छत्तीसगढ़ की सुपर CM के आगे कानून भी नतमस्तक,भ्रष्टाचार के मामलो में गिरफ़्तारी के कई दिनों बाद भी अब तक नहीं किया गया सस्पेंड ”सरकार की मेहरबानी” चर्चा में, देखे क़ानूनी प्रावधान

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रायपुर : छत्तीसगढ़ की सुपर CM सौम्या चौरसिया लम्बे दिनों से ED की हिरासत में है। उन्हें इसी महीने 2 दिसंबर को ED ने गिरफ्तार किया था। सौम्या से ED लगभग 2 हप्तों से पूछताछ में जुटी है। उसकी गिरफ़्तारी के बाद से सौम्या चौरसिया की ED तीन बार 4 -4 दिनों की रिमांड भी ले चुकी है। उसे आज अदालत में पेश किया गया है। दरअसल कुख्यात आरोपी सौम्या समेत उसके गिरोह में शामिल अन्य गुर्गो की रिमांड आज ख़त्म हो गई थी।

आमतौर पर किसी भी सरकारी कर्मचारी की गिरफ़्तारी के 48 घंटो के बाद उसे निलंबित किये जाने के प्रावधान है। जबकि भ्रष्टाचार के मामलो में गिरफ्तार होने के बाद ”NO IF BUT” के सिद्धांत का पालन करते हुए राज्य सरकार आरोपियों को तत्काल निलंबित करती है। यह क़ानूनी प्रावधान बरसो से अमल में लाया जा रहा है। कानून की पुस्तकों में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलो में निलंबन के स्पष्ट प्रावधान है। यह सिविल सेवा आचार संहिता में उल्लेखित है , जो शासकीय कर्मियों के लिए देश भर में लागू है।  

केंद्र और राज्य सरकारे इसका सख्ती के साथ पालन करती है। लेकिन छत्तीसगढ़ में यह प्रावधान शायद लागू नहीं होता। कई लोगो का मानना है कि सिविल सेवा आचरण संहिता के दायरे में आर्थिक मामलो में गिरफ्तार कुख्यात आरोपी सौम्या चौरसिया शायद नहीं आती है। इसलिए उन्हें अब तक निलंबित नहीं किया गया है। जबकि एक वर्ग का मानना है कि सौम्या मैडम छत्तीसगढ़ में कानून से ऊपर है। इसलिए ऐसे तुच्छ प्रावधान उस पर लागू नहीं होते है।

प्रदेश में सौम्या चौरसिया की जेल यात्रा शुरू होने से पहले उसके निलंबन को लेकर माथापच्ची भी हो रही है। यह बहस का मुद्दा बना हुआ है कि छत्तीसगढ़ शासन आखिर क्यों सौम्या चौरसिया पर इतना मेहरबान है ? उसे निर्धारित अवधि बीत जाने के बावजूद भी आखिर क्यों निलंबित नहीं किया जा रहा है ? सवालों का जवाब ढूंढ़ने के लिए कई लोग कानून की पुस्तकों के पन्ने पलट रहे है। उन पन्नों पर गौर फरमाने के बाद भी ऐसा कोई प्रावधान उनके सामने नहीं आया है जिसमे यह साफ़ किया गया हो की आर्थिक मामलो के आरोपियों की गिरफ़्तारी के कई -कई दिनों बाद भी उनका निलंबन ना हो। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ की सुपर CM सौम्या चौरसिया के निलंबन का मामला अबूझ पहली बना हुआ है। छत्तीसगढ़ सरकार और उसके आधिकारिक प्रवक्ता, सुपर CM सौम्या चौरसिया के निलंबन को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी भी जनता को नहीं दे रहे है।

 आमतौर पर मंत्री द्वै रविंद्र चौबे और मोहम्मद अकबर कई महत्वपूर्ण मामलो में सरकार की राय और फैसलों से जनता को अवगत कराते थे। लेकिन भ्रष्टाचार के इतने बड़े मामले के सुर्खियों में रहने के बावजूद दोनों ही मंत्री सुपर CM सौम्या चौरसिया के निलंबन को लेकर चुप्पी साधे हुए है। यही हाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का भी बताया जा रहा है। सौम्या चौरसिया की गिरफ़्तारी के पूर्व से लेकर अब तक वे ED, केंद्र सरकार और बीजेपी पर लगातार हमले कर रहे है। वही छत्तीसगढ़ की जनता के कल्याण से जुड़े कई वादे और योजनाओं की जानकारी भी उन्होंने लोगो से साझा की है। लेकिन वे भी सौम्या चौरसिया पर वैधानिक कार्यवाही को लेकर मौन साधे दिखाई दे रहे है।

 सौम्या चौरसिया के निलंबन को लेकर मुख्यमंत्री बघेल ने ना तो कोई राय जाहिर की है और ना ही अब तक उनका कोई ट्वीट सामने आया है। गौरतलब है की ट्विटर पर मुख्यमंत्री जी काफी सक्रिय रहते है। इसके लिए उनकी तारीफ भी की जाती है। सौम्या की गिरफ़्तारी होते ही मुख्यमंत्री बघेल का एक ट्वीट काफी चर्चा में रहा। लेकिन उसके निलंबन को लेकर अब तक किसी भी ट्वीट का  सामने नहीं आना भी चर्चा में बना हुआ है। कई लोग मुख्यमंत्री से राजधर्म का पालन करने की उम्मीद जाहिर कर रहे। वही ऐसे लोग भी है जो सौम्या के निलंबन के खिलाफ है। उनका मानना है कि लोक कल्याण में जुटी सौम्या चौरसिया के साथ नाइंसाफ़ी हो रही है। दुख की इस घडी में सरकार उनके साथ खड़ी है।