“भू-पे खड़ा भ्रष्टाचार में”, जनता खड़ी मैदान में, लोकसभा चुनाव का एलान, देश में 7 और छत्तीसगढ़ में 3 चरणों में चुनाव, लग गई आचार संहिता

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रायपुर/दिल्ली। लोकसभा चुनाव के एलान के साथ ही देश भर में आचार संहिता प्रभावशील हो गई है। देश के विभिन्न राज्यों में 7 चरणों में होने वाले चुनाव के लिए मतगणना 4 जून को होगी। इसके साथ ही उड़ीसा विधान सभा चुनाव की भी घोषणा कर दी गई है। देश की 543 लोकसभा सीट में अनुसूचित जाति के लिए 84 और अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीट आरक्षित घोषित की गई है। मतों की गणना 4 जून को होगी।छत्तीसगढ़ में राज्य की 11 लोकसभा सीट के लिए 3 चरणों में मतदान होगा। इसमें 19 अप्रैल को बस्तर सीट, 26 अप्रैल को राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर जबकि 7 मई 2024 को सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर चांपा, कोरबा, बिलासपुर, दुर्ग, और रायपुर में मतदान होगा।

पहले चरण के लिए 20 से 27 मार्च, दूसरे के लिए 28 मार्च से 4 अप्रैल और तीसरे चरण के लिए 12 अप्रैल से 19 अप्रैल के बीच नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसके साथ ही तीनों चरणों के लिए 30 मार्च, 8 अप्रैल और 22 अप्रैल को नाम वापस लिए जाने की अंतिम तिथि घोषित की गई है। राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखा जा रहा है। प्रदेश की सबसे चर्चित सीट राजनांदगांव और रायपुर संसदीय सीट बताई जाती है।राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सीधा मुकाबला निर्वतमान सांसद संतोष पांडेय से है। इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच दिलचस्प मुकाबला होगा। इसी तर्ज पर रायपुर संसदीय सीट से बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल और कांग्रेस के विकास उपाध्याय के बीच रोचक मुकाबले के आसार हैं।

बीजेपी अध्यक्ष किरणदेव सिंह ने सभी 11 सीटों पर जीत की दावेदारी की है। जबकि कांग्रेस एक से आगे की राह तय करने में जुटी है। अभी तक पार्टी को छत्तीसगढ़ में 11 सीटों से मात्र एक, दो सीट ही हासिल हो पाई है। लिहाजा कांग्रेस का जोर अपने नए खाते खोलने की ओर हैं। राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता के ज्वलंत मुद्दे चर्चा में है। इसमें PSC घोटाला, शराब घोटाला, महादेव ऐप घोटाला, जमीन घोटाला, कोल खनन परिवहन घोटाला, दवा घोटाला, राइस मिलिंग घोटाला और कांग्रेसी नेताओं के भ्रष्टाचार जनता की जुबान में है।

पीड़ित जनता न्याय की गुहार लगा रही है। जबकि भ्रष्टाचार के मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए विरोधी नेता केन्द्र सरकार पर महंगाई का आरोप मढ़ रहें हैं। विपक्ष राजनैतिक धरातल में मुद्दाविहीन नजर आ रहा है। दूसरी ओर बीजेपी मोदी गारंटी का संकल्प दोहरा रही है।

उसने महतारी वंदन योजना, कर्मचारियों को केन्द्र के बराबर DA, किसानों को उनकी फसलों का बोनस सहित भुगतान कर गदगद कर दिया है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेसी कार्यकर्ता बगले झांक रहे हैं, कारण पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में ही उन घोटालों को अंजाम दिया गया था। हालाकि कांग्रेस भ्रष्टाचार को छोड़ मोदी विरोध का मुद्दा लेकर मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्रयासरत नजर आ रही है। प्रदेश की सभी 11 सीटों के कई ईलाको का जायजा लेने पर पता चलता है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचारों को लेकर जनता का आक्रोश कांग्रेस पर आज भी भारी पड़ रहा है। लोगों को भू-पे की कथनी और करनी में अंतर समझ में आ गया है।

बताते हैं कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरल और न्यायप्रिय छवि मतदाताओं को प्रभावित कर रही है। जबकि राहुल गांधी के समर्थन में वो जनसैलाब उमड़ता नजर नहीं आ रहा है, जिसकी उम्मीद कांग्रेस आलाकमान ने लगा रखी थी। बहरहाल राजनीति में ऊंट कब किस करवट बैठ जाए इसका कोई ठोस अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। यह देखना गौरतलब होगा कि बीजेपी के गढ़ों को कांग्रेस किस हद तक भेद पाती हैं।