नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, टर्मिनेशन ऑफ प्रैगनैंसी अधिनियम की धारा 3 व नियम 9 के तहत गर्भपात की दी अनुमति, सिम्स और बिलासपुर कलेक्टर को दिया आदेश, कहा – सुरक्षित गर्भपात के साथ रहने-खाने सहित उसे सुरक्षित घर पहुंचाने की व्यवस्था करें

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बिलासपुर। हाईकोर्ट ने आज नाबालिक दुष्कर्म पीड़िता की गर्भपात कराने की अनुमति याचिका पर फैसला सुनाया | हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पीड़िता की याचिका को स्वीकार करते हुए गर्भपात कराने की स्वीकृति प्रदान की है | उच्च न्यायलय ने फैसला सुनाते हुए छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्सथान (सिम्स) और कलेक्टर बिलासपुर को आदेशित  किया है | 

न्यायाधीश संजय के. अग्रवाल ने पीड़िता के सुरक्षित गर्भपात और स्वास्थ्य के लिए सिम्स डीन को आदेशित किया है|  वहीं बिलासपुर कलेक्टर को पीड़िता के रहने-खाने सहित उसे सुरक्षित घर पहुंचाने की व्यवस्था करने के साथ डीएनए टिश्यू को सुरक्षित रखने का भी आदेश दिया है | 

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता रजनी पाण्डेय ने कहा कि नाबालिग रेप पीड़िता गरीब परिवार से है|  लिहाजा हम सबने मिलकर वो जो चाहती थी, उसके लिए प्रयास किया | पीड़िता की मांग के अनुरूप गर्भपात के लिए हमने टर्मिनेशन ऑफ प्रैगनैंसी अधिनियम की धारा 3 व नियम 9 के तहत याचिका प्रस्तुत किया था | इस नियम के तहत बलात्कार पीड़िता को प्रैगनेंसी टर्मिनेट कराने का अधिकार दिया गया है |  इसके साथ ही ऐसे मामलों में उच्चतम न्यायालय ने विस्तृत आदेश भी पारित किया है | मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने तत्काल इस पर संज्ञान लिया था. इस मामले में पहली सुनवाई 10 मार्च को हुई थी. इसके बाद आज 16 मार्च को सुनवाई हुई. न्यायाधीश संयज के. अग्रवाल ने पीड़िता की मांग को स्वीकार करते हुए गर्भपात की अनुमति दे दी है |