नई दिल्ली / साल का पहला चंद्र ग्रहण समाप्त हो चुका है | गुजरा चंद्र ग्रहण एक टेंशन दे गया है | चंद्र ग्रहण के बाद डबल डेकर बस से दोगुना आकार का एक धूमकेतु तेजी से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है | खगोल वैज्ञानिकों की चिंता है कि अगर यह धूमकेतू पृथ्वी से टकरा गया तो बड़ी प्रलय हो सकती है | यह धूमकेतु 12 जनवरी को पृथ्वी के करीब से होकर गुजरेगा | पृथ्वी की तरफ बढ़ रहे इस धूमकेतु के बारे में अमेरिका के ‘नासा’ (NASA) ने जानकारी दी है | धूमकेतु जिस रफ्तार से पृथ्वी की तरफ आ रहा है उससे अगर यह पृथ्वी के किसी भी कोने से टकरा गया तो सुनामी से भयंकर प्रलय ला सकता है |
अंतरिक्ष विज्ञानी अब इस धूमकेतु की दिशा का अध्ययन करने में जुट गए हैं | अगर यह धूमकेतु पृथ्वी से होकर गुजरता है तो इससे कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन अगर पृथ्वी को स्पर्श करते हुए भी यह धूमकेतु गुजरा तो भी ये भारी नुकसान पहुंचा सकता है | हालांकि नासा का यह दावा है कि पृथ्वी की तरफ तेजी से बढ़ रहा ये धूमकेतू पृथ्वी के बेहद करीब से होकर गुजरेगा | इसको लेकर नासा ने चेतवानी भी जारी की है |
धूमकेतु को लेकर एक बार फिर पृथ्वी को लेकर की गई भविष्यवाणियों को लोग याद करने लगे हैं | प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस और बाबा बांगा पहले ही पृथ्वी प्रलय को लेकर भविष्यवाणी कर चुके हैं | जिनमें से अधिकतर सच भी साबित हुई हैं | बाबा बांगा की कई गईं भविष्यवाणी हाल में काफी हद तक सच साबित हुईं हैं, उन्होने अमेरिका के राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति पुतिन को लेकर भी भविष्यवाणी की हैं |
भारतीय मान्यताओं के अनुसार किसी भी तरह के ग्रहण को शुभ नहीं माना गया है | ग्रहण को हमेशा से ही प्राकृतिक आपदाओं से जोड़कर देखा गया है | 26 दिसंबर 2019 को लगने वाले सूर्य ग्रहण के बाद भी कहा गया था कि जनवरी माह में देश और विश्व के अन्य देशों में उथल पुथल की स्थिति रहेगी | ऐसा हुआ भी ईरान और अमेरिका का तनाव इन भविष्यवाणियों को सच साबित करती हैं | नासा ने इस धूमकेतू को 2020 एबी2 नाम दिया है | इस धूमकेतु का पता नासा ने एस्टेरॉयड ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए पता लगाया है | नासा के अनुसार यह धूमकेतु 12 जनवरी को पृथ्वी के करीब से होकर गुजरेगा |
धूमकेतु क्या होता है
धूमकेतु हमारे सोलर सिस्टम का ही हिस्सा होते हैं, जो पत्थर, धूल, बर्फ और गैस के छोटे छोटे टुकड़े होते हैं | ग्रहों की तरह यह भी सूर्य के चक्कर लगाते रहते हैं | इन्हें परिक्रमा पूरा करने में सैकड़ों साल का समय लगता है | अधिकतर धूमकेतु बर्फ, कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन, अमोनिया, सिलिकेट और कार्बनिक मिश्रण से बने होते हैं |