नई दिल्ली / देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में लिविंग रिलेशनशिप और प्रेम प्रसंग के मामले आम है | इन प्रकरणों पर रखी गई बलात्कार की दलीले कितनी जायज और नाजायज है , इसे अदालत ने साफ़ कर दिया है | दरअसल देशभर में कई युवक प्रेम प्रसंग में हुए सेक्स को लेकर बलात्कार के आरोप झेल रहे है | एक ऐसे ही मामले में अदालत की दलीलों से कानून की अहमियत सामने आई है | अदालत ने कहा है कि अगर शादी का वादा करके किसी महिला के साथ, उसकी सहमति से लंबे समय तक सेक्शुअल रिलेशन रखे जाते हैं, तो इसे रेप नहीं कहा जा सकता | दिल्ली हाई कोर्ट की इसी टिप्पणी के साथ जज ने एक रेप केस को खारिज भी कर दिया | इस मामले में फैसला सुनने के बाद आरोपी ने जहां राहत की सांस ली है , वही पीड़ित युवती शीर्ष अदालत में अपील के लिए विचार कर रही है |

दरअसल इस मामले में युवती ने आरोप लगाया था कि शादी का वादा करके उसके साथी ने उसके साथ कई महीनों तक फिज़िकल रिलेशन बनाए थे | ये मामला पहले ट्रायल कोर्ट में था | वहां से आरोपी युवक को रेप के आरोप से कोर्ट ने बरी कर दिया था | इसके बाद फरियादी युवती ने हाई कोर्ट का रुख़ किया | लंबी सुनवाई और मामले की गहराई का अध्ययन करने के बाद अब हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी है | कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि “अगर आप किसी के साथ लंबे समय तक, कई महीनों तक फिज़िकल रिलेशन में रहते हैं, तो बाद में शादी के वादे को ‘सेक्स के लिए प्रोत्साहन’ के तौर पर नहीं पेश कर सकते.”

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस विभू बाखरू की बेंच ने आगे कहा कि कुछ केस ऐसे होते हैं, जिनमें महिलाएं शादी के वादे में आकर कुछ मौकों पर फिज़िकल रिलेशन बनाने के लिए राजी हो जाती हैं, जबकि इसमें उनकी पूर्ण सहमति नहीं होती. ये ‘क्षणिक’ होता है और ऐसे मामलों में IPC की धारा- 375 (रेप) के तहत केस चलाया जा सकता है | लेकिन अगर कोई लगातार, लंबे समय तक सेक्शुअल रिलेशन बना रहा है तो ये नहीं माना जा सकता कि इतने लंबे समय तक सिर्फ शादी के वादे पर ऐसा किया जा रहा था |
इस तरह के मामले देश की विभिन्न अपीलीय अदालतों में पहले भी आए हैं | ओडिशा हाई कोर्ट ने मई-2020 में ऐसे ही एक केस में आरोपी को ये कहते हुए जमानत दे दी थी कि उस पर जो आरोप लगे हैं, वो रेप की श्रेणी में नहीं रखे जा सकते | वो मामला भी शादी का वादा करके सेक्स करने का था | अदालत ने कहा था कि IPC की धारा-375 में बताया गया है कि किन सात परिस्थितियों में महिला के साथ बनाए संबंधों को रेप माना जाएगा | लेकिन ये केस इन सात में से किसी भी श्रेणी में नहीं आता |

सुप्रीम कोर्ट ने भी जनवरी 2019 में इसी तरह की टिप्पणी की थी | कोर्ट ने कहा था कि अगर दो लिवइन पार्टनर सहमति से सेक्शुअल रिलेशन बनाते हैं और बाद में दोनों की शादी नहीं हो पाती तो इसे रेप नहीं कहा जा सकता |
