दिल्ली / रायपुर : छत्तीसगढ़ में 36 हजार करोड़ के नान घोटाले की अहम् सुनवाई कल सोमवार को अपराह्न 3 बजे सुप्रीम कोर्ट में होगी | इसके लिए ईडी का सामना कर रहे सरकारी महकमे ने अपनी कमर कसी हुई है | किसी भी तरह से सीबीआई जांच से बचने और घोटाले के मुख्य आरोपियों को बचाने के लिए अमले ने “साम दाम और दंड भेद” की नीति अपनाते हुए पूरी ताकत झोक दी है | बचाव पक्ष की ओर से देश के नामी गिरामी वकीलों की फौज तैनात कर दी गई है | महंगे वकीलों की जो सूची सामने आयी है ,इस सूची देखकर जानकार बताते है कि इतने वकीलों की एक मात्र दिन की फ़ीस एक करोड़ से अधिक आंकी जा सकती है |
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उन्होंने हैरानी जताई कि आखिर इतनी मोटी रकम किस जुगाड़ से खर्च की जा रही है ? जानकारों के मुताबिक सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि , अदालत से मिल रही तारीख पे तारीख पर भी ऐसे ही वकीलों का जमघट लग रहा है | लिहाजा बचाव पक्ष आखिर कहाँ से इतनी अधिक रकम ला रहा है | यही नहीं छत्तीसगढ़ शासन की ओर से भी अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट में महंगे वकील उतारे गए है ,जाहिर है वकीलों पर खर्च होने वाली करोडो की रकम के भुगतान का भार गरीब राज्य को झेलना पड़ रहा है |
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बताया जाता है कि नान घोटाले के मद्देनजर छत्तीसगढ़ भवन -सदन से लेकर बड़ी होटलो तक “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” लोगो ने डेरा डाला हुआ है | तमाम कमरे बचाव पक्ष के हिमायती लोगो से खचाखच भरे हुए है | यहाँ उनके सैर -सपाटे और मेहमान नवाजी का पुख्ता बंदोबस्त किया गया है | रायपुर से दिल्ली फ्लाइट से इनकी नियमित आवाजाही हो रही है | यहाँ डटे कई आरटीआई कार्यकर्त्ता अपना पक्ष रखने के लिए बतौर इंटरवीनर पहुंचे है | सूत्र बताते है कि बचाव पक्ष की आस इन्ही पर टिकी हुई है |
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लिहाजा इन्हे भी मोटा नजराना पेश कर दिल्ली आयात किया गया है | इनकी भी जमकर तीमारदारी हो रही है | बकौल एक वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्त्ता के मुताबिक वे लोग “सबका साथ सबका विकास” के संकल्प के साथ आयात किये गए है , करीब चार साल बाद सबको उनकी याद आई है ,इसलिए उनके अब जाकर अच्छे दिन आए है | फिर आपदा में अवसर तलाश लेने की विधा को सरकारी मान्यता जो प्राप्त है | कई मौको पर राष्ट्रीय मंचो से इसका गुणगान होने से प्रेरित होकर ,उन्होंने यहां आने का फैसला किया है | उन्होंने संतोष जाहिर करते हुए कहा कि “जिसने दिया उसका भला और जिसने नहीं दिया ,उसका देने के बाद होगा भला” , अभी पूरा साल बाकी है |
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जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में कल ईडी का सीधा मुकाबला बचाव पक्ष से होगा | इस बीच छत्तीसगढ़ सरकार की दलीले गौरतलब रहेंगी | सुनवाई के दौरान तीखी बहस के भी आसार है | एक ओर जहाँ घोटाले की सीबीआई जांच के साथ भ्र्ष्टद्वय टुटेजा और आलोक शुक्ला की अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग को लेकर ईडी जिरह कर सकती है ,वही बचाव पक्ष और राज्य सरकार इसका विरोध कर सकती है |
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यही नहीं आरटीआई इंटरवीनर कोर्ट की निगरानी में मौजूदा एसआईटी से ही घोटाले की जांच वाली परम्परागत मांग कर सकता है |
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सूत्र बताते है कि परिस्थिया जो भी हो ,मूलमंत्र जैसे -तैसे बचाव पक्ष का बचाव कर “सलवा जुडूम” कामयाब करना है | हालाँकि कुछ एक आरटीआई कार्यकर्त्ताओ का दावा है कि बतौर इंटरवीनर वे अपने दायित्व का निर्वहन जनहित में करने पर जोर दे रहे है |उनका नाम लाभार्थी-हितग्राही सूची में ना लिया जाए|फैसले की रात सभी के लिए क़त्ल की रात से कम नहीं नजर आ रही है |
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हालाँकि हकीकत तो दोनों पक्षों की अदालत में पेश दलीलों को सुनने के बाद ही सामने आएगी | “ऊंट किस करवट बैठेगा”, इसका फैसला तो अदालत ही करेगी | माना जा रहा है कि शाम चार बजे तक कुछ निर्णायक समाचार आ सकता है | फिलहाल तो आज की रात बेचैनी भरी गुजर रही है |