जर्जर मरीन ड्राईव पर नही है नेताओं का ध्यान , शाम होते ही मयखाने में हो जाता है तब्दील , दुर्घटनाओं को लेकर भी नही है निगम को चिंता  

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रिपोर्टर – उपेंद्र डनसेना 

रायगढ़ / रायगढ़ नगर निगम क्षेत्र में बढ़ते यातायात को कम करने के लिए पूर्व कलेक्टर आरएस विश्वकर्मा ने शहर की सडक़ों को जोडऩ के लिए केलो नदी के किनारे एक नही दो नही बल्कि तीन पुल बनवाने के लिए बडी शुरूआत की थी। साथ ही साथ लगातार रेलवे फाटक बंद रहने से कलेक्टे्रट व न्यायालय के कार्य प्रभावित न हो उसके लिए मरीन ड्राईव का भी काम शुरू करवाया था और देखते ही देखते उनके जाने के बाद कलेक्टर राजू, अमित कटारिया  व मुकेश बंसल ने इस काम को तेजी से करवाते हुए केलो नदी के किनारे दो मरीन ड्राईव बनवाई। जिससे शहर के सौंयर्दीकरण को बढ़ावा मिला। इतना ही नही यातायात के दबाव को भी काफी हद तक कम किया। इन कलेक्टरों के जाने के बाद मरीन ड्राईव अब गड्ढों में तब्दील हो गई है जहां आए दिन उड़ती धूल ,बड़े-बड़े गड्ढे के साथ-साथ गायब हो चुकी पुरानी मरीन ड्राईव सौंदर्यीकरण में एक दाग साबित हो रही है। इसके लिए निगम द्वारा न तो कोई योजना बनाई गई है और न ही इस मरीन ड्राईव को ठीक करने के लिए कोई पहल की जा रही है। कांगे्रस की सरकार आते ही आंदोलन करने वाले युवा नेता भी शांत हो गए हैं। इन्हीं नेताओं ने इस मरीन ड्राईव पर घांस उगाकर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की थी लेकिन अब कोई भी राजनीति दल के नेता गायब हो रही पुरानी मरीन ड्राईव को लेकर कोई आवाज तक नही उठा रहे हैं। शाम होते ही इस मरीन ड्राईव में शराबियों की महफिल जरूर जमती है जो पुलिस ने के लिए सिरदर्द साबित हो रही है।

नई सरकार आने के बाद निगम में कांगे्रस की भी सरकार बनी है और इस सरकार के बनने के बाद शहर के लोगों को यह उम्मीद थी कि शहर का सौंदर्यीकरण एक बार फिर से नए ढंग से होगा। उड़ती धूल तथा गड्ढो की सडक़ों से निजात मिलेगी। गंदे नाले में तब्दील केलो नदी के किनारे बनी मरीन ड्राईव के लिए भी कोई बड़ा प्लान बनेगा लेकिन ऐसा कुछ हुआ नही।

एक साल से भी अधिक का लंबा वक्त निगम की नई सरकार बने हो चुका है। महापौर से लेकर सभापति, आयुक्त व कभी-कभी कलेक्टर भी वार्डो में निकलते हैं पर केलो नदी के किनारे गायब हो रही पुरानी मरीन ड्राईव के लिए आज तक कोई पहल आवाज तक नही उठी। धीरे-धीरे गायब हो रही इस मरीन ड्राईव से यहां से गुजरने वाले लोग इस कदर परेशान हैं कि उन्हें जान हथेली में लेकर यहां से जाना पड़ता है। बरसात के समय पूरी मरीन ड्राईव तालाब में बदल जाती है और कई बार तो दुर्घटनाओं के चलते नागरिक गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। आज स्थिति यह है कि पुरानी मरीन ड्राईव का आधे से अधिक हिस्सा गायब हो चुका है और लोग प्लेटफार्म से अपना रास्ता बनाकर गुजरने पर मजबूर हैं।

शाम होते ही शराबियों का अड्डा तो आम हो चला है। लेकिन सबसे भयावह स्थित जब हो जाती है जब उद्योगों को कोयला और आयरन ओर पहुंचाने वाली भारी भरकम डंफर इस मार्ग से गुजरती है। भारी वाहनों को रोकने के लए दो साल पहले पहल भी हुई थी लेकिन अब इस ओर कोई झांकता तक नही है जिसके चलते यह मरीन ड्राईव कोयला एवं आयरन ओर का परिवहन करने वाली मुख्य सडक़ बन गई है जिसके चलते पूरी सडक़ गड्डो में तब्दील होते हुए हादसों के लिए जानी जा रही है।  

इतना ही नही बद से बदतर हालात में तब्दील इस मरीन ड्राईव के किनारे लाखों रुपए खर्च करके लाईट भी लगाई गई थी जो अब कभी जलती भी नही है। असामाजिक तत्वों का अड्डा बनी यह पुरानी मरीन ड्राईव शराबखोरी के लिए अपनी पहचान बना चुकी है।  
शाम ढलते ही मयखानों में तब्दील मरीन ड्राईव में आसपास के लोग बड़े आराम से अंधेरे का फायदा उठाकर जाम से जाम ठकराते हैं। गलती से कोई इधर निकल गया तो उनके साथ लड़ाई झगड़ा भी आम हो चला है। ऐसा नही है कि इस मामले में निगम के अधिकारी अंजान है शिकायत के बाद कभी कभार निगम के अधिकारी आते जरूर है पर कार्रवाई के नाम पर कुछ नही करते। जिसके चलते शहर के सुरक्षित यातायात के लिए बनाई गई मरीन ड्राईव  अपना पुराना स्वरूप खो चुकी है। अवैध शराब खोरी में व्यस्त युवाओं को कभी-कभी पकडऩे के लिए आबकारी विभाग की टीम भी यहां पहुंचती तो है लेकिन लेनदेन करके मौके पर ही निपटारा कर देती है।  लंबे समय इस मरीन ड्राईव में स्ट्रीट लाईटें के खंबे जरूर दिखाई देते है लेकिन इनकी लाईटें असामाजिक तत्वों द्वारा इसलिए तोड़ दी गई कि उन्हें अंधेरे में शराबखोरी करने में मजा आता है।    

गड्ढो पर डाल दी जाती है मिट्टी

नगर निगम क्षेत्र के चक्रधर नगर थाने से लगी मरीन ड्राईव की मरम्मत वर्षो से नही हुई है और यहां के गड्ढो को देखते हुए जब कभी व्हीआईपी गुजरते है तब निगम ने गड्ढो को मिट्टी से पाटने की कोशिश की है और इसी मिट्टी के चलते पूरा इलाका उड़ती धूल से प्रदूषित होते जा रहा है इतना ही नही मिट्टी के डालने से उसकी उड़ती धूल से दुर्घटनाओं में भी इजाफा हुआ है। देर रात ईक्का दुक्का वाहन अगर निकलते है तो अंधेरे में बड़े गड्ढे के चलते उनको भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है। बरसात के समय तो पुरानी मरीन ड्राईव पर पैदल चलना मुश्किल हो जाता है और केलो नदी से भी खराब हालात इस मरीन ड्राईव के दिखाई देते हैं जहां दूर-दूर तक सडक़ नही बल्कि तालाब दिखाई पड़ता है और गलती कोई वाहन अंधेरे में इस मरीन ड्राईव में आ गया तो उसे निकालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यह बात साफ हो जाती है कि शहर के लिए सौंदर्यीकरण की मिशाल बनी पुरानी मरीन ड्राईव धीरे-धीरे गायब हो रही है और इसे बचाने के लिए कोई भी राजनीतिक दल सामने आना तो दूर आवाज तक नही उठा रहे हैं।

क्या कहते हैं सभापति

पुरानी मरीन ड्राईव के जीर्णोद्वार के लिए निगम जल्द ही काम शुरू करेगा। इसके लिए 50 लाख रुपए की स्वीकृति नाली के लिए की गई है और बरसात के बाद इसका काम शुरू भी हो जाएगा। नाली बनने के बाद मरीन ड्राईव की सडक़ बनाई जाएगी, चूंकि इस सडक़ में पानी के निकासी सही ढंग से नही होनें के चलते पूरी सडक़ जर्जर हो गई है और इसीलिए विधायक प्रकाश नायक की पहल पर 50 लाख रुपए की स्वीकृति पुरानी मरीन ड्राईव में नाली निर्माण के लिए पहले से कर ली गई थी। इसके अलावा मरीन ड्राईव की सडक़ बनाने के लिए भी स्वीकृति के लिए विधायक ने पहल शुरू कर दी है। नाली का टेण्डर लगभग हो चुका है और जनता की असुविधा को देखते हुए बरसात के तुरंत बाद पहले नाली उसके बाद सडक़ का निर्माण कार्य तेजी से करवाया जाएगा। वर्तमान में इस सडक़ में पानी भर जाने से बडी समस्या हो रही है। चूंकि केलो नदी में जाने वाला पानी सडक़ में ही रह जाता है जिससे धीरे-धीरे पूरी सडक़ खराब हो गई है। निगम जल्द ही इसके लिए पहल करेगा।