
रायपुर/अम्बिकापुर: राहुल गांधी के रायपुर आने से पहले छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के समर्थन में सहानुभूति लहर चल पड़ी है. सिंहदेव ने उन पर लगाए जा रहे झूठे आरोपों पर अपनी ही पार्टी के एक प्रतिद्वंदी गुट को आड़े हांथो लिया था. इसके बाद छत्तीसगढ़ में कांगेस के भीतरखाने में राजनीति तेज हो गई है. दरअसल कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए मंत्री टीएस सिंहदेव ने तन मन और धन से अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. मामले को लेकर राजस्व न्यायालय और ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले भी जनता के बीच आ गए है, जो टीएस के पक्ष में है.

उन्होंने पूरे प्रदेश का दौरा कर कांग्रेस का घोषणा पत्र तैयार किया था. यही नहीं पार्टी उम्मीदवारों को आर्थिक सहायता कर उनकी जीत में सहभागी भी बने थे. राज्य की जनता टीएस को मुख्यमंत्री के रूप में देख रही थी. हालाकि कुर्सी की दौड़ में बघेल बाजी मार गए थे. इस बीच ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का फार्मूला सामने आया था. अब इस फार्मूले को अमल में लाने को लेकर कांग्रेस के भीतर रस्साकसी जोरों पर है. टीएस समर्थक इन्साफ की मांग कर रहे है. उधर प्रतिद्वन्दी गुट कभी दिल्ली में विधायकों की परेड करवा रहा है, तो एक विधायक ने टीएस से अपनी जान का खतरा बताकर हाई वोल्टेज ड्रामा किया था.

कांग्रेस के भीतरखाने में अब टीएस पर नए आरोपों को लेकर राजनीति गरमाई हुई है. दरअसल मंत्री टीएस सिंहदेव के पूर्व करीबी और वर्तमान में बीजेपी के एक पार्षद ने टीएस पर करोड़ों की सरकारी जमीन अपने कब्जे में करने का आरोप लगाया था. इस आरोप को टीएस के खिलाफ साजिश से जोड़कर देखा जा रहा है. बताया जाता है कि जिस ज़मीन को लेकर उन पर आरोप लगे वास्तव में वह जमीन सिंहदेव राजपरिवार की ही थी.

इस जमीन के दस्तावेज न्यूज़ टुडे के हांथ लगे हैं. दस्तावेजो में साफ़ नज़र आता है कि राजस्व न्यायालय और ग्रीन ट्रिब्यूनल सबूतों के आधार पर पहले ही सिंहदेव परिवार के हक़ में फैसला दे चुका है. लगभग 30 साल बाद इस मामले को फिर नए सिरे से उठाए जाने को लेकर टीएस आहत है. मामले के जानकार कहते है कि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और रमन सिंह ने भी अपने कार्यकाल में इस जमीन के मालिकाना हक़ की जांच करवाई थी.

टीएस को क्लीन चिट देते हुए तत्कालीन सरकारों ने मामले की फ़ाइल नस्तीबद्ध कर दी थी. लेकिन राहुल गांधी के आगमन से पूर्व अचानक इस मामले के सुर्ख़ियों में आने से टीएस सिंहदेव आहत हैं. उनका मानना है कि पार्टी के एक प्रतिद्वंदी गुट ने ही साजिश के तहत यह मामला उठाया है. टीएस ने कहा कि, राहुल गांधी आ रहे हैं. टी एस बाबा को नीचा दिखाना है और कोई ना कोई षड्यंत्र करना है. टीएस बाबा ने जान से मारने की कोशिश की वो बात नहीं चली तो ये नया चीज छोड़ो. छत्तीसगढ़ के लोगों के सामने जमीन की कोई विपरीत प्रभाव पड़े. यह प्रयास कर लोग राहुल गांधी जी के यहां बात पहुंचे, शायद कुछ हो जाए, ये प्रयास करो… तो यही हो रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि जोड़-तोड़ की राजनीति में कभी नहीं रहा और ना मेरी रुचि रही मैं राजनीति में रहा लोगों की सद्भावना के आधार पे और उस सद्भावना को प्रभावित करने का यह सब प्रयास है मेरे को कोई सफाई कहीं और से नहीं चाहिए लोगों के मन में यह जब तक भाव है कि आदमी ठीक-ठाक है. यह आदमी ऐसा नहीं है तो मेरे लिए वह सब कुछ वही है.मंत्री सिंहदेव ने कहा है कि या एक आरोप है और दुर्भाग्य है कि प्रजातंत्र एक स्वरूप है कि कोई कुछ भी बोल सकता है ठीक है नियम है कानून है मानहानि के दावे हो सकते हैं किंतु दुर्भाग्य है कि पहले कहकर एक गलत प्रकार का वातावरण बनाने का लोग प्रयास करते हैं मैं इसे उसी सांगला के बाद देख रहा हूं जो किसी से कहलवाया गया था कि उनको मेरे से जान का खतरा है. यह वही सोच के लोग हैं जो राहुल गांधी जी के आने के ठीक पहले एक और प्रयास कर रहे हैं कि किसी तरह से राहुल गांधी के सामने छत्तीसगढ़ के नागरिकों के सामने मेरी छवि पर विपरीत प्रभाव पड़े वरना मेरे पास कोई सासनी संपत्ति नहीं है जिसका मैंने कब्जा किया है और बाप-दादा उसे भी यही सीख मिली जितना है उतना में रहना सीखो और राज परिवार के थे तो ऐसा भी नहीं था कि कमी है जमीन जायदाद भारत सरकार के साथ जो समझौते हुए थे उसके अनुरूप उतनी थी.

टीएस बाबा के इस बयान से कांग्रेस के आम कार्यकर्ता सहानुभूति जता रहे हैं. उनके मुताबिक़ टीएस के बगैर वाकई कांग्रेस का सत्ता में आना नामुमकिन था. लेकिन अब अपनी ही सरकार में बाबा को ऐसे दिन देखने पड़ रहे हैं. उधर छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के बदले जाने की अटकलों के बीच तमाम पार्टी विधायक भी अपना नजरिया भी साफ़ कर रहे हैं. उनके मुताबिक़ वे पार्टी आलाकमान के साथ हैं. उधर सिंहदेव समर्थकों ने सरगुजा कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ज़िला कांग्रेस कमेटी ने कलेक्टर के एक बयान को इस साजिश से जोड़ते हुए कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया. बताया जाता है कि जमीन के मालिकाना हक़ को लेकर पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कलेक्टर ने सिंहदेव के विरुद्ध जवाब दिया था. इससे विवाद की स्थिति निर्मित हो गई.

ज़िला कांग्रेस कमेटी ने कलेक्टर पर विपक्ष के एजेंट की भूमिका का आरोप लगाकर आन्दोलन का एलान किया है. उधर कलेक्टर ने मामले को तूल पकड़ता देख इस विवाद से यह कहकर पल्ला झाड लिया कि उन्होंने टीएस को लेकर जोई बयान नहीं दिया है बल्कि मीडिया के पूछे जाने पर जानकारी दी. बताया जाता है कि पत्रकारों ने टीएस की जमीन विवाद पर बीजेपी पार्षद की शिकायत को लेकर सवाल किया था. उधर 3 फरवरी को राहुल गांधी के प्रस्तावित रायपुर दौरे को लेकर सभी तैयारियां पूर्ण हो चुकी है. पार्टी के कई नेता और विधायक राहुल गांधी से व्यक्तिगत मुलाक़ात के लिए हांथ पांव मार रहे हैं. टीएस समर्थक भी इसमें शामिल हैं. सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि राहुल गांधी को प्रदेश की हकीकत से रूबरू कराने के लिए टीएस समर्थकों ने भी रायपुर कूच किया है. वे राहुल गांधी के संज्ञान में उन तथ्यों को लाना चाहते है जिसके चलते कांग्रेस का ग्राफ तेजी से गिर रहा है. फिलहाल लोगों की निगाहें राहुल गांधी के दौरे के बाद पार्टी आलाकमान के फैसले पर टिकी हुई है.