
रायपुर : – रायपुर में धोखाधड़ी और जालसाजी के मामलों को लेकर पुलिस की उलझने लगातार बढ़ती जा रही है। आरोपी इतने प्रभावशील बताये जाते है कि शहर में मौजूद होने के बावजूद वे पुलिस को नजर नहीं आ रहे है। उन्हें स्थानीय थाने का स्टाफ फरार बता रहा है। जबकि आरोपियों की चहल – कदमी से शहर के आजाद नगर थाने की कार्यप्रणाली सुर्खियों में है। यह भी बताया जाता है कि आरोपियों को राजनैतिक सरंक्षण मिलने से गिरफ़्तारी टाल दी गई है। मामला, पीडित के आलावा रायपुर नगर – निगम के साथ जालसाजी से जुड़ा है। जानकारी के मुताबिक आरोपियों ने लाभान्वित होने के लिए पीड़ितों की 60 हजार वर्ग फीट जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर नगर – निगम को सौंपे थे। मामले के खुलासे के बाद आजाद नगर थाने में पीड़ितों ने कारोबारी मुकेश अग्रवाल और सुरेश अग्रवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

जानकारी के मुताबिक पीड़ित प्रकाश और शिल्पा सिंघानिया के नाम पर 60 हजार वर्ग फीट जमीन सड्डू इलाके में स्थित है। उनकी कंपनी पुरंदर प्रमोटर्स एंड डेवलपर्स में बिल्डर प्रमोटर का काम करने वाले मुकेश अग्रवाल और सुरेश अग्रवाल ने इस जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर पीड़ितों के आलावा नगर – निगम रायपुर को भी चूना लगा दिया।

शिकायत के मुताबिक अक्टूबर 2017 में शिल्पा सिंघानिया और मुकेश अग्रवाल एवं सुरेश अग्रवाल के बीच ज्वाइंट वेंचर के जरिए इस जमींन के डेवलपमेंट का इकरार नामा किया गया था। आरोपियों की नियत पर संदेह होने के बाद पीड़ितों ने इस जॉइंट वेंचर को निरस्त कर दिया। लेकिन उसके बाद भी आरोपियों ने इस जमींन पर अपना कारोबार जारी रखा। पीड़ितों के मुताबिक फर्जी दस्तावेज तैयार कर आरोपियों ने उनकी 60 हजार वर्ग फिट जमीन एक योजना के तहत नगर निगम रायपुर को सौंप कर लाभ प्राप्त किया।

पीड़ितों के मुताबिक दोनों ही आरोपी शहर के प्रमुख अस्पतालों में से एक NHMMI के से भी सम्बद्ध है। उनके मुताबिक दुसरो की जमीनों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर आरोपी उसे अपनी बताकर सौदा करने के मामलो में भी पेशेवर है। उन्होंने इसके लिए नगर निगम को भी गुमराह करने में देरी नहीं की थी। शिकायत में बताया गया है कि आरोपियों ने उक्त जमीन का विकास कर उसे कारोबार युक्त बनाने के लिए कई दस्तावेज भू – स्वामी से मांगे थे। लेकिन अरसे बाद भी जमीन का विकास नहीं किया गया था। अलबत्ता बाजार में इसे स्वयं की बता कर आरोपियों ने इसकी बिकावली के प्रयास शुरू कर दिए। इस जमीन के नकली दस्तावेज तैयार कर लोगो को गुमराह करना शुरू कर दिया था।

नतीजतन भू – स्वामियों ने इकरारनामा निरस्त कर दिया था। हालांकि इस कदम का आरोपियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने लाभ कमाने के चक्कर में योजनाबद्ध तरीके से यह जमीन नगर निगम के हवाले कर दी। असलियत सामने आने पर निगम प्रशासन भी हैरत में पड़ गया। उसने जब मामले में तहक़ीकात शुरू कि, तब पता पड़ा कि तत्कालीन अधिकारियो को गुमराह कर जालसाजी की गई थी। पीड़ित यह भी तस्दीक करते है कि पुलिस के चंगुल से बचने के लिए आरोपी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे है। इस मामले में आजाद चौक थाने में एफआईआर दर्ज कर प्रकरण को विवेचना में लिया गया था। फ़िलहाल, FIR दर्ज होने के बाद लम्बा समय बीत चुका है, स्थानीय पुलिस ने आरोपियों की ओर से अपना मुँह मोड़ लिया है।