रायपुर | छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के आमने सामने आने के बाद कई किसान संगठन भी मैदान में कूदने की तैयारी में है | लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार और कांग्रेस के खिलाफ | दरअसल समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के बजाए कांग्रेस के घोषणा पत्र के वादे के अनुरूप किसानो को उनकी फसल का मूल्य दिए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है | इस बीच एक सरकारी परिपत्र ने किसानो का माथा ठनका दिया है | यह परिपत्र छत्तीसगढ़ सरकार का है ,जिसे देखकर प्रदेश भर में किसानो और उनके संगठनों की भौंए तन गई है |
इस परिपत्र में छत्तीसगढ़ सरकार के खाद्य विभाग की ओर से निर्देशित नीति में कहा गया है कि राज्य शासन ने विगत वर्षों की भांति खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में भारत सरकार से निर्धारित यूनिफार्म स्पेसिफिकेशन के अनुसार प्रदेश के किसानों से धान और मक्का खरीदी के लिए निम्नांकित निर्णय लिया है । इसके तहत सामान्य धान 1815 रूपए में और धान ग्रेड ए 1835 रुपए प्रति क्विंटल में खरीदा जाएगा । खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी नीति में यह तथ्य सामने आया है | इस लेकर अब भ्रम की स्थिति बन गई है |
इस सरकारी परिपत्र को पढ़कर किसान संगठन यह अर्थ निकाल रहे है कि छत्तीसगढ़ सरकार अपने पार्टी घोषणा पत्र के वादे के अनुरूप उनसे धान की खरीदी 2500 रूपए प्रति क्विंटल की दर से नहीं खरीदेगी | यह सरकारी परिपत्र राज्य सरकार के खिलाफ किसानो के आंदोलन को सक्रिय करने के लिए काफी कारगर बताया जा रहा है | परिपत्र उस समय सामने आया है जब बीजेपी की घेराबंदी के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कांग्रेस पार्टी के कई नेता दिल्ली कूच की तैयारी में है | जबकि बीजेपी ने प्रदेश में अपना वादा निभाओ के नारे के साथ कांग्रेस के खिलाफ जेल भरो आंदोलन और कांग्रेस का घोषणा पत्र जलाने का एलान किया है |
छत्तीसगढ़ मंत्रालय से 6 नवंबर 2019 को जारी पांच पन्नो वाले इस परिपत्र से राज्य में बवाल मचने का अंदेशा है | इस पत्र में धान खरीदी पर किसानो को दिए जाने वाले बोनस का भी कोई जिक्र नहीं है | खासतौर पर किसान संगठनों के बीच यह परिपत्र तेजी से वायरल हो रहा है | उधर इस परिपत्र की सत्यता का पता लगाने के लिए न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने मंत्रालय में पदस्थ अफसरों और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के निवास और कार्यालय दोनों में संपर्क किया ,लेकिन संतोषप्रद जानकारी नहीं मिल पाई | यदि यह परिपत्र सत्य है, तो आने वाले दिनों में कांग्रेस को बीजेपी के बजाए किसानो को जवाब देना भारी पड़ सकता है |








