छत्तीसगढ़ में लोमड़ी का आतंक, रायपुर सेंट्रल जेल में फिर सौम्या का हंगामा, जमानत से हौंसले बुलंद, किया ऐलान- एक-एक को देख लूंगी, फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे भूपे, लाठी लेकर निगरानी कर रहे लोग….. 

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रायपुर/मुंगेली: छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों एक लोमड़ी की चर्चा खूब हो रही है। राजनैतिक गलियारों में लोमड़ी के स्वाभाव से लेकर उसके क्रियाकलापों से पीड़ित लाठी लेकर 24 घंटे निगरानी कर रहे है। उन्हें, अंदेशा है कि कही लोमड़ी झपटता ना मार दे। बताते है कि आदमखोर हो चुकी इस लोमड़ी ने दो दर्जन से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाया है। पीड़ित, तस्दीक करते है कि लोमड़ी अभी भी बेहद चुस्त-दुरुस्त और चंट-चालक है, वो अपने दो विशेष प्रजातियों के बच्चों के साथ गांव कस्बों में निवासरत लोगों के यहाँ अपना ठिकाना बनाने का मंसूबा पाले हुए है। लिहाजा ग्रामीणों ने लामबंद होकर इस लोमड़ी का सामना करने का फैसला किया है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक लोमड़ी स्वाभाव से ‘मौकाटेरियन’ है, अवसर मिलते ही शिकार पर झपट पड़ती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि शिकार आदतन शाकाहारी है, या फिर मांसाहारी।

बताते है कि रहवासी इलाकों में लोमड़ी का आतंक लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। भुक्तभोगी राज्य की विष्णुदेव साय सरकार से गुहार लगा रहे है कि हमलावर लोमड़ी को पिंजरे में कैद रखना ही प्रदेश की शांति प्रिय जनता के लिए मुनासिब होगा, अन्यथा बीजेपी की डबल इंजन सरकार की तर्ज पर राज्य में बिलबिला रहा ‘लोमड़ा’ पर भी कही ये लोमड़ी ना सवार हो जाये ? अन्यथा लोमड़ा-लोमड़ी का डबल डोज जंगल में निवासरत आदिवासियों पर भी भारी पड़ेगा। भुक्त भोगी अंदेशा जाहिर कर रहे है कि डबल इंजन लगने से लोगों के जानमाल की रक्षा करना मुश्किल हो जायेगा। जी हाँ इन दिनों छत्तीसगढ़ में उस लोमड़ी से लोग आतंकित है, जो कई लोगों की जान लेने का मंसूबा पाले हुए है।

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक इस लोमड़ी की धर पकड़ के लिए पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर उतारी जा रही है। एक बड़ी आबादी को लोमड़ी के आतंक से निजात दिलाने के लिए राज्य की बीजेपी सरकार ने कृत संकल्प भी लिया है। लोमड़ी को काबू में करने के लिए वन विभाग को भी निर्देशित किया गया है। यह भी बताते है कि पीड़ित जनता की सुध लेते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ‘सयान’ लोमड़ी को काबू में करने के साथ-साथ लोमड़ा-लोमड़ी के गिरोह के होश ठिकाने लगाने के फरमानों पर अपनी मुहर भी लगा दी है। सूत्रों से मिली पुख्ता खबर के मुताबिक इन दिनों राज्य के मुंगेली जिले में लोरमी तहसील के 5 गांव के लोगों का हफ्तेभर से सुख-चैन छिन गया है। ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में नजर आ रही है।

कैमरे में रात में दौड़ लगाते कैद हुआ लोमड़ी का झुंड।

बताते है कि 20-21 सितंबर से इलाके में लोमड़ी के झुंड के झुंड मंडरा रहे है। इलाके में आवाजाही करने वालों पर इस झुंड ने हमले तेज कर दिए है, करीब दर्जनभर से ज्यादा लोग अब तक इस हमले में घायल भी हुए है। पीड़ित तस्दीक करते है कि शाम होते ही लोमड़ी का झुंड रिहायशी इलाकों में हमला करता है। कई लोमड़ी तो लोगों के घरों के अंदर तक पहुंच रही है, बच्चों और बुजुर्गों को बचाने के लिए ग्रामीण हाथों में लाठी लेकर गांव और घरों के आसपास निगरानी कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि लोमड़ी को काबू में करने के लिए वन विभाग से कोई अपेक्षित सहायता नहीं मिल रही है, बस्ती से 200 मीटर की दूरी पर खुड़िया वन परिक्षेत्र के कारीडोंगरी गांव में वन विभाग का बैरियर है। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें किसी तरह की सुरक्षा नहीं मुहैया कराई जा रही है। 

दरवाजा गांव में लोमड़ी के हमले से बुजुर्ग महिला घायल हुई है।

बताया जाता है कि रिहायशी बस्ती से महज 100 मीटर दूर लोमड़ी का झुंड शिकार की तलाश में नजर आता है। दरवाजा गांव में ही रहने वाली 82 वर्षीय बुजुर्ग महिला मेघइयां पटेल बताती है कि बस खाना खाकर घर के बाहर निकली थीं, उनके बाएं हाथ में लोमड़ी ने हमला कर दिया है। राजीव गांधी जलाशय के वेस्ट वेयर हाउस के आस-पास के इलाके से गुजरना मुश्किल हो गया है। यहाँ रिहायशी बस्ती में दिन-रात जानवरों की आवाजें सुनाई दे रही है। इस मार्ग से गुजरने वाले राहगीर भी तस्दीक करते है कि 5-6 लोमड़ी के झुंड नजर आ रहे है, रात में जैसे ही गाड़ी की लाइट उन पर पड़ती है तो भागने लगते है।

उधर अन्य एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया की रिहाई का मामला सुर्ख़ियों में है। जनता टकटकी लगाए देख रही है कि आरोपी सौम्या जेल में ही रहेगी या फिर उन्हें रिहा कर दिया जायेगा ? दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 700 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले में आरोपी सौम्या को सशर्त जमानत दे दी है। ED ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल दाखिल कराया था। पिछले लगभग 2 साल से सौम्या अपनी रिहाई की बाँट जोह रही है। सौम्या को कांग्रेस राज में लेडी सुपर सीएम के नाम से जाना-पहचाना जाता था।

ED की चार्जशीट में बताया गया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री की शक्तियों का उपयोग, सौम्या कर रही थी। यह भी बताया जाता है कि अभियोजन पक्ष की कमजोर दलीलों और आरोपियों के क़ानूनी दांवपेच के सामने ED का प्रकरण सवालों के घेरे में है। सूत्र तस्दीक करते है कि सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान सरकारी पक्ष अपराध से जुड़ी दलीलों को ठोस रूप से नहीं रख पाया था। अदालत ने क़ानूनी विचारण कर सौम्या को गुण-दोष के आधार पर जमानत स्वीकृत कर दी।

यह भी बताया जाता है कि फैसले का अध्ययन करने के बाद अभियोजन अपील के विकल्पों पर भी विचार कर सकता है। हालांकि EOW में दर्ज मामले के चलते सौम्या की रिहाई अटकी हुई है। यह प्रकरण राज्य की बीजेपी सरकार के लिए नाक का सवाल भी बताया जाता है। ‘भूपे संग सौम्या’ की जोड़ी ने गरीबों की सरकारी तिजोरी पर ही अपना हाथ साफ किया था। इस जुगल जोड़ी के काले कारनामों के चलते ही प्रदेश विकास की गति में 20 साल पीछे खींच गया था।दरअसल, विधानसभा चुनाव 2023 में अपनी तमाम आम सभाओं में बीजेपी नेताओं ने यही दावा कर सौम्या-भूपे की जुगल जोड़ी को सबक सिखाने का एलान किया था। 

इधर सुप्रीम कोर्ट से जमानत स्वीकार होने की जानकारी मिलने के बाद सौम्या के हौसले बुलंद बताये जा रहे है। रायपुर सेंट्रल जेल से गवाही-पेशी में आये कई बंदियों और उनके परिजनों ने तस्दीक की है कि बीती रात महिला बंदी सौम्या ने बैरक में फिर हंगामा किया है, जमानत की खबर लगते ही शायद किसी नशे से धुत सौम्या ने बैरक में पहले नाचना-कूदना और फिर हंगामा करना शुरू कर दिया था। उसने चीख-चीख कर ऐलान किया कि वो फिर सीएम हाउस में बैठकर सबकों सबक सिखाएगी, एक-एक दुश्मन को देख लेगी, उसका भूपे फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगा।

बताते है कि आरोपी सौम्या ने भूपे को लेकर कई दावे भी किये। हालाँकि हालात को देखते हुए जेल प्रहरियों ने विचाराधीन बंदी सौम्या को समझा-बुझा कर शांत कर दिया। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने इस घटना की तस्दीक को लेकर जेल प्रशासन से संपर्क भी किया। लेकिन कोई प्रतिउत्तर नहीं मिल पाया। गौरतलब है कि जेल में बंद ED के आरोपियों को लेकर आये दिन तनाव और रस्सा-कस्सी के मामलों से जेल प्रशासन भी दो चार हो रहा है।

इसके पूर्व गतिरोध पैदा करने और जेल नियमों का उल्लंघन करने के चलते ED के तमाम आरोपियों को तिहाड़ जेल दिल्ली शिफ्ट करने का विचारण किया गया था। लेकिन इस फैसले के अमलीजामा पहनाने को लेकर अभी कोई जानकारी स्पष्ट नहीं हो पाई है। फ़िलहाल बस्ती में लोमड़ी और जेल में भ्रष्टाचार की महारानी की चहल कदमी लोगों की जुबान में है।