रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा हमारे प्रदेश की गरिमा है। लोकतंत्र में जनता की आस्था के मंदिर के रूप में विधानसभा को देखा जाता है। लेकिन राजनीति के गिरते स्तर का खामियाजा प्रजातंत्र के इस स्तम्भ को भी भुगतना पड़ा है। मौजूदा दौर में हर – एक राजनैतिक दल की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि विधानसभा में गरिमा के साथ – साथ स्वछता भी बरक़रार रहे। कमोवेश भ्रष्टाचार तो दूर सरकारी तिजोरी पर कमीशनखोरी की आंच भी ना आने पाए। संविधान भी यही कहता है। लेकिन भूपे राज में सिर्फ राजनीति ही नहीं नौकरशाही का भी बुरी तरह से पतन हुआ था। शासन – प्रशासन दोनों की गुणवत्ता में आई गिरावट पर रोक लगाने की नैतिक जवाबदारी अब विष्णुदेव साय सरकार के कंधों पर है।
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राज्य सरकार के अन्य सरकारी विभागों की तर्ज पर विधानसभा में भी बड़े पैमाने पर पिछले दरवाजे से दर्जनों नियुक्तियां की गई है। कई मत्रियों के मुलाजिमों के आलावा नाते – रिश्तेदारों को भी उपकृत किया गया है। जबकि कई योग्य बेरोजगार इन पदों के लिए अपनी बारी और नियमों के पालन का इंतजार करते रह गए। कांग्रेस शासन के बीते 5 सालों में विधानसभा की कार्यवाही की दशा और दिशा सुर्ख़ियों में रही है। यह देखना गौरतलब होगा कि मौजूदा विधानसभा को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए राज्य की बीजेपी सरकार क्या कदम उठाती है ? लेकिन सोशल मीडिया में इन दिनों विधानसभा सचिव के लेन – देन से जुड़ा एक वीडियो वायरल हो रहा है।
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भले ही यह पुराना हो लेकिन इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है। बताते है कि तत्कालीन भूपे सरकार में इस मामले को बगैर ठोस जांच के रफा – दफा कर दिया गया था। वह भी सचिव के तर्कों को जायज ठहराते हुए। जांच की मांग करने वालों का मुँह भी बंद कराया दिया गया था। वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है कि मामला रिश्वतखोरी से जुड़ा था, लेकिन इसे बैंक का लेन – देन करार दिया गया। ताकि विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर कोई आंच ना आये। वीडियो में देखा जा सकता है कि सचिव महोदय अध्यक्ष के बंगले में सरकारी कुर्सी में बैठ कर, टेबल के नीचे से नहीं बल्कि ऊपर से ही हाथों – हाथ नगदी स्वीकार कर रहे है। उस नगदी को अपने कब्जे में लेने के बाद बगैर समय गवाए एक बार फिर सरकारी कामकाज में सचिव महोदय व्यस्त हो जाते है।
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नगदी के आदान – प्रदान की यह प्रक्रिया तिजोरी तक पहुंचकर अदृश्य हो जाती है। इसकी खोजबीन की जबावदारी सरकारी जांच एजेंसियों के कन्धों पर बताई जा रही है। हालांकि अब प्रदेश की फ़िजा बदल चुकी है। राज्य में विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का पालन करने का दावा कर रही है, जबकि डॉ. रमन सिंह विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी की गरिमा बरक़रार रखने और सदन में जनता की आवाज़ से विधायकों को रूबरू कराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोक रहे है। ऐसे दौर में वायरल हो रहा यह वीडियो बीजेपी सरकार को मुँह चिढ़ा रहा है।
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वायरल वीडियो में साफतौर पर देखा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष चरणदास महंत के सचिव दिनेश शर्मा नोटों की गड्डी हाथों में थामते कैमरे में कैद नजर आ रहे है। यह वीडियो उस वक़्त का बताया जाता है, जब राज्य में भूपे सरकार थी। इस दौरान लेन -देन भ्रष्टाचार नहीं बल्कि शिष्टाचार बन गया था। यह वीडियो एक तरह से उस दौर का फ़्लैश बैक ही बताया जाता है। कहते है कि जब यह घटना कैमरे में कैद नजर आई थी, उस दौर में राज्य में भूपे ने सरकार को फजीहत से बचाने के लिए बैंक की रकम की कहानी गढ़ दी थी। लेकिन यह तथ्य किसी के गले नहीं उतरा, आखिरकार मामला एक तरफ़ा ख़त्म कर दिया गया था।
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यही नहीं बताया तो यह भी जाता है कि वीडियो बनाने शख्स का खाकी वर्दीधारी लठैत आरिफ और छाबड़ा ने बुरा हाल कर दिया था।मामला उजागर होते ही भूपे सरकार पर बीजेपी ने हमलावर रुख अपना लिया था। चूंकि राज्य में सरकारी दफ्तरों में लेन – देन बुरा नहीं माना जाता था, इसलिए सरकारी जांच एजेंसियों ने भी इस मामले की निष्पक्ष जांच से पहरेज बरता था।
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छत्तीसगढ़ बीजेपी ने तो इस दौरान बाकायदा जनता को तत्कालीन कांग्रेस सरकार से आगाह भी किया था। उसने ट्वीट कर कहा था कि छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत के सचिव दिनेश शर्मा रिश्वत लेते कैमरे में हुए कैद, X पोस्ट पर – पार्टी ने यह भी लिखा कि छत्तीसगढ़ में पिछले 5 साल से बस यही चल रहा है, कमीशनखोरी, रिश्वतखोरी में यह कांग्रेस सरकार जी – खा रही है। जरा गौर से पढ़िए बीजेपी के इस तत्कालीन ट्वीट को, स्टोरी तो अब शुरू होती है।
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छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार के गठन हुए लगभग 6 माह पूरे होते आ रहे है। इस दौर में विधानसभा के अलग – अलग लगभग तीन सत्र पूरे हो चुके है। इसमें हालिया ग्रीष्मकालीन बजट सत्र भी शामिल है। खबर यह है कि कांग्रेस शासनकाल में फले – फूले और तत्कालीन भूपे सरकार के विश्वासपात्र सचिव दिनेश शर्मा अब बीजेपी सरकार में भी विधानसभा सचिव की कुर्सी पर यथावत विराजमान रहेंगे। उनकी कुर्सी सही सलामत बताई जा रही है।
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यही नहीं उनपर रिश्वतखोरी के आरोप लगाने वाले बीजेपी के कई नेता सचिव महोदय की कार्यप्रणाली को लेकर अपनी ही सरकार में दो – चार हो रहे है। कभी X पोस्ट पर सक्रीय ऐसे नेता आज इस मामले को लेकर बातचीत करने में भी कन्नी काट रहे है। बताते है कि उन्हें इसका कोई जवाब नहीं सूझ रहा है, वे कभी इस ट्वीट को देखते है, तो कभी अपनी सरकार के कर्णधारों को। बहरहाल, इस वायरल वीडियो में ‘पैसा बोलता है’, जैसा सु मधुर गीत भले ही मनोरजंक लगता हो, लेकिन वास्तव में हमारे लोकतान्त्रिक सिस्टम पर चोट भी करता है। उधर न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने इस वायरल वीडियो को लेकर दिनेश शर्मा की प्रतिक्रिया भी लेनी चाही, लेकिन उनका मोबाइल नंबर बंद प्राप्त हुआ।
नोट : इस समाचार में प्रकाशित एवं प्रसारित वीडियो सामग्री की न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ वैधानिक पुष्टि नहीं करता। सोशल मीडिया से प्राप्त वीडियो सामग्री पर आधारित इस समाचार से जनता को वाकिफ कराने के लिए इसका संकलन किया गया है। इस वीडियो सामग्री का न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ से कोई प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है। सूचनार्थ – संपादक न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़