दिल्ली ब्यूरो: छत्तीसगढ़ में 2200 करोड़ के शराब घोटाले की तह तक ED पहुँच गई है, कागजी खानापूर्ति कर जल्द ही उसके हाथ उन संदेहियों के गिरेबान तक पहुँच सकते है, जो घोटाले की रकम को फायदे के धंधे में निवेश कर धन शोधन के उपक्रमों में जुटे हुए थे। ईडी की छापेमारी के बाद प्रदेश कांग्रेस में हलचल तेज है। पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की तर्ज पर पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके पुत्र चैतन्य बघेल से पूछताछ को लेकर ED सक्रिय बताई जाती है।

सूत्र तस्दीक करते है कि कथित 33 लाख की जब्ती को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री पिता-पुत्र नई मुसीबत में घिर गए है। छापेमारी को लेकर ईडी ने चैतन्य बघेल के नाम से सर्च वॉरेंट प्राप्त किया था। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके संगी-साथियों के लगभग 14 ठिकानों में हालिया छापेमारी के बाद बड़े पैमाने पर नगदी और चल-अचल संपत्ति के दस्तावेजों के बरामद होने की जानकारी सामने आई है। इसके साथ ही ईडी पर दबाव बनाने के साथ-साथ उसके अरमानों पर पानी फेरने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री के राजनैतिक प्रयास भी चर्चा में है।

सूत्र के मुताबिक नगदी की बरामदगी के मामले को रफा-दफा करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। राजनैतिक गलियारों में पूर्व मुख्यमंत्री को कांग्रेस का खलीफा और उनके पुत्र को राजकुमार, करार दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा सत्र के दूसरे दौर की कार्यवाही सोमवार से शुरू हो गई है। इसके साथ ही राजनैतिक गलियारों में पूर्व मुख्यमंत्री भूपे के पुत्र चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी की शंकाए- कुशंकाए भी जाहिर की जा रही है।

कहा जा रहा है कि 33 लाख का हिसाब-किताब देना मुश्किल हो गया है। ईडी ने इस रकम के स्रोतों की संतोषप्रद जानकारी नहीं देने के चलते उसकी बरामदगी की कार्यवाही की थी। पूर्व मुख्यमंत्री के ठिकानों पर ED की हालिया छापेमारी के बाद बघेल ने दावा किया था कि उनके ठिकानों से ज्यादा कुछ नहीं सिर्फ 33 लाख बरामद हुए है। हालांकि जब्ती को लेकर एजेंसियों की ओर से अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। बताते है कि छापेमारी के बाद ED और केंद्र पर बघेल की एकतरफा बयानबाजी की हकीकत सामने आ गई है।

सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री और उनके पुत्र को 33 लाख की नगदी के स्रोतों की जानकारी देना भारी पड़ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे की काली कमाई को सफ़ेद-चमकदार बनाने के प्रयासों पर अब तक कोई कामयाबी हासिल नहीं हो पाई है। वही, ईडी की हाजिर होने की म्याद भी तेजी से ख़त्म हो रही है। सूत्रों के मुताबिक काले-चिट्ठे को सफ़ेद बनाने के लिए बाजार में कोई उपयुक्त हिस्सेदार के सामने नहीं आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री पिता-पुत्र ने सत्ताधारी दल के गलियारों का रुख कर लिया है। दिल्ली से पटना तक उन चुनिंदा नेताओं के बंगले में भूपे एंड कंपनी ने अपनी चहल-कदमी बढ़ा दी है, जिनसे राहत की आस बंध रही है।

हालांकि ऐसे दरबारों से भी पूर्व मुख्यमंत्री को ना कामयाबी हाथ लगी है। सूत्र तस्दीक करते है कि ED की संभावित कार्यवाही से बच निकलने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री पिता-पुत्र दिल्ली से लेकर लगातार विभिन्न प्रदेशों का रुख कर रहे है। इस कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र को उस समय नाकामी हाथ लगी जब घंटों के इंतज़ार के बावजूद पार्टी पदाधिकारी ने दो टूक शब्दों में मिलने से इंकार कर दिया। बताते है कि करीब 6 घंटे तक छत्तीसगढ़ कांग्रेस के ‘राजकुमार’ मेल-मुलाकात की उम्मीद लगाए बैठे रहे। लेकिन आखिरी वक़्त उन्हें चलता कर दिया गया।

सूत्र बताते है कि छत्तीसगढ़ में निवासरत कुछ लोग ईडी की कार्यवाही को थामने के मकसद से सत्ताधारी दल के केंद्रीय नेताओं और पदाधिकारियों के चक्कर काट रहे है। मकसद, ED के मंसूबों पर पानी फेरने से जुड़ा, संज्ञान में आने के बाद एक महत्वपूर्ण पदाधिकारी कांग्रेस के ‘राजकुमार’ से मिलने तक से इंकार कर दिया। बताते है कि पार्टी के ‘खलीफा’ की कारगुजारियां उनके पुत्र पर भी भारी पड़ती नजर आ रही है। ईडी अब आय के स्रोतों की पुख्ता जानकारी जुटाने में लगी है। उन्हें तलब भी किया गया है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि ‘राजकुमार’ को ED कभी भी गिरफ्तार कर सकती है।

लिहाजा उसके बचाव के लिए पार्टी के एक धड़े ने राजनैतिक प्रयास शुरू किये है। शराब घोटाले की करोड़ों की रकम के इस्तेमाल और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर दस्तावेजी सबूत हाथ लगने के बाद एजेंसियों की कार्यवाही क़ानूनी राह पर बताई जाती है, अब ‘राजकुमार’ के ईडी के हत्थे चढ़ने का अंदेशा कितना सच होता है, यह तो वक़्त ही बताएगा। फ़िलहाल, पीएम मोदी के छत्तीसगढ़ आगमन से पूर्व एजेंसियां अलर्ट मोड़ पर बताई जाती है। माना जा रहा है कि उसके कदम ‘भ्रष्टाचार’ के खिलाफ एक बड़ी कार्यवाही की ओर बढ़ सकते है।