बेंगलुरु : कर्नाटक की राजनीति में मुख्यमंत्री बदलने को लेकर जारी खींचतान अभी थमी नहीं है। शनिवार को हाईकमान के निर्देश पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी CM डी.के. शिवकुमार के बीच हुई ब्रेकफास्ट मीटिंग ने भले ही बाहर दोस्ताना तस्वीर पेश की हो, लेकिन सत्ता की असली रस्साकशी अभी भी जारी है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, इस मसले पर अंतिम फैसला दिल्ली में होने वाली बैठक में लिया जाएगा, जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे शामिल होंगे। दोनों नेताओं को जल्द ही दिल्ली तलब किया जा सकता है। उसी के बाद स्थिति साफ होगी, कि सिद्धारमैया की कुर्सी बरकरार रहेगी या नेतृत्व कोई नया फार्मूला अपनाएगा।

सूत्र बताते हैं, कि फिलहाल पार्टी हाईकमान नेतृत्व परिवर्तन के पक्ष में नहीं दिख रहा है। बीते हफ्ते प्रस्तावित बैठक सोनिया गांधी की अनुपस्थिति के कारण टल गई थी। अब उनके दिल्ली लौटते ही फैसला किसी भी समय संभव है। पार्टी कैंप के भीतर समर्थन का गणित भी दिलचस्प है। करीब 100 से ज्यादा विधायक सिद्धारमैया के साथ खड़े बताए जा रहे हैं। सिद्धारमैया जहां कुरुबा समाज के बड़े नेता और राज्य के सबसे लोकप्रिय चेहरों में शामिल हैं, वहीं डी.के. शिवकुमार एक मजबूत संगठनकर्ता और संसाधन प्रबंधन के माहिर माने जाते हैं। उनकी नाराजगी पार्टी के लिए भारी पड़ सकती है।

ढाई-ढाई साल की सत्ता साझेदारी बना विवाद की जड़-
कर्नाटक में 2023 में कांग्रेस की जीत के बाद अनौपचारिक रूप से तय हुआ था, कि दोनों नेता ढाई-ढाई साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे। यह समझौता कभी सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन अब तय समयावधि पूरी होने के साथ ही डी.के खेमे की आवाज और बुलंद हो गई है। बहरहाल, देखना होगा कि दिल्ली की बैठक कर्नाटक में सियासी तनाव को विराम दे पाएगी या विवाद का नया दौर शुरू होगा।
