रायपुर / रायपुर के ह्रदय स्थल शांति नगर में यदि आप किसी भी सामान्य जमीन को खरीदने की जुगत में है , तो वहां मौजूदा बाजार भाव कम से कम 10 हजार रुपये प्रति स्क्वेयर फीट है | इस दर से नीचे शायद ही कोई शख्स इस इलाके में जमीन की खरीदी-बिक्री के लिए तैयार हो | इस इलाके में भूमि स्वामी अपनी जमीनें 12 से 15 हजार रूपये प्रति स्क्वेयर फीट की दर से बेचने को राजी होते है | ऐसे में छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के जरिये 37.02 एकड़ सरकारी जमीन को मिट्टी के भाव बिल्डरों को सौंपे जाने की योजना किसके इशारे और दमखम पर तैयार की गई , यह जांच का विषय है |
इस इलाके की जमीन की सरकारी बिक्री दर भले ही जो भी हो लेकिन बाजार भाव आसमान छू रहा है | यहां निवासरत सैकड़ों कारोबारियों और रहवासियों ने लगभग 4-5 वर्षों पूर्व में छह हजार से लेकर दस हजार रूपये स्क्वेयर फीट तक अलग अलग इलाकों में जमीनों की खरीदी बिक्री की है | ऐसे में इस इलाके की 37.02 एकड़ सरकारी जमीन से राज्य सरकार को मात्र 168 करोड़ की राजस्व की प्राप्ति अनुमानित बताई गई है | यही नहीं इस सरकारी जमीन की खरीदी-बिक्री में छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड को मात्र 10 फीसदी राशि पर्यवेक्षण शुल्क के रूप में प्राप्त होगी |
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के जरिये एक बड़ी सरकारी जमीन को ठिकाने लगाने का मास्टर प्लान राज्य सरकार को सौप दिया गया है | जानकारी के मुताबिक शांति नगर रडेव्हलपमेंट योजना हेतु छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल को नोडल अथाॅरिटी घोषित कर भू माफियाओं के साथ बड़े पैमाने पर सरकारी तिजोरी पर सेंधमारी सुनिश्चित कर दी गई है | इसके तहत सिंचाई कालोनी एवं पी.डब्ल्यू.डी. के जीर्ण शीर्ण आवासों को हटाकर व्यवसायिक सह आवासीय परिसरों का निर्माण किया जायेगा।यहां की 37. 02 एकड जमीन पर पीपीपी मॉडल के तहत निजी बिल्डर कब्जा करेंगे | वे निर्माण कार्यों से लेकर भवनों और दुकानों को बेचने का कार्य करेंगे | इससे मिलने वाली रकम का एक छोटा हिस्सा राज्य सरकार के खाते में और मात्र 10 फीसदी रकम हाऊसिंग बोर्ड को सौंपी जाएगी | जबकि खरबों का मुनाफा बिल्डरों की तिजोरी में समा जायेगा | कांग्रेस सरकार की इस महती योजना का ब्लू प्रिंट मय सबूत चर्चा का विषय बना हुआ है |
उधर योजना को अमलीजामा पहनाने की तैयारी में जुटे भू – माफियाओं के सहयोगियों ने शांति नगर इलाके में NGT के अनुमति के बगैर सैड़कों पेड़ काट डाले है | इस योजना को मूर्त रूप देने की जल्दबाजी में NGT की अनुमति का भी इंतजार नहीं किया गया | इलाके के लोगों की आपत्ति के बाद पेड़ों की अवैध कटाई में जुटे अमले को अपने हाथ रोकने पड़े | बताया जाता है कि इस इलाके के हरे-भरे पेड़ों की कटाई के लिए छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने NGT से 2 से 18 माह की अवधि के भीतर 565 वृक्षों की कटाई की अनुमति मांगी थी | लेकिन बगैर अनुमति ही एक सैकड़ा के लगभग पेड़ काट दिए गए | इसकी तस्दीक स्थानीय रहवासी कर रहे है | बताया जाता है कि जो पेड़ अवैध रूप से काटे गए वे कम से कम 20 से 40 साल पुराने थे | फ़िलहाल उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार इस योजना की हकीकत से रूबरू होकर उसे जनहित में तब्दील करेगी | फ़िलहाल तो यह योजना भू माफियाओं के हितों को ध्यान में रखकर तैयार की गई नजर आती है |