भारत की जनगणना 2011 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल 121 भाषाएं और 270 मातृभाषाएं बोली जाती हैं। वहीं, 121 भाषाओं में से 22 भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। यहाँ लगभग 52.8 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं। वहीं भारत में कुछ दशकों से अंतराष्ट्रीय भाषाएँ जैसे अंग्रेजी, स्पेनिश, फ्रेंच, और चीनी भाषा का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है, विशेष रूप से शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में। ये अंतराष्ट्रीय भाषाएँ न केवल बोल-चाल का जरिया हैं, बल्कि वैश्विक संचार, व्यापार, और शिक्षा के प्रमुख उपकरण भी बन गई हैं।
- शिक्षा में अंतराष्ट्रीय भाषा की भूमिका
विदेशी भाषाओँ का ज्ञान छात्रों को विभिन्न देशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने और रिसर्च (शोध) करने की सुविधा प्रदान करता है। उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले छात्रों को अंग्रेजी या अन्य अंतराष्ट्रीय भाषाओं की जानकारी होना बहुत जरुरी होता है क्योंकि उसी भाषा में उन्हें अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों (इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी) में पढ़ाई करने के साथ-साथ वहां की संस्कृतियों को समझने में मदद करता है।
द्विभाषिक और बहुभाषिक शिक्षा: द्विभाषिक और बहुभाषिक शिक्षा मॉडल छात्रों को विभिन्न भाषाओं में दक्षता प्राप्त करने में मदद करते हैं। इससे न केवल उनकी भाषा का विकास होता है, बल्कि यह उन्हें वैश्विक नागरिक बनने की दिशा में भी प्रोत्साहित करता है। उदाहरण के लिए, भारत में कई अंतराष्ट्रीय स्कूल और विश्वविद्यालय द्विभाषिक शिक्षा प्रदान करते हैं, जो छात्रों को एक से अधिक भाषाओं में पढ़ाते हैं।
सांस्कृतिक विविधता की समझ : अंतराष्ट्रीय भाषा सीखने से छात्रों को भारत के अलावा अनेक संस्कृतियों के बारे में जानने और समझने का मौका मिलता है। शिक्षा के माध्यम से सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा दिया जा सकता है, जो वैश्विक समाज में आवश्यक है।
- रोजगार में अंतराष्ट्रीय भाषा की उपयोगिता
वैश्वीकरण के दौर में, अंतराष्ट्रीय भाषाओं का ज्ञान नौकरी में बहुत कीमती हो गया है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ और अंतराष्ट्रीय संगठनों (एमएनसी) में काम करने के लिए विदेशी भाषा का ज्ञान आवश्यक हो गया है। उदाहरण के लिए, अंग्रेजी को विश्व व्यापार की भाषा माना जाता है और अधिकांश अंतराष्ट्रीय व्यवसायिक संवाद अंग्रेजी में होते हैं। अंतराष्ट्रीय भाषा की उपयोगिता शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अद्वितीय है। यह न केवल संचार का माध्यम है, बल्कि यह पर्सनल और प्रोफेशनल कैरियर में विकास का एक महत्वपूर्ण उपकरण भी है।
वैश्वीकरण और डिजिटल युग में, अंतराष्ट्रीय भाषाओं का ज्ञान और भी महत्वपूर्ण हो गया है। यह छात्रों को वैश्विक शैक्षणिक संसाधनों तक पहुंचने, संस्कृति को समझने, और उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद करता है। रोजगार के क्षेत्र में, यह पेशेवरों(वर्किंग प्रोफेशनल) को वैश्विक नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने, व्यवसायिक संचार को सुगम बनाने, और वैश्विक नेटवर्किंग के अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनाता है।
भविष्य में, अंतराष्ट्रीय भाषाओं का महत्व और भी बढ़ेगा क्योंकि वैश्विक संचार, व्यापार, और शिक्षा के क्षेत्र में संचार की आवश्यकताएं और भी अधिक हो जाएंगी। इसलिए, भाषा का अध्ययन और उसकी उपयोगिता को समझना न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए बल्कि वैश्विक समाज के विकास के लिए भी आवश्यक है।
- निष्कर्ष
अंतरराष्ट्रीय भाषाओं का अध्ययन और उनकी उपयोगिता को समझना समय की मांग है। यह न केवल हमारी व्यक्तिगत और पेशेवर क्षमताओं को बढ़ाता है बल्कि हमें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने में भी मदद करता है। भाषा के माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों को समझ सकते हैं और विश्व के विभिन्न हिस्सों के लोगों से जुड़ सकते हैं। इसलिए, हमें अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के महत्व को समझते हुए, उनके अध्ययन और उपयोग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। ऐसा करने से हम न केवल अपने देश का विकास करेंगे बल्कि एक सशक्त और जुड़ा हुआ वैश्विक समाज भी बनाएंगे।
लेखक: रवि कुमार माँझी
पता: अबु धाबी (UAE, संयुंक्त अरब अमीरात