Saturday, September 21, 2024
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हत्या के झूठे आरोप में पांच साल जेल में बंद रहे दंपति पर फिर टूटा मुसीबत का पहाड़, अनाथालय से बच्चे हुए लापता, कलेजे के टुकड़ो की गुमशुदगी से मायूस दंपत्ति ने अंधे कानून पर उठाई उंगलियां , अदालत ने सरकार से मांगा जवाब , इस दंपत्ति की पढ़े मार्मिक दास्तान

प्रयागराज / एक दंपत्ति कत्ल के झूठे आरोप में पांच साल तक जेल में कैद रहे | जब छूटे तो एक नई मुसीबत से फिर उनका सामना हुआ | उनके बच्चे चाइल्ड सेंटर से नदारद पाए गए | करीब पांच साल तक बगैर किसी जुर्म के जेल में वक्त बिताने वाले इस दंपति के दो बच्चों स्थानीय अनाथालय से लापता हो गए है | न्यूज़ टुडे से जुड़े पत्रकारों ने जब इसका खुलासा किया तो लोग हैरत में पड़ गए | हालांकि घटना पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। बताया जाता है कि इस घटना को लेकर मुख्य न्यायाधीश को किसी ने पत्र लिखा था | इस पर कोर्ट ने संज्ञान लेकर लुकिंग फॉर जस्टिस के नाम से जनहित याचिका दर्ज कर ली | अदालत ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर 26 अप्रैल तक इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट के साथ जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए है |

इस जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति संजय यादव तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ सुनवाई कर रही है | अदालत ने मुख्य न्यायाधीश को लिखे गए पत्र व अन्य दस्तावेज की प्रतियां अपर शासकीय अधिवक्ता को देने के निर्देश भी दिए है |

बताया जाता है कि मामला वर्ष 2015 का है। इस दौरान आगरा के एक दंपति को पुलिस ने पांच साल के बच्चे की हत्या के आरोप में अदालत में पेश किया था | जहाँ से उन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया। पीड़ित दंपति के दो बच्चे थे। मां-बाप के जेल चले जाने इन बच्चों की देखभाल करने के लिए कोई संस्था और नाते रिश्तेदार सामने नहीं आये | आख़िरकर कोर्ट के आदेश से दोनों बच्चों एक पांच साल का बेटा और तीन साल की बेटी को अनाथालय भेज दिया गया। उधर पुलिस ने बच्चे की हत्या के मामले में इस दंपति के खिलाफ आरोपपत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर कड़ी सजा की मांग की | उधर सुनवाई के दौरान पुलिस के तमाम साक्ष्य झूठे पाए गए | पांच साल बाद जब सुनवाई हुई तो अपर सत्र न्यायाधीश आगरा ने इस दंपत्ति के खिलाफ कोई साक्ष्य न पाते हुए उन्हें रिहा करने के निर्देश दिए | अदालत का निर्देश मिलने के बाद जेल से इन्हे रिहा कर दिया गया । खास बात यह है कि अदालत ने अपने फैसले में कहा कि विवेचनाधिकारी ने जल्दी जांच पूरी कर वाहवाही लूटने के लिए और हड़बड़ी में चार्जशीट दाखिल कर दी थी । यही नहीं पुलिस ने वास्तविक अपराधी को तलाशने की कोशिश नहीं की। जबकि पीड़ित दंपति के खिलाफ हत्या के आरोप का कोई साक्ष्य नहीं पेश किया गया ।

उधर पांच साल बाद जेल से छूटते ही इस दंपत्ति ने अनाथालय का रुख किया | लेकिन दोनों उस समय फूट-फूट कर रोने लगे जब दोनों बच्चे वहां से गायब मिले | अनाथालय की ओर से उन्हें कोई संतोषजनक जवाब भी नहीं मिला | ये दंपत्ति अपने बच्चों की तलाश में सड़कों की खाक छानते रहे | इसके बावजूद भी उनके दोनों बच्चों का कहीं कोई पता नहीं चला | पीड़ित दंपत्ति ने बच्चों की खोजबीन के लिए पुलिस के आला अधिकारियों के दरवाजे भी खटखटाए। लेकिन यहां भी मायूसी हाथ लगी | कोई जवाब नहीं मिलने पर इस दंपत्ति ने न्यूज़ टुडे से जुड़े पत्रकारों से संपर्क किया | इसके बाद खोजबीन को उस वक्त बल मिला जब एक संवेदनशील शख्स ने मामले को मुख्य न्यायाधीश तक पंहुचा दिया | इस शख्स ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इस दंपत्ति की मदद की गुहार लगाई । फ़िलहाल बच्चों की तलाश जारी है |

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