बालाघाट / मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरहद पर स्थित कान्हा किसली नेशनल पार्क इन दिनों अवैध जमीनों के कारोबार और बेनामी संपत्ति को ठिकाने लगाने की स्थली बन गया है | यहां आप जंगली जानवरों के अलावा उस जमीनों का जायजा भी ले सकते है जो ब्लैकमनी खपाने के लिए कारगर साबित हुई थी | नेशनल पार्क से सटे इलाकों और बफर जोन में आदिवासियों और सरकार की हजारों एकड़ जमीनों पर पूंजीपतियों ने अवैध कब्जा कर लिया है | उन्होंने कई निरीह आदिवासियों को दस्तावेजों में अपना पार्टनर बताकर उन जमीनों को अपने कब्जे में ले लिया | बदले में होटलों और रिसार्ट में इन आदिवासियों को नौकर और वेटर की नौकरी पर रख लिया गया |
इन इलाकों का जायजा लेने के बाद खुलासा हुआ है कि कान्हा नेशनल पार्क से सटे छत्तीसगढ़ के कवर्धा और मध्यप्रदेश के मंडला , बालाघाट के मलाजखंड , बैहर , उकवा और लांजी तहसील के छोर तक हजारों एकड़ जमीनों पर सिर्फ एग्रीमेंट के आधार पर पूंजीपतियों ने कब्जा कर लिया है | लांजी के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इस आदिवासी बेल्ट को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए फौरी कार्रवाई की जानी चाहिए | उन्होंने कहा कि आयकर विभाग और अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग की टीम को इस इलाके का दौरा कर वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए |
समरीते के मुताबिक कान्हा किसली नेशनल पार्क के चारों ओर एक सैकड़ा से ज्यादा होटल और रिसार्ट है | ज्यादातर रिसार्ट सरकारी जमीनों और आदिवासियों के कब्जे वाली जमीनों पर निर्मित किये गए है | उन्होंने बताया कि ज्यादातर होटलों और रिसार्ट में छत्तीसगढ़ के नौकरशाहों और पूंजीपतियों ने अपनी ब्लैकमनी खपाई है | उन्होंने दो-चार एकड़ भूमिस्वामी की जमीनों की रजिस्ट्री करवाई और शेष सैकड़ों एकड़ सरकारी और आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा कर लिया |
उन्होंने बताया कि कोलकाता की कई फर्जी कंपनियों के नाम पर यहां जमीने खरीदी गई | आयकर विभाग को स्थानीय प्रशासन से संपर्क कर इन जमीनों की खरीद-फरोख्त के आय के स्रोतों की जानकारी जुटानी होगी | उनके मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार के कई वर्तमान और पूर्व नौकरशाहों और नेताओं ने यहां बड़े पैमाने पर निवेश किया है | उन्होंने बताया कि नोटबंदी के दौरान कान्हा नेशनल पार्क के चारों ओर जमीनों की जमकर खरीद-फरोख्त हुई |
इस दौरान ना तो आदिवासियों की जमीनों की खरीदी के लिए कलेक्टर से NOC ली गई और ना ही अन्य जरूरी ओपचारिकताएं पूरी की गई | उन्होंने बताया कि बड़े पैमाने पर नगद लेनदेन हुआ और औने पौने दाम में आदिवासियों की जमीने खरीद ली गई | समरीते ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि इस आदिवासी बाहुल्य इलाके में पूंजीपतियों द्वारा किये जा रहे अवैध कब्जे से पर्यावरण को भी खतरा पैदा हो गया है , वही अवैध शिकार का भी अंदेशा है |