Saturday, September 21, 2024
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News Today Breaking : क्या कोल माफिया सूर्यकांत तिवारी का बयान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रियंका गांधी की बढ़ा सकता है मुसीबत … ? छत्तीसगढ़ के कोल खनन परिवहन घोटाले की गूंज कर्नाटक चुनाव में, कड़ी मशक्कत के बाद कर्नाटक पुलिस की पूछताछ

रायपुर/दिल्ली। कर्नाटक चुनाव में सियासी बयार के बीच छत्तीसगढ़ के कोल खनन परिवहन घोटाले की गूंज सुनाई देने लगी है। घोटाले की रकम को ठिकाने लगाने के मामलों में सूर्यकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया का बेंगलुरु कनेक्शन सामने आया था। बताते हैं कि 6 माह पूर्व कुख्यात माफिया सूर्यकान्त तिवारी बेंगलुरु में ही पुलिस के हत्थे चढ़ा था। इसके बाद ED ने उसे अपनी हिरासत में लिया था। बताते हैं कि सरकारी लूटमार गिरोह की आकूत संपत्ति का कर्नाटक कनेक्शन पाया गया है। इसके चलते आरोपियों से पूछताछ के लिए रायपुर पहुंची कर्नाटक पुलिस नई मुसीबत में है, जेल में कैद आरोपियों से पूछताछ के लिए अदालती फरमान जारी होने के बावजूद छत्तीसगढ़ शासन के जिम्मेदार अधिकारियों ने कर्नाटक पुलिस के अरमानों पर पानी फेर दिया था। 

उधर सूर्यकांत तिवारी से सेंट्रल जेल में कर्नाटक पुलिस को अदालती आदेश के बावजूद पूछताछ से रोके जाने के मामले के अवमानना के दायरे में आने के बाद जेल प्रशासन में खलबली है। बताते हैं कि विवाद में आए जेल अधीक्षक का तबादला कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक सोशल मीडिया में इससे संबंधित एक आदेश तैर रहा है। हालांकि इस आदेश की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। 

बताते हैं कि ED के आरोपियों में से एक सूर्यकांत तिवारी का लेन देन का रिश्ता दिल्ली और कर्नाटक में कई दिग्गज नेताओं के साथ भी था। सूत्र बताते हैं कि कर्नाटक पुलिस को कई ऐसे तथ्य हाथ लगे हैं, जिसे लेकर सूर्यकांत तिवारी महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकते हैं। सूर्यकांत तिवारी के मुंह खोलने के अंदेशे के चलते उसकी सरकारी निगरानी बढ़ाये जाने की खबर है, बताते हैं कि कर्नाटक चुनाव में राज्य के कई घोटाले चर्चा का विषय बने हुए हैं। फिलहाल तो सूर्यकांत तिवारी से हो रही पूछताछ-पड़ताल चर्चा में है।  

छत्तीसगढ़ में केंद्रीय जांच एजेंसियों को प्रशासनिक कठिनाइयों के बीच राज्य के सबसे बड़े कोल खनन परिवहन और आबकारी घोटाले की जांच और छापेमार कार्रवाई को अंजाम देना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ शासन और ED के बीच खिंची खाई से उन अधिकारियों को असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जो केंद्रीय जांच एजेंसियों की सहायता करने के संवैधानिक दायित्वों से बंधे हुए हैं। बताते हैं कि सत्ताधारी दल और सरकार के शीर्ष नेताओं के दबाव में कई सरकारी अधिकारियों को माफियाओं को बचाने के लिए भारी दबाव के दौर से गुजरना पड़ रहा है। ताजा मामला जेल विभाग का है, रायपुर सेन्ट्रल जेल के अधिकारियों के रवैये से कर्नाटक पुलिस को दो-चार होना पड़ रहा है। 

बताया जाता है कि ED के प्रभावशील आरोपियों से पूछताछ के लिए कर्नाटक पुलिस को भी ED की तर्ज पर एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। बताते हैं कि छत्तीसगढ़ शासन से विशेष संरक्षण प्राप्त आरोपियों से पूछताछ के लिए कर्नाटक पुलिस को अदालत का दरवाजा तक खटखटाना पड़ा। बावजूद इसके आरोपियों से पूछताछ के लिए कर्नाटक पुलिस दिन भर हांथ-पांव मारते रही। आखिरकार न्यायालय के संरक्षण में उसे आरोपियों से पूछताछ का उपचार प्राप्त हो सका।

कर्नाटक पुलिस ने सूर्यकांत तिवारी और हेमंत जायसवाल से पूछताछ की है, सूत्र बताते हैं कि हेमंत से उसके निवास पर और सूर्यकांत तिवारी से उसके मौजूदा ठिकाने में पूछताछ संपन्न हुई। सूत्रों का दावा है कि कर्नाटक पुलिस राज्य के कुछ चुनिंदा कांग्रेसी नेताओं को उपकृत किये जाने के मामलों को लेकर भी सूर्यकांत से पूछताछ कर सकती है, बताते हैं कि दिल्ली के किसी बड़े नेता के निर्देश के बाद सूर्यकांत तिवारी से दूरियां बनाए रखने के निर्देश प्राप्त हुए हैं, इसके उपरांत कर्नाटक पुलिस बनाम छत्तीसगढ़ शासन का मामला सुर्खियां बटोर रहा है। इन मामलों को लेकर छत्तीसगढ़ शासन की बेरुखी भी चर्चा में है। 

कर्नाटक के बैंगलोर में पुलिस ने कोल खनन परिवहन घोटाले से जुड़ी प्राथमिक एफआईआर शेड्यूल अफेंस के तहत धारा 186, 204,120बी, 353 और 384 के तहत अपराध दर्ज किया था। बताते हैं कि सूर्यकांत तिवारी पहली बार कर्नाटक पुलिस के हत्थे चढ़ा था, इसके बाद ही ED ने उसके गिरेबान में हांथ डाले थे। बताते हैं कि इसी मामले में सूर्यकांत तिवारी से पूछताछ के लिए कर्नाटक पुलिस रायपुर पहुंची थी। बताते हैं कि छत्तीसगढ़ पुलिस और शासन के रुख से कर्नाटक पुलिस को प्रभावशील आरोपियों से वैधानिक पूछताछ के लिए भी जमकर पापड़ बेलने पड़े। 

जानकारी के मुताबिक, कर्नाटक पुलिस एक सरकारी फरमान के तहत सूर्यकांत तिवारी से पूछताछ के लिए रायपुर सेन्ट्रल जेल दाखिल हुई थी। इस टीम को जेल प्रशासन ने बेरंग लौटा दिया था, बताते हैं कि जेल प्रशासन ने कर्नाटक पुलिस से ईडी के आरोपियों से पूछताछ के लिए अदालती आदेश की मांग की थी। इसके बाद ED के विशेष लोक अभियोजक डॉ. सौरभ पांडेय ने आरोपियों से पूछताछ के लिए रायपुर के स्पेशल कोर्ट में एक आवेदन प्रस्तुत कर पूछताछ की अनुमति मांगी थी।

बताते हैं कि स्पेशल कोर्ट के निर्देश को लेकर कर्नाटक पुलिस ने 18 तथा 19 अप्रैल को पुनः रायपुर सेन्ट्रल जेल में दस्तक दी थी। लेकिन इस दिन भी प्रभावशील आरोपियों से पूछताछ संभव नहीं हो सकी थी। सूत्र बताते हैं कि कर्नाटक पुलिस जब कोर्ट का फरमान लेकर रायपुर सेन्ट्रल जेल पहुंची तो ED के आरोपियों से पूछताछ के लिए उसे घंटों कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। जेल प्रशासन ने कोर्ट के निर्देश का हवाला देने के बावजूद आरोपी सूर्यकांत को जेल से रायपुर के एक सरकारी अस्पताल में दाखिल करा दिया। ताकि पूछताछ संभव न हो पाए।

 आखिरकार कर्नाटक पुलिस को सरकारी अस्पताल के रुख करना पड़ा, बताते हैं कि सूर्यकांत से पूछताछ के लिए डॉक्टरों ने पहले तो जेल का ऑर्डर माँगा, फिर अदालती फरमान से अवगत होने के बाद दो टूक जवाब कर्नाटक पुलिस को दे दिया। सूत्र बताते हैं कि मेकाहारा अस्पताल के डॉक्टरों ने असहयोग करते हुए कर्नाटक पुलिस को दो टूक साफ कर दिया कि सूर्यकांत तिवारी का स्वास्थ्य खराब है, स्वस्थ होने के उपरांत ही पूछताछ संभव हो पाएगी।

बताते हैं कि कर्नाटक पुलिस अस्पताल से भी खाली हांथ लौट गई। उसने अदालत को अपनी आपबीती सुनाई है, ED के सूत्र बताते हैं कि अदालत में इस मामले को अवमानना के दायरे में माना जा रहा है, इसके लिए अदालत के संज्ञान में सभी वैधानिक साक्ष्य और दस्तावेज भी पेश किये गए हैं।

बताते हैं कि इस मामले में जेल प्रशासन सूर्यकांत तिवारी की मेडिकल रिपोर्ट के साथ तलब कर लिए गए थे। सूत्र बताते हैं कि आरोपियों से पूछताछ के लिए भी जेल प्रशासन का टालमटोल रवैया आरोपियों के VIP ट्रीटमेंट का नमूना है। सूत्र दावा कर रहे हैं कि सूर्यकांत तिवारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके परिजनों समेत सौम्या चौरसिया की हकीकत से कर्नाटक पुलिस के सामने कोई ऐसा राज खोल सकता है, जो छत्तीसगढ़ शासन और कांग्रेस सरकार के लिए कर्नाटक चुनाव में भारी पड़ सकता है।

सूत्र बताते हैं कि लंबे समय से जेल में बंद सूर्यकांत तिवारी भी सौम्या चौरसिया की तर्ज पर कभी भी साहब की हकीकत से लोगों को रूबरू करा सकता है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि अपनी रिहाई के लिए सूर्यकांत तिवारी ने कई मौकों पर सरकारी गवाह बनने की मंशा जाहिर की है, लेकिन साहब की कड़ी चौकसी के चलते उसे अपना बंद मुंह खोलने का मौका नहीं मिल पा रहा है। सूत्र बताते हैं कि कर्नाटक पुलिस की सेंट्रल जेल में आमद से सूर्यकांत तिवारी की बांछे खिल गई थी। लेकिन कुछ देर बाद उसके चेहरे पर मायूसी छा गई। सूत्र बताते हैं कि सूर्यकांत को पूछताछ से बचाने के लिए जेल प्रशासन भारी दबाव के दौर से गुजर रहा है। सत्ता के शीर्ष से जारी होने वाले तमाम अवैधानिक फरमानों को अप्रत्यक्ष रूप से ED के आरोपियों तक पहुंचाने के पुख्ता प्रबंध चर्चा में है। 

सूत्र बताते हैं कि लंबे समय से जेल में बंद सूर्यकांत तिवारी भी सौम्या चौरसिया की तर्ज पर कभी भी साहब की हकीकत से लोगों को रूबरू करा सकता है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि अपनी रिहाई के लिए सूर्यकांत तिवारी ने कई मौकों पर सरकारी गवाह बनने की मंशा जाहिर की है, लेकिन साहब की कड़ी चौकसी के चलते उसे अपना बंद मुंह खोलने का मौका नहीं मिल पा रहा है। सूत्र बताते हैं कि कर्नाटक पुलिस की सेंट्रल जेल में आमद से सूर्यकांत तिवारी की बांछे खिल गई थी। लेकिन कुछ देर बाद उसके चेहरे पर मायूसी छा गई। सूत्र बताते हैं कि सूर्यकांत को पूछताछ से बचाने के लिए जेल प्रशासन भारी दबाव के दौर से गुजर रहा है। सत्ता के शीर्ष से जारी होने वाले तमाम अवैधानिक फरमानों को अप्रत्यक्ष रूप से ED के आरोपियों तक पहुंचाने के पुख्ता प्रबंध चर्चा में है। 

बताते हैं कि सूर्यकांत  तिवारी को कर्नाटक पुलिस की पूछताछ से दूर रखने के लिए तमाम दांव पेंच खेले गए थे। लेकिन कर्नाटक पुलिस का दस्ता भी तू डाल-डाल मैं पात-पात की तर्ज पर सूर्यकांत के हिमायतियों के अरमानों पर पाने फेरते रहा।

सूत्र यह भी बताते हैं कि सूर्यकांत तिवारी के ED के शिकंजे में फंसते ही कर्नाटक पुलिस ने सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी के मामलों को लेकर बेंगलुरु में भी जांच की थी, इसमें स्थानीय फाइनेंसरों से आर्थिक संबंधों और निवेश को लेकर भी कई तथ्य जांच में पाए गए थे। बताते हैं कि कर्नाटक पुलिस कुछ ऐसे सवालों की फेहरिस्त लेकर आई है, जो कर्नाटक में कांग्रेसी नेताओं के लिए मुसीबत का सबब बन सकते हैं, चुनावी माहौल में सूर्यकांत की बेजुबानी ही जायज बताई जा रही है। हालांकि सूर्यकांत से होने वाली पूछताछ क्या गुल खिलाएगी यह तो वक्त ही बताएगा।

सूत्र बताते हैं कि शुक्रवार देर शाम कर्नाटक पुलिस ने रायपुर  सेन्ट्रल जेल में करीब 2 घंटों तक पूछताछ की है, हालांकि इस मुलाकात की आधिकारिक पुष्टि के लिए NEWS TODAY छत्तीसगढ़ ने भरसक प्रयास किया, लेकिन न तो जेल विभाग की ओर से कोई प्रतिउत्तर प्राप्त हो सका और न ही कर्नाटक पुलिस ने इस संबंध में अपनी कोई प्रतिक्रिया जाहिर की है। 

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