वेब डेस्क / दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सोमवार को कहा कि देश में मोबाइल इंटरनेट की दरें दुनिया के देशों के मुकाबले काफी कम है। देश की शीर्ष मोबाइल फोन प्रदाता कंपनियों के कॉल और डेटा शुल्क में वृद्धि की घोषणा के एक दिन बाद उन्होंने यह बात कही।
प्रसाद ने ट्विट कर कहा कि 2014 में जब एनडीए सरकार आई थी उस समय प्रति जीबी इंटरनेट दर 268.97 रुपये थी लेकिन आज यह घटकर 11.78 रुपये प्रति जीबी तक नीचे आ गई है। एक अन्य ट्विट में उन्होंने ब्रिटेन की एजेंसी के सर्वेक्षण के हवाले से कहा कि भारत में इंटरनेट की दरें सबसे कम हैं। यह रिपोर्ट उन्होंने ट्विटर पर साझा की है , जिसके अनुसार भारत में प्रति जीबी डाटा 0.26 डालर है जो विश्व में सबसे कम है जबकि स्विट्जरलैंड में यह सबसे ज्यादा 20.22 डालर प्रति जीबी है। जबकि जर्मनी में 6.96 तथा ब्रिटेन में 6.66 डालर प्रति जीबी है। एक जीबी डेटा का वैश्विक औसत मूल्य 8.53 डॉलर है। दरअसल डाटा और काल दरों में बढ़ोतरी को लेकर सरकार का मानना है कि इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। अभी इंटरनेट की दरें नहीं बढी हैं और यदि अटकलों के अनुरूप 40 फीसदी बढ़ोतरी होती भी है तो यह प्रति जीबी 5 रुपये से कम रहेगी। इस बढ़ोतरी के बावजूद देश में इंटरनेट दरें 16-17 रुपये प्रति जीबी के बीच रहेंगी। भारती एयरटेल ने तीन दिसंबर से 41 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा की है जबकि रिलायंस जियो ने छह दिसंबर से 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की है। वोडाफोन आइडिया की बढ़ोतरी भी तीन दिसंबर से प्रभाव में आएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इस वृद्धि से मोबाइल उपभोक्ताओं का खर्च में बड़ा इजाफा होगा।
असीमित कॉल सीमित हुई
निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों ने प्री-पेड सेवाओं के लिए शुल्क की दरें महंगी करने के साथ ही असीमित कॉलिंग को भी सीमित कर दिया है। वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल की रविवार को घोषित नई दरों के अनुसार, दोनों कंपनियों ने दूसरे नेटवर्क पर की जाने वाली कॉल के लिए अनलिमिटेड पैक में न्यायोचित उपयोग नीति (एफयूपी) लागू की है। इसके तहत ग्राहकों को अनलिमिटेड पैक में अपने नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर बात के लिए एक अवधि में कुछ सुनिश्चित मिनट मिलेंगे। प्लान की अवधि के लिए तय वायस कॉल के मिनट पूरे हो जाने के बाद ग्राहक को दूसरे नेटवर्क पर कॉल के लिए प्रति मिनट 6 पैसे का शुल्क देना होगा।