नई दिल्ली। देश के 1,087 टोल प्लाजा से सरकार को हर दिन औसतन ₹168 करोड़ की आय हो रही है। यह आंकड़ा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने लोकसभा में सांसद दरोगा प्रसाद सरोज के सवाल के जवाब में साझा किया। सालाना देखा जाए तो यह आंकड़ा करीब ₹61,320 करोड़ तक पहुंचता है, जो भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क की वित्तीय मजबूती और रणनीतिक महत्व को दर्शाता है।
बुढ़नपुर-वाराणसी सड़क परियोजना
मंत्रालय ने बुढ़नपुर से वाराणसी तक की महत्वपूर्ण सड़क परियोजना पर भी जानकारी दी। यह दो भागों में विभाजित है—पहला, बुढ़नपुर से गोंसाई की बाजार बायपास तक और दूसरा, गोंसाई की बाजार बायपास से वाराणसी तक। इस परियोजना की कुल लागत ₹5746.97 करोड़ बताई गई है। अब तक इस मार्ग से ₹73.47 करोड़ की टोल वसूली हो चुकी है।
क्यों वसूला जाता है टोल?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि टोल का उद्देश्य सिर्फ लागत वसूली नहीं है। राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम, 2008 के तहत टोल एक यूज़र फीस है, जो सड़कों के रखरखाव, उन्नयन और संचालन में उपयोग होती है। टोल दरें और अवधि सरकारी या PPP मॉडल पर आधारित होती हैं।
बीते वर्षों में टोल प्लाजा की तेज़ वृद्धि
2019-20 से 2023-24 के बीच देश में 457 नए टोल प्लाजा स्थापित किए गए हैं, जिससे नेटवर्क और कमाई दोनों में इज़ाफा हुआ है।
