रायपुर: छत्तीसगढ़ में टुटेजा एंड कंपनी का काला बाजार चर्चा में है। इस कारोबार में शामिल एक नौजवान की अचानक मौत से ब्लैक मनी ठिकाने लगाने का उपक्रम सामने आया है। इस हाईप्रोफाइल मामले को रफा – दफा करने के प्रयास जोरो पर बताये जा रहे है। यह भी बताया जाता है कि स्थानीय पुलिस भारी दबाव में भी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल और जेल में बंद पूर्व सुपर सीएम अनिल टुटेजा अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए, विवेचना को प्रभावित कर रहे है। पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा के सुपुत्र यश टुटेजा के सगे साले सिद्धार्थ जैन की लाश मिलने से सनसनी फैली हुई है। 35 वर्षीय सिद्धार्थ की लाश 4 दिन पहले शिवनाथ नदी के एनीकट में मिली है।
बताते है कि मौत से पहले सिद्धार्थ ने अपने करीबी दोस्तों और नाते -रिश्तेदारों से बातचीत भी की थी। वो पूरी तरह से सामान्य स्थिति में था। अचानक दूसरे दिन उसकी लाश एनीकट में तैरते नजर आई। यह भी बताते है कि सिद्धार्थ का सुसाइड नोट अब तक बरामद नहीं किया जा सका है। यही नहीं शुरुआती दौर से ही यह संवेदनशील मामला कमजोर विवेचना का शिकार हो गया है। ऐसे में सिद्धार्थ को इंसाफ मिल पायेगा या नहीं कहना मुश्किल है।
जानकारी के मुताबिक सिद्धार्थ की लाश बरामद होने के घंटों बाद भी ना तो उसका सुसाइड नोट हासिल करने में कोई रूचि दिखाई गई और ना ही मृतक का कमरा सील बंद किया गया। उसके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, मोबाइल, लेपटॉप और दूसरी जरुरी वस्तुओं को समय पर बरामद नहीं करने से सबूतों के साथ भी छेड़छाड़ की आशंका जताई जा रही है। बताते है कि सिद्धार्थ मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ और संयमी था। पढ़ा लिखा होने के साथ – साथ समुचित फैसले लेने के मामले में भी उसका कोई मुकाबला नहीं था। ऐसे होनहार नौजवान की आत्महत्या की थ्योरी किसी के गले नहीं उतर रही है। बताते है कि सिद्धार्थ के परिजन भी हैरत में है, हालांकि उनके दबाव में होने की जानकारी भी सामने आ रही है।
सिद्धार्थ जैन को वाकई किसी ने मौत के घाट उतारा या फिर उसने आत्महत्या की है। इस बारे में अभी कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है। उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि पुलिस बगैर दबाव में निष्पक्ष विवेचना में जुटी है। उधर यह भी बताया जाता है कि सिद्धार्थ की शिनाख्ती के बावजूद ना तो मेडिकल बोर्ड के समक्ष उसका पोस्टमार्टम कराया गया और ना ही पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफ़ी भी कराई गई। ऐसे में सिद्धार्थ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस विवेचना में कितनी कारगर साबित होगी ? यह तो वक़्त ही बताएगा। यही नहीं सिद्धार्थ के अचानक लापता होने पर उसकी समुचित खोजबीन करने के बजाय फ़ौरन पुलिस में गुमशुदगी दर्ज करा दी गई थी, जैसे शायद यह सब कुछ प्री प्लान वे में हुआ हो।
सिद्धार्थ के कुछ परिचित और करीबी नाम ना छापने की शर्त पर यही अंदेशा जाहिर कर रहे है। उनके मुताबिक घटना के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल लगातार टुटेजा एंड कंपनी के संपर्क में बने हुए थे। वे इस कंपनी को बेफिक्र के साथ रहने की हिदायत भी दे रहे थे। सिद्धार्थ जैन और यश टुटेजा एक साथ कई कारोबार में शामिल बताये जाते है। यह भी बताया जा रहा है कि राज्य में कांग्रेस सरकार की रवानगी के बाद टुटेजा एंड कंपनी उसे काफी प्रताड़ित भी कर रहे थी। मामला लेन – देन और जमीन जायदाद के बोगस मामलों से जुड़ा बताया जाता है। सिद्धार्थ जैन घटना के पूर्व तक अपने कई करीबियों के संपर्क में बताये जाते है। मौत से 3 दिनों पहले उसकी टुटेजा एंड कंपनी से तीखी बहस भी हुई थी। इसके बाद वे कई घंटों तक तनाव में भी रहे, अगले ही दिन उनकी मौत की खबर से सनसनी फ़ैल गई।
कानून के जानकारों के मुताबिक घोटालों के बादशाह अनिल टुटेजा की कार्यप्रणाली भ्रष्टाचार के साथ साथ आपराधिक षडयंत्रों से भी जुड़ी हुई है। कांग्रेस शासन काल में विधि – विभाग के माध्यम से देश के सबसे महंगे वकीलों से पैरवी और उन्हें प्रत्येक पेशी का लाखो – करोड़ों में भुगतान कर सरकारी तिजोरी पर चूना लगाने की पहल टुटेजा एंड कंपनी ने ही की थी। भूपे राज में तमाम घोटालों की जांच भटकाने और कोर्ट कचहरी में छत्तीसगढ़ शासन की भद्द पिटवाने के मामले में टुटेजा एंड कंपनी सुर्ख़ियों में रही है। बताते है कि सिद्धार्थ जैन की मौत भी इसी डी कंपनी के बेनामी सौदों को अंजाम देने के चक्कर में हुई है। राज्य सरकार से इस हाईप्रोफाइल मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है।