
लखीमपुर/महेवागंज : – कलेक्टर साहब के पैरों तले उस वक्त जमीन खिसक गई, जब एक पिता ने भरी बैठक के बीच अपने हाथों में रखें थैले को दिखाते हुए, शासन – प्रशासन से थैले में झाँकने का निवेदन किया जब लोगों ने भीतर झाँका, तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गई। इसके साथ ही पीड़ित ने रोते – बिलखते आश्चर्यजनक मांग DM के सामने रखी। उसने गुहार लगाते हुए कहा कि इसकी मां को क्या जवाब दूं? साहब, इसे जिंदा कर दो। पसोपेश में नजर आ रहे कलेक्टर साहब के पास पीड़ित पिता को सांत्वना देने के अलावा और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। हालांकि माज़रा समझने में DM को देर नहीं लगी। उन्होंने फ़ौरन अधिकारियों को कार्यवाही के लिए निर्देशित किया। अस्पतालों में व्याप्त लापरवाही और गैरजिम्मेदारी से जान गवाने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आखिरकर हकीकत से वाकिफ कलेक्टर ने कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए है।

जानकारी के मुताबिक हाथ में टंगे थैले में शिशु का शव लेकर पिता कलक्ट्रेट स्थित डीएम कार्यालय में चल रही बैठक में अचानक पहुंचा था। उसके हाथ में टंगे थैले में नवजात का शव देखकर अधिकारियों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। सरकार की योजनाओं को लागू करने के लिए जारी बैठक में विपिन नामक शख्स रोता-बिलखता पंहुचा था। उस पर अस्पताल की लापरवाही भारी पड़ी थी। आपबीती सुनाते हुए उसका दुःख – दर्द झलक रहा था। वह अधिकारियों से बस एक ही गुहार लगा रहा था कि साहब किसी तरह से इस बच्चे को जिंदा कर दो, इसकी मां दूसरे अस्पताल में भर्ती है। उसे बताया है कि बच्चे की हालत ठीक नहीं लगने पर इलाज के लिए उसे इस भर्ती कराया था, जबकि इसकी माँ का इलाज दूसरे अस्पताल में चल रहा है, अधिकारीयों से रोते हुए पीड़ित ने पूछा कि आप ही बता दो कि इसकी मां को क्या जवाब दें। पीड़ित विपिन के घर सात साल बाद खुशी का मौका आया था, मगर पहले ही दिन यह मौका हाथों – हाथ छिन गया।

पीड़ित की व्यथा सुनकर मौक़े पर मौजूद अधिकारियों का भी दिल पसीज गया। कलेक्टर के फ़ौरी निर्देश के बाद सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता और एसडीएम सदर अश्विनी कुमार सिंह को दलबल के साथ गोलदार स्थित अस्पताल भेजा गया। प्रशासन की टीम ने जब जांच शुरू की तो असलियत सामने आई है। डीएम को मामले से अवगत कराने के बाद अस्पताल को सील कर दिया गया है। वहीं, अस्पताल में भर्ती तीन मरीजों को जिला महिला अस्पताल शिफ्ट कराया।