पटना / बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया में हकीकत बयां करने को लेकर चेतावनी वाला जो चाबुक चलाया अब वो उन पर ही भारी पड़ने लगा है | सरकार की चौतरफा आलोचना के बाद मुख्यमंत्री बैकफुट पर है | जबकि अब सरकार के जन संपर्क विभाग से लेकर तमाम अफसरों ने मुख्यमंत्री के वक्तव्यों को लेकर सफाई देना शुरू कर दिया है | घोर आलोचना की शिकार सरकार की चेतावनी अब उसे ही कटघरे में खड़ा कर रही है | विपक्ष के हमलावर रुख अपनाने के बाद सरकार के तेवर में अचानक नरमी आ गई है | गौरतलब है कि एक दिन पूर्व नितीश कुमार ने सरकार , मंत्रियों और सरकारी अफसरों के खिलाफ अपमानजनक या आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट को साइबर क्राइम के तहत लाने का आदेश दिया था | उनके निर्देशों के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार जनता के निशाने पर भी आ गई थी | आखिरकर अब पैतरा बदलते हुए राज्य सरकार डैमेज कंट्रोल के मोड में आ गई है |
बिहार पुलिस ने आज अपने इस कदम पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए ‘कन्स्ट्रक्टिव क्रिटिसिज्म’ यानी रचनात्मक आलोचना की वकालत की है | इस बयान में कहा गया है कि प्रशासन ‘रचनात्मक आलोचना का स्वागत करता है’ और इस आदेश के तहत बस ‘अपमानजनक भाषा’ का इस्तेमाल करने वाले और अफवाह फैलाने वाले लोगों के खिलाफ ही एक्शन लिया जाएगा |
बिहार के एडिशनल डायरेक्टर जनरल हेडक्वार्टर्स से जितेंद्र कुमार ने कहा, ‘आलोचना लोकतंत्र के लिए लाभकारी होती है | लेकिन आलोचना रचनात्मक होनी चाहिए और भाषा मर्यादा की सीमा में होनी चाहिए | यह एडवाइज़री सोशल मीडिया पर इस्तमेाल होने वाली अपमानजनक भाषा, अफवाहों और गलत सूचनाओं के प्रसार को ध्यान में रखते हुए जारी की गई थी- यह सभी IT एक्ट के तहत दंडनीय अपराध हैं |’
दरअसल कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को आदेश दिया था कि सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट को रिपोर्ट किया जाए और उन्हें डालने वालों के खिलाफ एक्शन लिया जाए | बताया जा रहा है कि इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कार्यप्रणाली और सरकार के कामकाज दोनों जनता के निशाने पर है | इसके चलते सोशल मीडिया में नीतीश कुमार और उनकी सरकार की जमकर आलोचना हो रही है | इससे सरकार की छवि भी प्रभावित हो रही हैं |