भुवनेश्वर:- ओड़िसा( ODISA ) के समुद्र तट (SEA FRONT) पर बेशकीमती मछलियों की दुनिया चर्चा में है. इन मछलियों की कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है. हाथों हांथ बिकावली के चलते मछुआरों ने अपने तटो को छोड़कर उन तटो का रुख किया है जहां इन मछलियों का रेन बसेरा है. इस ख़ास मछली का नाम तेलिया भोला है. हालांकि पिछले साल भी मछुआरों को दीघा तट से तेलिया भोला मछली (TELIYA BHOLA FISH) मिली थी, लेकिन उनकी संख्या तब 30 थी. जिनकी कीमत एक करोड़ रुपये थी. लेकिन इस बार इसी तट पर सैकड़ों मछलियां देखी गई हैं. इन्हें देखते ही मछुआरे उन पर टूट पड़े.
ओडिशा के दीघा में कुछ मछुआरों की किस्मत उस समय चमक गई जब उनके जाल में 121 ‘तेलिया भोला’ मछली फंस गईं. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इन मछलियों की कीमत तकरीबन 2 करोड़ रुपये आंकी गई है. इसमें से हर मछली का वजन 18 किलोग्राम या उससे ज्यादा आंका गया है. इससे पहले कभी इतनी बड़ी संख्या में ‘तेलिया भोला’ मछली मछुआरों के हाथ नहीं लगी है. तेलिया भोला मछली के इतनी महंगी होने के पीछे सबसे बड़ा कारण है इनके पेट में कई गुणकारी तत्वों का पाया जाना है. इस मछली की सबसे बड़ी खरीदार दवा कंपनियां हैं. इन मछलियों को कई तरह की दवाइयां बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है.
बताया जाता है कि,पिछले साल भी मछुआरों को दीघा तट से तेलिया भोला मछली मिली थी, लेकिन उनकी संख्या तब 30 थी. जिनकी कीमत एक करोड़ रुपये थी. लेकिन इस बार मछलियों की संख्या ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इस बार इतनी भारी संख्या में तेलिया भोला मछली के मिलने से मछुआरे काफी खुश नजर आ रहे हैं. कई मछुआरों को इन मछलियों ने मालामाल कर दिया है.
मछुआरों के अनुसार, मछली की यह प्रजाति गहरे समुद्र में पाई जाती है. इसे पकड़ने के लालच में वे लोग समुद्र के उन हिस्सों में चले जाते हैं, जहां उन्हें जाने की अनुमति नहीं होती है क्योंकि इनकी कीमत ही बहुत ज्यादा होती है. मछुआरों का कहना है कि इस विशेष किस्म की मछली की कीमत आम तौर पर 13000 रुपये प्रति किलोग्राम होती है.
पिछले साल ओडिशा के राजनगर के तालचुआ इलाके से मछुआरों ने एक अनोखी मछली पकड़ी थी. इस मछली को व्यवसायी को 10,000 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा गया था. मछली की कीमत लगभग 2 लाख रुपये थी. इस मछली को मयूरी मछली बताया गया था. इस दुर्लभ प्रजाति की मछली को देखने के लिए स्थानीय लोग भारी संख्या में एकत्र हुए थे. बेचने से पहले इसे लोगों के देखने के लिए रखा गया था.