नई दिल्ली वेब डेस्क /
दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बुधवार 8 जनवरी को ‘भारत बंद’ के आह्वान का सिर्फ पश्चिम बंगाल में असर देखने को मिला है | ट्रेड यूनियनों ने दावा किया है कि आठ जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ लोग शामिल होंगे। लेकिन हकीकत में देश के तमाम राज्यों में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शनकारियों ने धरना दिया | पश्चिम बंगाल के कई जिलों में प्रदर्शकारियों ने ट्रेने रोकी और सड़क परिवहन भी ठप्प किया | हड़ताल समर्थकों ने बंगाल के कुछ हिस्सों में रैलियां निकालीं और उत्तर 24 परगना जिले में सड़कों और रेलवे पटरियों को अवरुद्ध कर दिया | हालांकि, पुलिस ने तत्काल वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए उन्हें हटा दिया | कोलकाता में सरकारी बसें सामान्य रूप से चल रही हैं, लेकिन शुरुआती घंटों में निजी बसों की संख्या कम थी | इस दौरान शहर में मेट्रो सेवाएं सामान्य थीं और सड़कों पर ऑटो-रिक्शा तथा टैक्सियां भी चल रही थीं | शहर के कई इलाकों में भारी पुलिस तैनाती देखी गई है | उत्तर बंगाल के कुछ इलाकों में तृणमूल कांग्रेस ने हड़ताल का विरोध करते हुए रैलियां निकालीं और लोगों से सामान्य स्थिति बनाए रखने का आग्रह किया |
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ ये हड़ताल बुलाई गई है। ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और फेडरेशनों ने पिछले साल सितंबर में आठ जनवरी, 2020 को हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी। ट्रेड यूनियनों के मुताबिक इस हड़ताल के बाद वे कई और कदम उठाएंगे और सरकार से श्रमिक विरोधी, जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे।’
इन यूनियनों ने अपने बयान में कहा है कि ‘श्रम मंत्रालय अब तक श्रमिको को उनकी किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है। श्रम मंत्रालय ने दो जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी। सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है।’ बयान में कहा गया है कि छात्रों के 60 संगठनों तथा कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है। उनका एजेंडा बढ़ी फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण का विरोध करने का है।