सुप्रीम कोर्ट में जज और वकील के बीच जबरदस्त क़ानूनी दांवपेंच से गरमाया अदालत का गलियारा, वकील प्रशांत भूषण पर अवमानना मामले में एक रुपये का जुर्माना, अदा नहीं करने पर 3 माह की सजा और 3 साल तक प्रैक्टिस पर प्रतिबंध का फरमान

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दिल्ली / न्यायपालिका के खिलाफ ट्वीट करने के लिए दोषी ठहराए गए कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक रुपये का जुर्माना लगाया है | जुर्माना नहीं भरने की सूरत में 3 माह की सजा और 3 साल तक प्रैक्टिस में प्रतिबन्ध का फरमान भी सुनाया गया है | इससे पहले अदालत ने 25 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा, बी. आर. गवई और कृष्ण मुरारी ने प्रशांत द्वारा अपने ट्वीट्स के लिए माफी मांगने से इनकार करने के बाद उनकी सजा पर आदेश सुरक्षित रख लिया था | अब यह देखना होगा कि प्रशांत भूषण जुर्माना भरेंगे या नहीं | अभी तक वे सजा को लेकर काफी सख्ती दिखा चुके है | उन्होंने अदालत से आखरी तक क्षमा नहीं मांगी और ना ही अपने ट्वीट को लेकर कोई खेद व्यक्त किया |

पीठ ने प्रशांत भूषण के ट्वीट के लिए माफी मांगने से इनकार करने का जिक्र करते हुए कहा, माफी मांगने में क्या गलत है? क्या यह शब्द इतना बुरा है? सुनवाई के दौरान पीठ ने भूषण को ट्वीट के संबंध में खेद व्यक्त नहीं करने के लिए अपने रुख पर विचार करने के लिए 30 मिनट का समय भी दिया था | लेकिन प्रशांत भूषण टस से मस नहीं हुए |

सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि उनका यह सुझाव है कि प्रशांत भूषण को दंडित किए बिना मामले को बंद कर दिया जाए. शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था | जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि कब तक इस प्रणाली को भुगतना होगा. पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों की निंदा की जाती है और उनके परिवारों को अपमानित किया जाता है. उन्होंने कहा, वे तो बोल भी नहीं सकते. शीर्ष अदालत ने प्रशांत भूषण के वकील से कहा कि उनसे उन्हें निष्पक्ष होने की उम्मीद है |

प्रशांत भूषण का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने दलील दी थी कि शीर्ष अदालत फैसले में कह सकती है कि वह भूषण से सहमत नहीं है. धवन ने जोर देकर कहा कि किसी को भी अवमानना ??कार्यवाही में माफी मांगने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और कहा कि भूषण द्वारा की गई हार्ले डेविडसन की टिप्पणी शायद ही आलोचना थी |राजीव धवन ने दलील दी थी कि शीर्ष अदालत फैसले में कह सकती है कि लोगों को किस तरह के कोड का पालन करना चाहिए, लेकिन विचार भूषण को चुप कराने के लिए नहीं होना चाहिए. शीर्ष अदालत ने दलीलों के दौरान भूषण से पूछा कि वह ट्वीट के लिए माफी मांगने के लिए इतने परेशान क्यों हैं |

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हालाँकि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने ने जोर देकर कहा कि शीर्ष अदालत को भूषण को माफ कर देना चाहिए और मामले पर दयालु दृष्टिकोण रखना चाहिए. पीठ ने कहा कि एक व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए और कहा कि उसने भूषण को समय दिया, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया | फ़िलहाल देश की निगाहे प्रशांत भूषण के अगले कदम पर टिकी है |