पटना / एक ओर आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद यादव एम्स में भर्ती हैं। वही दूसरी ओर उनके परिजनों ने उनकी सजा माफ़ कर रिहाई की गुहार राष्ट्रपति से लगाई है। परिजनों की दलील है कि षडयंत्र कर लालू यादव को जेल भेजा गया है। हालाँकि चारा घोटाले समेत दर्जनों घोटालों को लेकर पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल पर लालू के लाल बगले झांकते रहे। वे यही रट लगाए रहे कि सब साजिश है। दरअसल तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह से लालू को रिम्स रांची से मेडिकल बोर्ड की सलाह पर एम्स भेजा गया है। उनके दिल्ली आते ही उनकी रिहाई के विषय पर सियासत गरम है। लालू के परिवार और उनकी पार्टी का आरोप है कि षड़यंत्र के तहत उनके पिता को 2018 में एम्स से छुट्टी दे दी गई थी, जबकि यह बात हर किसी को पता थी कि रिम्स में उस स्तर की मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध नहीं है। अब उनके बेटे तेज प्रताप यादव ने भी षड़यंत्र का आरोप लगाया है।
तेज प्रताप कहते हैं कि लालू प्रसाद यादव को एक साजिश के तहत सलाखों के पीछे भेजा गया है। लंबी बीमारी के बावजूद जेल में केंद्र सरकार द्वारा उन्हें राजनीतिक यातना दी जा रही है। उन्होंने रिहाई के लिए एक पोस्टकार्ड जारी करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से उनकी रिहाई की गुहार लगाई है। इस कार्ड में अपने पिता को बरी करने की मांग करते हुए तेज प्रताप ने लिखा कि लालू यादव जी के साथ साथ क्या कुछ हुआ है उसे बताने की जरूरत नहीं है। उनके पिता को उस काम के लिए सजा दी गई जिसके हक के लिए वो लड़ाई लड़े थे।
लालू यादव के स्वास्थ्य पर अब सियासत तेज हो गई है। आरजेडी के नेताओं का कहना है कि सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले शख्स को सलाखों के पीछे डाल दिया गया। जब वो आरएसएस और बीजेपी के खिलाफ और मुखर होकर बोलने लगे तो उन्हें अच्छी चिकित्सा सुविधा से वंचित कर दिया गया। 2018 में जबरन उन्हें एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया था जबकि उस समय वो तरह तरह की दिक्कतों से जूझ रहे थे। यह तो जांच का विषय है कि किसके दबाव पर इस तरह का फैसला कराया गया था। उधर लालू के लाल की इस मुहिम से कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के कई नेताओं ने किनारा कर लिया है। अभी तक कोई भी नेता लालू की रिहाई को लेकर सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आया है।