कोटा में ‘3 इडियट्स’ जैसा सीन, बेटे को स्कूटी पर बैठाकर वार्ड में पहुंचा पिता, बोला- व्हील चेयर मांगा था, लेकिन…

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कोटा: बॉलीवुड फिल्‍म ‘3 इडियट्स’ का वह सीन तो आपको याद होगा जिसमें आमिर खान अपने दोस्‍त के बीमार पिता को स्‍कूटी पर बैठाकर अस्‍पताल पहुंचते हैं. ऐसा ही एक मामला राजस्थान के कोटा शहर से आया है. जहां एक पिता अपने बेटे को स्‍कूटी पर बैठाकर कोटा के एमबीएस अस्‍पताल पहुंच गया. घटना गुरुवार दोपहर की है. दरअसल कोटा कोर्ट के वकील मनोज जैन के बेटे लवित्र जैन के पैर में फ्रैक्चर हो गया था.

सूत्रों के अनुसार मनोज जैन को बेटे को दिखाने के लिए कोटा के एमबीएमस अस्पताल के तीसरी मंजिल पर स्थित ऑर्थोपेडिक्स वार्ड में जाना था. व्हीलचेयर की अनुपलब्धता पाकर वह अपने बेटे को इलेक्ट्रिक स्कूटर पर लेकर लिफ्ट के माध्य से तीसरी मंजिल पर जा पहुंचे. हालांकि, जब वह वार्ड से लौट रहे थे तो वार्ड प्रभारी ने उन्हें रोक लिया और अपने स्कूटर की चाबी निकाल ली, जिसके बाद अधिवक्ता ने अस्पताल में कुप्रबंधन और व्हील चेयर की अनुपलब्धता के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराते हुए हंगामा किया.

शिकायत के अभाव में पुलिस ने कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की और बाद में दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर मामला सुलझा लिया गया. एमबीएस अस्पताल की ओपीडी में गुरुवार दोपहर करीब 1.30 बजे एक असामान्य दृश्य दिखाई दिया, जब एक काले कोट वाला व्यक्ति अपनी इलेक्ट्रिक स्कूटी के साथ लिफ्ट में जाते देखा गया. यहां तक कि वह अपनी स्कूटी के साथ लिफ्ट में घुसे और तीसरी मंजिल पर आर्थोपेडिक वार्ड में अपने बेटे को ले जाने के लिए पहुंचे. बेटे के एक पैर में प्लास्टर लगा हुआ था.

वार्ड में स्कूटी के साथ वकील को देख वार्ड में मौजूद हर कोई दंग रह गया. हंगामे की सूचना पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और वकील व अस्पताल कर्मियों को समझाइश दी. एडवोकेट जैन ने दावा किया कि उन्होंने पहले अस्पताल के कर्मचारियों मुकेश और सुखलाल से अपने बेटे के लिए व्हीलचेयर मांगी थी. लेकिन स्टाफ ने व्हीलचेयर की अनुपलब्धता का जवाब दिया, जिसके बाद उन्होंने अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर को वार्ड में ले जाने की अनुमति मांगी जिस पर कर्मचारियों ने सिर हिलाया.

वकील ने दावा किया कि उसने कोई गलत काम नहीं किया और वह अपना इलेक्ट्रिक स्कूटर लेने के लिए बाध्य था क्योंकि व्हील चेयर नहीं थी और अस्पताल में कुप्रबंधन और अव्यवस्थाओं के लिए अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया. इस बीच, एमबीएस में न्यू ओपीडी के प्रभारी देवकीनंदन ने कहा कि अधिवक्ता को रोकना और चाबी निकालना उनका कर्तव्य था क्योंकि यह नियमों के खिलाफ था.