लखनऊ : यूपी में मदरसों के सर्वेक्षण में कोई शिकायत अब तक नहीं आई है। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मदरसे हमारी मजहबी जरूरतों को पूरा करने के लिए हैं. लाखों मस्जिदों के इमाम आदि चाहिए. वो इन्हीं मदरसों से आते हैं.उन्होंने इसे जायज ठहराया है। इसके बाद उन लोगों का मुँह बंद हो गया है जो मदरसों को लेकर राजनीति कर रहे थे। मौलाना मदनी के बयानों के बाद मुस्लिम राजनीति में हलचल मच गई है। उधर कई मुस्लिम नेता मुख्यमंत्री योगी के कदम की अब तारीफ भी करने लगे है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वेक्षण इन दिनों जोरो पर है। आज देवबंद के दारुल उलूम ने उत्तर प्रदेश के मदरसों के एक सम्मेलन में अब तक के सर्वे को ठीक ठाक करार दिया है. जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सर्वे करना सरकार का हक है. उनकी मदद की जाए. अब तक सर्वे वालों का किरदार सही रहा है. उन्होंने कहा कि अब तक के सर्वे में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं दिखी है.उन्होंने कहा कि आज हमने बताया कि इस्लामी मदरसों को क्यों बनाया गया.
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मदरसे हजारों साल से मोहब्बत की तहजीब है. उन्होंने कहा कि मदरसे हमारी मजहबी जरूरतों को पूरा करने के लिए हैं.
लाखों मस्जिदों को इमाम आदि चाहिए. वो इन्हीं मदरसों से आते हैं.उन्होंने कहा कि मैंने मदरसों से कहा है कि सरकार के सभी सवालों के जवाब दिए जाने चाहिए.उन्होंने बताया कि मदरसों से कहा गया है कि वो हिसाब-किताब सही रखें. मदरसे की जमीन कानूनी होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि मदरसा संचालकों से कहा गया है कि मदरसों में खाने पीने की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. साफ-सफाई होनी चाहिए. अगर आपने सरकारी जमीन पर मदरसा बना रखा है तो उसे तोड़ दीजिए.अपनी जमीन पर ही मदरसा बनाइए वरना वो मदरसा नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि अगर ये साबित हो जाए कि मदरसा सरकार की जमीन पर है तो 15 दिन की नोटिस पर सरकार उसे तोड़ सकती है, हमें स्वीकार होगा. इससे पहले जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने दिल्ली में छह सितंबर को एक बैठक में मदरसों के सर्वे का विरोध किया गया था
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