छत्तीसगढ़ के DGP अशोक जुनेजा की नियुक्ति विवादों के घेरे में, तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के पुत्र ने नोटशीट में किया था हस्ताक्षर? जांच की ज़रूरत

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रायपुर / दिल्ली: छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के आने के बाद कॉंग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के घोटाले दिन ब दिन सामने आने लगे हैं. हैरतअंगेज घोटाले के मामलों को जानकर लोग कहने लगे हैं कि यह घोटालों की सरकार थी या फिर सरकार के घोटाले थे। समझ से परे है। कुख्यात बघेल पिता पुत्र दोनो ही मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने गोलमाल के लिए छत्तीसगढ़ में हमेशा याद किए जाएंगे। बघेल पिता पुत्र ही नही सरकार का शायद ही कोई ऐसा महकमा बचा हो जहां सरकारी धन की लूटपाट ना हुई हो.गैरकानूनी कृत्यों को कानूनी शक्ल देना भूपेश बघेल और उनकी सरकार का धंधा बन गया था.सौम्या चौरसिया ब्रांड कई IAS और IPS अधिकारियों ने कानून व्यवस्था को ताक में रखकर नया उगाही तंत्र विकसित कर लिया था.जिसके चलते कई सरकारी योजनाओं में घोटाले ही घोटाले सामने आ रहे हैं.राज्य की विष्णुदेव साय सरकार भ्रष्टाचार की जांच में जुटी हुई हैं.

इसी कड़ी में ताजा मामला कांग्रेस के कार्यकाल में DGP की नियुक्ति से जुड़ा है.मौजूदा DGP अशोक जुनेजा की नियुक्ति को लेकर नए पेंच का खुलासा हुआ है. प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक़ यह नियुक्ति, उसकी नोटशीट और ऑर्डर में किए गए हस्ताक्षर सवालों के घेरे में हैँ। इसकी जांच ज़रूरी बताई जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य के DGP अशोक जुनेजा की नियुक्ति जांच के घेरे में है. सूत्रों के मुताबिक उनकी नियुक्ति की नोटशीट में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बजाए उनके पुत्र ने हस्ताक्षर किए थे। इस नोटशीट में केंद्र सरकार को गुमराह करते हुए उनका कार्यकाल भी 2 वर्ष तक बढ़ा दिया गया था,जबकि श्री जुनेजा 1 वर्ष की अवधि तक प्रभारी DGP के रूप में कार्य कर चुके थे.बताया जाता है कि यह सुप्रीम कोर्ट की मंशा और गाईडलाइन के विपरीत था.मुख्यमंत्री बघेल के ही नाम पर उनके पुत्र द्वारा किए गए ,इस हस्ताक्षर और स्वयं मुख्यमंत्री बघेल के हस्ताक्षर में काफी अंतर बताया जाता है.

बताते है कि बतौर DGP अशोक जुनेजा का कार्यकाल खत्म होने से पूर्व मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया और पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड ने एक नोटशीट तैयार की थी.इस नोटशीट में जुनेजा की सेवानिर्वृति को ध्यान में रखते हुए उनका कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश भी की गई थी.सूत्रों द्वारा यह भी बताया जाता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल अशोक जुनेजा को दुबारा DGP की कुर्सी पर नही देखना चाहते थे.इसलिए उन्होंने जुनेजा को रिटायर होने तक उनका कार्यकाल ना बढ़ाने की मंशा अपने विश्वासपात्र अफसरों के समक्ष भी जाहिर की थी। बताते हैं कि बघेल की मंशा से वाकिफ उनके विश्वासपात्र अफसरों ने ही नोटशीट में खेला किया था.

इस दौरान राज्य में सक्रिय एक पंजाबी लॉबी की कवायद से DGP अशोक जुनेजा को ना केवल सेवा वृद्धि मिली बल्कि उस नोटशीट के सहारे जुनेजा ने केन्द्र सरकार में दिल्ली से अपने संपर्कों के जरिए DGP के पद पर मुहर लगवा ली थी। बताया जाता है कि 30 जून 2023 को अशोक जुनेजा को नियमानुसार रिटायर होना था लेकिन इस तिथि से हफ्ते भर पहले पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड की अगुवाई में एक नोटशीट मुख्यमंत्री कार्यालय में चलाई गई थी.इस नोटशीट में जुनेजा को बतौर DGP 2 वर्ष की सेवा वृद्धि का हवाला दिया गया था.मामले से वाकिफ तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल ने इस नोटशीट को लेकर परहेज बरता था.लेकिन सौम्या और ढांड ने तत्कालीन मुख्यमंत्री के पुत्र को इस कार्य में जुटा दिया था.

वहीं दूसरी ओर पंजाबी लॉबी के विशेष पदाधिकारी प्रमोटी IAS अनिल टुटेजा और डिप्टी कलेक्टर के मूल पद पर मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ उपसचिव सौम्या चौरसिया ने बड़ा हेरफेर कर इस नोटशीट को केन्द्र सरकार MHA के हवाले कर दिया था.सूत्रों का दावा है कि बघेल अपने दौरों में व्यस्त थे, इसका भरपूर फायदा उठाते हुए इन अधिकारियों ने बिट्टू को ऐसी घुंटी पिलाई की उसने इस नोटशीट पर अपने पिता के हूबहू हस्ताक्षर कर दिए थे.

बताते हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हूबहू हस्ताक्षर करने की अद्भुत क्षमता चैतन्य बघेल में भी है.सूत्रों ने यह भी बताया कि इस नोटशीट को हाथोहाथ DGP अशोक जुनेजा को सौंप दिया गया था. इसके बाद दिल्ली पहुंचकर अपने व्यक्तिगत संपर्कों के जरिए अशोक जुनेजा ने अपनी कुर्सी बचाने में कोई कसर बाकी नही छोड़ी और कामयाब रहे।

प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक़ जब यह घटना उजागर होकर तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के संज्ञान में आई तब पिता पुत्र के बीच जमकर तू-तू मैं-मैं भी हुई थी. हालाकि पूर्व सीएस विवेक ढांड और सौम्या चौरसिया ने मामले को गोपनीय बनाए रखा था. बताते हैं कि इस मामले की नोटशीट में तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के हस्ताक्षर और अन्य दस्तावेजों में उनके हस्ताक्षर,दोनों का मिलान कर लिया जाए तो मामला गंभीर रूप ले सकता है.इस गोलमाल का आधिकारिक रूप से खुलासा हो सकता है. प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि”हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से बघेल के हस्ताक्षरों की जांच कराई जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी होने में वक्त नहीं लगेगा. इस दौरान DGP अशोक जुनेजा की दिल्ली यात्रा की जांच भी प्रशासनिक सूत्रों ने जरूरी बताई है।