Site icon News Today Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ सरकार पर दागी अफसरों का शिकंजा , नूरा कुश्ती में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का कैरियर दांव पर , केंद्र से अनुमति मिलने के बावजूद नहीं मिली डीजी के पद पर पदोन्नति , ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा पर भारी पड़ रही है बेईमानों की चालबाजी , पढ़े इस तथ्यात्मक खबर को

रायपुर / छत्तीसगढ़ में सरकार बदले पूरा डेढ़ साल बीत गया है | लेकिन अब लोग इस तथ्य का आंकलन भी करने लगे है कि राज्य में सिर्फ सत्ता बदली है , या फिर सरकार के कामकाज का तरीका भी | दरअसल लोगों के मन में अब सवाल उठने लगा है कि भले ही राज्य में कांग्रेस सत्ता में आ गई हो लेकिन इस सरकार की कार्यप्रणाली भी ठीक वैसी दिखाई दे रही है , जैसे की पुरानी सरकार का रवैया था | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यप्रणाली शुरुआती दौर में एक्शन से भरपूर थी | लेकिन जैसे जैसे वक्त बीतता गया वैसे वैसे राज्य सरकार के कामकाज पर सवालियां निशान भी लगते चले गए | अब लोगों को यह सरकार बीजेपी की तर्ज पर ही नजर आने लगी है | दरअसल पिछली सरकार पर कांग्रेस ने जिन सभी मुद्दों पर हल्लाबोल किया था ,और विधानसभा में सवालियां निशान लगाए थे | सत्ता में काबिज होने के बाद यह सरकार उससे मुंह मोड़ती नजर आने लगी है | यही नहीं सरकार को उसके वादे याद दिलाने पर पत्रकारों को झूठे मामलों में फंसाने और उन्हें परेशान करने की कवायद भी शुरू हो गई है | 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार से राज्य की जनता को काफी उम्मीदे है | इसमें यह भी शामिल है कि उन्हें कम से कम प्राकृतिक न्याय तो मुहैया हो सके | लेकिन लोग सवाल करने लगे है कि चाहे नौकरशाही हो या फिर आम जनता से जुड़े मामले | मौजूदा सरकार भी उसी तर्ज पर काम कर रही है , जैसी पुरानी सरकार में होता था | कहा जाता है कि पुरानी सरकार में जिन प्रभावशील लोगों का बोलबाला था , वे ही मौजूदा कांग्रेस सरकार के पथ प्रदर्शक बन गए | लिहाजा आज भी वही देखने को मिलने लगा है , जो पुरानी सरकार में आम नजारा बन गया था | 

मसलन सरकार की कार्यप्रणाली “बेईमान को दंड नहीं और ईमानदार को पुरस्कार नहीं” की तर्ज पर हो चली है | दागियों और सरकार के बीच चल रही नूरा कुश्ती से कर्तव्यनिष्ठ और बेहतर छवि के अफसरों पर कुठाराघात हो रहा है | इनका कैरियर दांव पर लग चूका है | जबकि उन अफसरों के खिलाफ ना तो किसी प्रकार की शिकायतें लंबित है और ना ही उन्होंने कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए अपने परिजनों के नाम पर कोई ट्रस्ट का गठन किया है | ना ही वर्दी का दुरूपयोग कर लूटपाट , डकैती और किसी पुरुष या महिला पुलिस कर्मियों के नाम पर बेनामी संपत्ति बनाई है | मामला एडीजी स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को डीजी बनाये जाने से जुड़ा है |  

छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में करीब डेढ़ साल से तीन बेहतर छवि के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अपनी पदोन्नति की बांट जोह रहे है | इन्हे योग्यता होने के बावजूद भी डीजी के पद पर पदोन्नत नहीं किया गया है | इन अफसरों की पदोन्नति के लिए होने वाली डीपीसी एक नूरा कुश्ती के चलते टाल दी गई | अरसा बीत चूका है लेकिन डीपीसी की फाइल पुलिस मुख्यालय की आलमारी में कैद कर दी गई | बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ डीजी स्तर के तीन पद महीनों से खाली पड़े है | आमतौर पर देश के किसी भी राज्य में इतने वरिष्ठ अफसरों को साल-छह माह पहले ही पदोन्नत कर सरकार को सूचित कर दिया जाता है | लेकिन इस राज्य में दागी अफसरों की करतूतों का खामियाजा वरिष्ठ और ईमानदार छवि के अफसरों को भोगना पड़ रहा है | जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के लिए एक डीजीपी और तीन डीजी स्तर के पदों को स्वीकृत किया है | लेकिन राज्य में डीजी स्तर के सभी तीन पद अरसे से खाली पड़े है | 

छत्तीसगढ़ में पुलिस मुख्यालय के सेटअप में डीजी जेल , डीजी होमगार्ड और डीजी नक्सल ऑपरेशन जैसे पदों पर महत्वपूर्ण नियुक्ति की जरूतर महसूस की जा रही है | लेकिन रिक्त पद के बावजूद भी प्रभार देकर एडीजी स्तर के अफसरों को पदोन्नति से वंचित कर दिया गया है | जानकारी के मुताबिक 1989 बैच के एडीजी अशोक जुनेजा , 1988 बैच के आरके विज और संजय पिल्लई की पदोन्नति सिर्फ इसलिए रोक दी गई क्योकि कई गंभीर मामलों के कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता को PHQ का एक धड़ा डीजी के पद पर देखना चाहता है | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विरोधी यह धड़ा नूरा कुश्ती के जरिये सरकार की छवि धूमिल करने में जुटा है |

बताया जाता है कि एडीजी से डीजी पद के लिए होने वाली डीपीसी की सूचना कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता को दी गई | इसके फ़ौरन बाद मात्र दो घंटे के भीतर आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपने वकील के जरिये एक नोटिस हाथोंहाथ चीफ सेक्रेटरी कार्यालय में थमा दिया | इस नोटिस में इस डीपीसी को चुनौती दी गई थी | उधर नोटिस मिलते ही बगैर क़ानूनी प्रक्रिया और प्रचलित नियमों को दरकिनार कर डीपीसी टाल दी गई | बताया जाता है कि कुख्यात एडीजी मुकेश गुप्ता के इशारे पर इस डीपीसी को टाला गया था | हालांकि कुछ अफसरों ने रटा रटाया जवाब सरकार के कानों में फूंक कर योग्य अफसरों के अरमानों पर पानी फेर दिया | कानून के जानकार बताते है कि इस नोटिस का कोई महत्व नहीं है | उसे डस्टबिन में डालने के बजाये आखिर क्यों तव्वजों दी जा रही है , यह उनकी समझ से परे है | हालांकि उन्हें इस बात का भी अंदेशा है कि यह नूरा कुश्ती से ज्यादा कुछ नहीं | केंद्र से अनुमति मिलने के बाद रिक्त पद पर डीपीसी कर पदोन्नति करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है | आपत्ति करने वाले शख्स अपनी दलील अदालत में रख सकता है |  पढ़े कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता का नोटिस 

कानून के जानकार बताते है कि कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता की सेवाएं समाप्त करने के लिए राज्य सरकार के पास पर्याप्त आधार है | वो इस बाबद सिफारिशी चिट्टी केंद्र सरकार और DOPT को भेज सकती है | यही नहीं दागी अफसरों को पदोन्नति प्रक्रिया से बाहर रखने की प्रक्रिया देश के तमाम राज्यों में अपनाई जाती है | ऐसे में छत्तीसगढ़ में इस दागी अफसर को नूरा कुश्ती के जरिये तव्वजों देना राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालियां निशान लगा रहा है | 

Exit mobile version