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छत्तीसगढ़ में सीबीआई के दस्तक देते ही विवाद शुरू , एक हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले में नामजद FIR करने के बजाएं अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ दर्ज की गई रिपोर्ट , क्या केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह को बचाने सीबीआई ने रचा प्रपंच ? हाईकोर्ट में शिकायत 

बिलासपुर / केंद्र सरकार के निर्देश पर सीबीआई ने केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह को बचाने के लिए घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज करने के बजाएं अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की ? बिलासपुर हाईकोर्ट के FIR दर्ज करने के निर्देश की क्या सीबीआई ने तोड़-मरोड़ कर व्याख्या की | इसे लेकर याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई है कि आईएएस अधिकारियों के अलावा अन्य नामजद अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज ना करते हुए सीबीआई ने अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ FIR कर नया प्रपंच रचा है |

गौरतलब है कि सीबीआई ने अज्ञात अफसरों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 409 , 467 ,468 ,471 ,120 बी , U/S 13(2) 13(1) (D) भ्रष्ट्राचार निरोधक अधीनियम के तहत अपराध क्रमांक 222-2020 A 0001 IN AC IV BRANCH के तहत मामला दर्ज कर विवेचना में लिया है | जबकि निर्देशों में इंगित किया गया है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ FIR होगी उसमे राज्य के 6 आईएएस अफसर आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एनके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती समेत सतीश पांडेय, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा शामिल है |याचिकाकर्ता ने अदालत में अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए सीबीआई की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगाएं है | शुक्रवार को बिलासपुर हाईकोर्ट में अपनी आपत्तियों पर चर्चा करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि इसे अदालत के संज्ञान में लाया गया है | उनके मुताबिक अदालत ने घोटाले में शामिल अधिकारियों की संलग्नता और मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे | अदालत के फैसले में तमाम तथ्यों को दर्शाते हुए संदेही अधिकारियों के खिलाफ नामजद इबारत भी लिखी गई है | इसके बावजूद सीबीआई ने अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज कर नया विवाद पैदा कर दिया है | 

बिलासपुर हाईकोर्ट में मौजूद याचिकाकर्ता कुंदन सिंह और उसके वकील देवर्षि ठाकुर ने लगभग दो हजार पन्नों की फाइल अदालत को सौंपी है | इसमें शामिल दस्तावेज बताते है कि संदेही अधिकारियों ने अपने पद का इस्तेमाल करते हुए करोड़ों का घोटाला किया | फाइल में शामिल दस्तावेज अदालत के पटल पर रखने के साथ ही याचिकाकर्ता कुंदन सिंह और उसके वकील देवर्षि ठाकुर ने अपने बयानों को अंतिम रूप दिया है | उधर छत्तीसगढ़ शासन की ओर से दाखिल रिव्यू पिटीशन पर अपना पक्ष रखने के लिए महाधिवक्ता सतीशचन्द्र वर्मा भी अदालत में मौजूद है |          

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