दिल्ली वेब डेस्क / पाकिस्तान से अल्प संख्यक सिक्खों के पलायन की घटनाओं के बाद एक सुकून भरी खबर आई है | पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान में 200 साल पुराने एक ऐतिहासिक गुरुद्वारे को 73 साल बाद सिख समुदाय को वापस लौटाया है | इस गुरूद्वारे पर मुस्लिम कट्टरपंथी संगठनों ने कब्ज़ा कर लिया था | बताया जाता है कि प्रधानमंत्री इमरान खान खुद पंजाब प्रांत के रहने वाले है |
उन्हें उनके स्थानीय परिचितों और सलाहकारों ने इस गुरूद्वारे को सिक्खों को सौंपने की सलाह दी थी | इसके बाद 23 जुलाई, 2020 को गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में सिख समुदाय के लोगों ने इसका दुबारा कब्ज़ा लिया | यहाँ सिक्ख समुदाय के लोग भजन कीर्तन के लिए पहुंचे और कार सेवा की | बताया जाता है कि करीब 200 साल पुराने इस गुरूद्वारे में भारत विभाजन से पहले बड़ी तादात में सभी धर्मों के लोग दर्शन के लिए आते थे | बाद में पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने इस पर अपना कब्ज़ा कर एक स्कूल खोल दिया था | करीब 70 साल बाद सिक्ख समुदाय को यह गुरुद्वारा अब वापस मिलने के बाद पहली बार यहां ग्रंथ साहिब का पाठ किया गया |
पाकिस्तान की ओर से मीडिया रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई कि शहर के बीचोंबीच मस्जिद रोड पर स्थित सिरी गुरु सिंह गुरुद्वारा को पुनः सिक्खों को सौंप दिया गया है | बताया जाता है कि भारत विभाजन के दौरान 1947 में पाकिस्तान बनते ही इस गुरूद्वारे पर कट्टरपंथियों ने कब्ज़ा कर लिया था | यहाँ उन्होंने स्कूल खोलकर अपना धंधा शुरू कर दिया था | लेकिन अब इसे पुनः सिक्खों को सौंपने के मामले को बलूचिस्तान सरकार का एक ऐतिहासिक फैसला कहा जा रहा है |
माना जा रहा है कि समुदाय की भावनाओं को देखते हुए उन्हें उनका पूजास्थल वापस किया गया है | बलूचिस्तान के प्रांतीय संसदीय सचिव और मुख्यमंत्री के अल्पसंख्यक मामलों के सलाहकार दिनेश कुमार ने भी सरकार के इस कदम की सराहना की | बलूचिस्तान में सिख समुदाय समिति के अध्यक्ष सरदार जसबीर सिंह ने भी इस कदम का स्वागत किया है. उन्होंने इसे बलूचिस्तान में रहने वाले सिख समुदाय को सरकार की ओर से उपहार बताया. वहां रहने वाली सिख कम्युनिटी सरकार के इस फैसले से काफी खुश है |