पीलिया या जॉन्डिस लिवर की एक बीमारी है. ये छोटे बच्चों को ज्यादा होती है. अधिकांश बच्चे जन्म के समय से ही जॉन्डिस से पीड़ित होते हैं, लेकिन इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं होती क्योंकि जन्म के एक-दो सप्ताह के अंदर बच्चे का जॉन्डिस खुद ब खुद ठीक हो जाता है. गर्मियों में पीलिया बच्चे और बड़े, दोनों को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है. पीलिया को हेपेटाइटिस-ए भी कहते हैं.
पीलिया से ग्रसित होने का सबसे बड़ा कारण है दूषित पानी और दूषित खाना. पीलिया से बचने के लिए सबसे जरूरी है लिवर को स्वस्थ रखना. भोजन जितना सादा होगा, लिवर उतना स्वस्थ रहेगा. अगर ये ठीक हो गया है तो भी कुछ दिनों तक खिचड़ी, दलिया जैसी साधारण चीजें खाते रहें. जिन लोगों को पीलिया हो जाता है, उनके रक्तदान करने पर मनाही होती है. इसलिए अगर पीलिया से ग्रसित है तो खूब आराम करे.
पीलिया के लक्षण
इसका पहला लक्षण है शरीर में पीलापन दिखना. इसमें चेहरा जॉन्डिस के कारण पीला दिखने लगता है. फिर उसके बाद छाती, पेट, हाथ व पैरों पर भी पीलापन नजर आने लगता है.
पीलिया के उपचार
अगर आपको बच्चों में पीलिया के लक्षण दिखते हैं, तो बिल्कुल भी देर न करें बल्कि किसी शिशु रोग विशेषज्ञ से तुरंत सलाह लें. डॉक्टर बच्चे के जांच के बाद उचित दवाएं देते हैं. जॉन्डिस की जांच के लिए डॉक्टर बच्चे के खून की जांच करते हैं जिससे बच्चे के रक्त में मौजूद बिलीरुबिन और लाल रक्त कोशिकाओं के लेवल का पता लगाया जा सके.