं कि, किंग कोबरा की उपस्थिति कोरबा में होगी. इस बात का उन्हें अंदाजा नहीं था. किंग कोबरा दुनिया के सभी विषैले सांपों की प्रजाति में सबसे अधिक विषैले होते हैं. यह 20 फीट तक लंबे हो सकते हैं. एकमात्र ऐसा सांप है, जो घोंसला बनाकर अपने अंडों की रक्षा करता है. इस तरह का जीव छत्तीसगढ़ के कोरबा में मिला है जो कि हमारे लिए बेहद गर्व करने का विषय है. हमें हर हाल में इसका संवर्धन करना चाहिए.
किंग कोबरा का जहर कई मायनों में खास होता है. इस जहर का उपयोग एंटी वेनम बनाने के साथ ही कई तरह के कार्यों में किया जाता है. ऐसे में इन पर जीव जंतुओं के तस्करों की नजर भी रहती है. अब जबकि कोरबा में इसकी उपस्थिति की बात सामने आई है तब किंग कोबरा के तस्करी और इसके जरिए होने वाले अनैतिक कार्यों को रोकना भी वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती है. विभागीय अधिकारी भी इस बात को स्वीकार करते हैं और इस बात के प्रति सजग रहने की बातें भी कहीं है
कहते हैं कि शिवजी के गले में किंग कोबरा का स्थान है. हमारे खाद्य श्रृंखला और वैज्ञानिक पद्धति में किंग कोबरा का जितना महत्व है, इसे उतना ही महत्व धार्मिक मान्यताओं में भी दिया गया है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि भगवान शंकर के गले में जो सांप लिपटा हुआ है. वह किंग कोबरा ही है, जिसके कारण ही किंग कोबरा को “नागराज” कहा जाता है. मान्यताओं में किंग कोबरा को असाधारण स्मृति शक्ति के तौर पर पूजा भी जाता है. सांप की आंखों में हत्यारे की तस्वीर वाली थ्योरी किंग कोबरा से ही निकली है. हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन पौराणिक कहानियां और मान्यताओं के अनुसार किंग कोबरा को मारने वाले की तस्वीर उसकी आंखों में छप जाती है. वह इसका बदला भी लेते हैं. इन्हें मारना अशुभ माना जाता है.