सरकारी अस्पताल की दहलीज पर मरीज ने तोड़ा दम, पर्ची बनवाने के लिए 5 रुपये तक नहीं थे पत्नी के पास, पर्ची नहीं तो इलाज भी नहीं, आखिरकार अस्पताल के बाहर पति ने तोड़ा दम, अब कहो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जिंदाबाद? 5 रुपये की पर्ची के लिए इंसानियत ने तोड़ा दम

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गुना वेब डेस्क / सरकारी अस्पतालों में आधुनिकीकरण के काम का दावा सरकार अक्सर करती है | लेकिन सरकारी मेडिकल स्टाफ की मानसिकता आज भी जर्जर और अपरिपक्क दिखाई देती है | 5 रुपये की पर्ची के लिए डॉक्टरों ने इस मरीज की ओर देखना तक मुनासिब नहीं समझा | ऐसे में लोक कल्याणकारी सरकार असलियत में किसके लिए कल्याणकारी है, इससे जनता को ही परखना होगा | इस घटना को संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को सरकारी अस्पताल की मानसिकता का इलाज कराना होगा | वर्ना ऐसी घटनाये अन्य जिलों में भी नजर आये, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए |

दरअसल मध्य प्रदेश में गुना के सरकारी अस्पताल से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है | इससे देख सुनकर किसी का भी दिल दहल जाएगा | यहाँ एक शख्स को अस्पताल में पर्ची न कटवा पाने के कारण समय पर इलाज नहीं दिया गया | पीड़ित परिवार का आरोप है मरीज जिला अस्पताल के बाहर बैठा रहा |रात भर अस्पताल के बाहर पड़े रहने के कारण सुबह होते-होते उसकी मौत हो गई |

बताया जाता है कि मृतक सुनील धाकड़ टीबी की बीमारी से ग्रसित था | वो अपनी पत्नी के साथ इलाज कराने जिला अस्पताल पहुंचा था | लेकिन पति – पत्नी के पास फूटी कौड़ी तक नहीं थी | नतीजतन पैसों के अभाव में वो अस्पताल में भर्ती होने के लिए पर्ची नहीं कटवा सके | सुनील धाकड़ और उसकी पत्नी आरती ने मौके पर मौजूद हॉस्पिटल स्टाफ से इलाज की गुहार लगाई | लेकिन गुना के जिला अस्पताल में किसी ने उनकी सुध नहीं ली | अस्पताल में भर्ती कराने के लिए जब आरती रिसेप्शन काउंटर पर पहुंची तो काउंटर पर मौजूद कर्मचारी ने महिला से पैसे मांगे |

उधर जब पर्ची कटवाने के लिए उसके पास पैसों का अभाव रहा तो, कर्मचारियों ने भी उन्हें चलता कर दिया | उधर आरती अपने पति को अस्पताल में भर्ती कराने की आस में अस्पताल के सामने ही पीड़ित पति और बच्चे को लेकर पेड़ के नीचे बैठ गई | अगली सुबह भी हालात यही बने रहे | बताया जाता है कि रात भर अस्पताल के बाहर पड़े रहने के कारण लगभग 12 बजे के आसपास सुनील की मौत हो गई |

उधर सुनील की मौत होने के बाद अस्पताल प्रबंधन लीपा पोती में जुट गया है | वो अपनी लापरवाही और अमानवीय रवैये को लेकर सफाई देने में जुटा है | इस मामले में जब सिविल सर्जन डॉक्टर एस के श्रीवास्तव से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बताया की सुनील धाकड़ नशे का आदी था जो अक्सर जिला अस्पताल के बाहर बैठा रहता था | हालांकि इलाज के लिए भर्ती नहीं कराने के सवाल पर सिविल सर्जन चुप्पी साध गए |

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उधर मामले के तूल पकड़ने के बाद कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने अस्पताल प्रबंधन से इस मामले में तत्काल रिपोर्ट तलब की है | कलेक्टर ने दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश भी दे दिए हैं | उधर इस मामले में ग्वालियर संभाग कमिश्नर एम बी ओझा ने भी दुख जताते हुए पीड़ितों को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है | अस्पताल परिसर में अपने पति के शव के पास रोती-बिलखती आरती ने कहा है कि यदि उसके पति सुनील को सही समय पर इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच जाती | उसने बताया कि अस्पताल में भर्ती करने के लिए पर्ची नहीं बन पाने की वजह से किसी ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया | उन्हें मजबूरन पूरी रात अस्पताल के बाहर बैठे रहना पड़ा |