दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली के वातावरण से आप अंदाजा लगा सकते है कि यह देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में सबसे ऊपर अर्थात नंबर वन पर है। देश की राजधानी की हवा बहुत खराब है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार, साल 2022 में दिल्ली भारत का सबसे ज्यादा पॉल्यूटेड शहर रहा। हालांकि दिल्ली के रहवासियों ने भी महसूस किया है कि बीते कुछ महीनों में हवा में प्रदूषण की वजह से उन्हें श्वसन संबंधी बीमारियां हुई है।
यही नहीं छोटे स्कूली बच्चे भी लगातार एलर्जी और ख़राब हवा से होने वाली समस्याओं से जूझते रहे। नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम ट्रैकर की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में दिल्ली में पीएम 2.5 का प्रदूषण दर्ज किया जो 2019 से 7.4% घटा है. इसके अलावा 2019 के 108 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से घटकर यह 2022 में 99.71 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रह गया है। 2019 की लिस्ट में राजधानी दिल्ली से आगे के दो शहरों गाजियाबाद और नोएडा में रेस्पेक्टिवेली 22.2% और 29.8% का तेज सुधार दर्ज किया गया है। जानकारी के मुताबिक 2022 में गाजियाबाद का माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर 91.3 है, वहीं फरीदाबाद का 95.6 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।
केंद्र ने एयर पोल्यूटेंट 2019 में एनसीएपी लॉन्च किया था, इसमें प्रमुख पीएम 10 और पीएम 2.5 को 2024 तक 131 “नॉन अटेनमेंट” अर्बन सिटीज में 20-30% तक कम करने का लक्ष्य रखा गया था। 2022 का यह डाटा एनसीएपी की चौथी वर्षगांठ में सामने आया था। बताते है कि यह एनसीएपी ट्रैकर के रूप में उपलब्ध है, जो क्लाइमेट ट्रेंड्स और रेस्पिरर लिविंग साइंसेज ने रिलीज किया था। राजधानी का वार्षिक पीएम 10, जो 2022 में 213 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था, 2017 के बाद से केवल 1.8% की मामूली सुधार हुआ है।
दिल्ली से सटा गाजियाबाद भी प्रदूषण नियंत्रण को लेकर निर्धारित अपने लक्ष्य से कोसों दूर है। PM10 का राष्ट्रीय सुरक्षित स्तर 60 माइक्रोग्राम/घन मीटर है। क्लाइमेट ट्रेंड्स की निर्देशक आरती खोसला के मुताबिक, सीपीसीबी ने नॉन अटेनमेंट वाले शहरों के लिए पहले ही सख्त कमी लक्ष्य जारी कर दिए हैं। हम एनसीएपी के लिए मूल लक्ष्य 2024 से सिर्फ एक साल दूर हैं। उन्होंने कहा कि कई शहर अभी भी अपने लक्ष्य तक पहुंचने से दूर हैं और योजनाओं और कड़े उपायों के बिना ऐसा करने में असमर्थ हो सकते हैं।
रेस्पिरा लिविंग साइंस के सीईओ रौनक सुतारिया ने बताया कि सबसे अधिक हानिकारक पीएम पॉलिटेंट के लिए है, जिनके पीएम 10 की तुलना में अलग-अलग सोर्स होते हैं, लेकिन मामूली सुधार हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसे पता चलता है कि पॉलिटेंट के महीने सोर्स को कम करने के लिए बहुत काम करने की जरूरत है। जानकारी के मुताबिक पीएम 10 के स्तर में गाजियाबाद में 10.3% और नोएडा में 2.3% का सुधार हुआ है।